Advertisment

फिल्म समीक्षाः