वो छोटी-छोटी लडकियां जो जब बड़ी होकर महिला बनीं तो उन्होंने सारी बुलंदियां छू लीं By Mayapuri Desk 29 Jan 2021 | एडिट 29 Jan 2021 23:00 IST in एंटरटेनमेंट New Update Follow Us शेयर मैंने उन छोटी बच्चियों की गिनती ही भुला दी है जिन्हें मैंने अपनी आंखों के सामने बड़े होते देखा है और अब एक महिला के रूप में उनकी कामयाबी को देख कर मेरी आंखे चकाचैंध हो गई हैं। जिस तरह से उन्होंने महिलाओं के रूप में अपना स्थान प्राप्त किया है जो न केवल उनके माता-पिता और दोस्तों के लिए, बल्कि उनके आसपास की दुनिया के लिए भी मायने रखता है। -अली पीटर जॉन जीतेंद्र अपनी छोटी बेटी के साथ बैठे हुए थे और थोड़ा चिंतित दिख रहे थे इन छोटी बच्चियों में से एक है जीतेंद्र की इकलौती बेटी जिसे मैंने बचपन से देखा था। एक बार उनकी पत्नी, बेटी और बेटा तुषार जो मुश्किल से तब दस साल के थे, हैदराबाद में अपने पिता से मिलने आए थे क्योंकि वह उन दिनों इतने व्यस्त थे कि वह उस शहर हैदराबाद में ही रह रहे थे जिसे उन्होंने अपनी ‘कर्मभूमि’ के रूप में स्वीकार किया था। मैं जितेंद्र से बात कर रहा था, जिनसे मैं उन दिनों बहुत बार मिला करता था क्योंकि उन्होंने सचमुच में मुंबई से हैदराबाद तक कि इंडस्ट्री ली हुई थी और मुझे लगभग हर वीकेंड पर हैदराबाद जाना पड़ता था क्योंकि हमेशा कोई नई फिल्म आती थी या मुझे उनकी शूटिंग देखने के लिए आमंत्रित किया जाता था। एक दोपहर, जीतेंद्र अपनी छोटी बेटी के साथ बैठे हुए थे और थोड़ा चिंतित दिख रहे थे। उन्होंने फिर मुझसे अपनी बेटी के बारे में बात करनी शुरू की और कहा, “यह जो तुषार है इसकी मुझे कोई फिकर नहीं है, यह कुछ न कुछ कर लेगा। लेकिन इस मोटी का मैं क्या करूं? मुझे बहुत फिक्र होती है इसके बारे में जब मैं सोचता हूँ।” इस बात को वर्षों बीत गए थे, हैदराबाद में भी जीतेन्द्र का ‘राज’ समाप्त हो गया था और वह मुंबई लौट आए थे और मुंबई फिल्म इंडस्ट्री उन्हें उसी तरह का काम देने के लिए तैयार नहीं थी जो वह हैदराबाद के लिए रवाना होने से पहले कर रहे थे हालाँकि उन्होंने हैदराबाद में अपना खुद का साम्राज्य स्थापित किया था। और वह तब हैरान रह गए जब उन्हें पता चला कि जिस बेटी के बारे में वह चिंतित रहा करते थे, उसी ने अपनी माँ शोभा के साथ बालाजी टेलीफिल्म्स नामक एक कंपनी शुरू की थी और कई धारावाहिक बना रही थी। वह सुखद रूप से हैरान रह गए, जब उसी बेटी ने, जिसने उनकी रातों की नींद हराम कि थी; ने उन्हें बताया कि उसने अपनी माँ के साथ मिलकर अपनी खुद की कंपनी शुरू की है और आपने क्रिएटिव साइड पर कुछ भी नहीं करना है। वह केवल दोपहर में ऑफिस आए, कुछ चेक पर साइन करे और छह बजे घर चले जाए। जीतेन्द्र अभी भी इस पर विश्वास नहीं कर सकते है कि हैदराबाद में उन्होंने जिस लड़की के बारे में बात की थी, वह वही एकता कपूर थी। जिन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया जा चुका है, जिसका वह खुद अपने करियर के साठ वर्षों में भी सपना नहीं देख सकते थे। वह मेघना घई अब व्हिसलिंग वुड्स इंटरनेशनल की प्रेसिडेंट थी मैं क्लिफ टावर्स से एक और छोटी सी बच्ची को भी स्कूल जाते देखता था जहाँ मैं अपने दोस्त सुभाष घई से मिलने जाता था। मैं कभी-कभी लिफ्ट में उनसे टकरा जाता था और उसे अपने स्कूल की ड्रेस पहने देखता था। वह शोर-शराबे वाली और उधम मचाने वाली बच्ची नहीं थी, बल्कि अपनी उम्र के हिसाब से बहुत शांत और प्रतिष्ठित थी। मैंने फिर लंबे समय तक उस बच्ची के साथ टच खो दिया और मुझे एक बड़ा आश्चर्य तब हुआ जब मुझे पता चला कि मैं उस लिफ्ट में जिस बच्ची को देखता था, वह मेघना घई अब, व्हिसलिंग वुड्स इंटरनेशनल की प्रेसिडेंट थी जो इस तरह के फैसले ले रही थी, जिसे बहुत कम महिलाओं को लेने का अवसर मिलता है और मैंने पाया कि वह अपने पिता शोमैन सुभाष घई के मार्गदर्शन में निश्चित रूप से एक फिल्म स्कूल चलाने की क्षमता रखती थी। अनिल जो अब 65 वर्ष के हैं और अभी भी उतने ही युवा हैं मैं एक सुबह अनिल कपूर के साथ नाश्ता कर रहा था, जब मैंने स्कूल यूनिफॉर्म में एक लड़की को उसके कंधे पर भारी स्कूल बैग के साथ स्कूल जाते देखा। मैंने अनिल से पूछा था कि यह बच्ची कौन थी और उसने मुझसे कहा था कि वह उसकी बेटी सोनम है। मैंने अनिल से पूछा कि सोनम किस क्लास में पढ़ रही है और उन्होंने मुझसे अपनी छोटी-सी आँखों को मूँदकर कहा, “मुझे पता नहीं, वो सुनीता का डिपार्टमेंट है।” मैंने सुना था कि लड़कियाँ बड़ी तेजी से बढ़ती हैं और सोनम ने इस बात को सही साबित किया है। मैंने कुछ साल बाद एक लड़की को संजय लीला भंसाली के साथ सहायक के रूप में काम करते देखा और मैंने संजय से पूछा कि वह लड़की कौन थी और उन्होंने कहा अनिल कपूर की बेटी, सोनम। और अगले एक साल के भीतर सोनम कपूर ने रणबीर कपूर के साथ अपने फिल्मी करियर कि शुरुआत की, जो फिल्म ‘सांवरिया’ की लीडिंग लेडी के रूप में भंसाली की सहायक भी थीं। कुछ ही समय में वह प्रमुख अभिनेत्रियों में से एक थीं, एक महिला जो अपने फैशन स्टेटमेंट और अपनी बुद्धिजीवी और विवादास्पद बातों के लिए जानी जाती थी। हालांकि अब वह शादीशुदा है और यह देखना बाकि है कि वह अब क्या नया करती हैं। इस बीच, उसके पिता, अनिल जो अब 65 वर्ष के हैं और अभी भी उतने ही युवा हैं, जब मैंने उन्हें उस सुबह अपनी बेटी के साथ घर में देखा था। मुझे नहीं पता कि मैं अब और कितनी छोटी बच्चियों को देख पाऊंगा, लेकिन मुझे उम्मीद है कि मैं कई और बच्चियों को देखूंगा, जो बड़ी होकर ऐसी महिलाएं होंगी जो भविष्य को संवारेंगी। मैंने अभी भी एक बहुत छोटी लड़की को देखा है और मेरा अभी कोई अनुमान नहीं है बल्कि मुझे पता है कि वह एक दिन जल्द ही दुनिया में मधुरता लाएगी। और उस लड़की का नाम आरती है। मैं आपको चुनौती देता हूं कि आने वाले भविष्य में आप इस लड़की की तलाश करेगे। अनु- छवि शर्मा #Sonam Kapoor #Anil Kapoor #Subhash Ghai #Ekta Kapoor #Jitendra #ALT Balaji #Meghna Ghai हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article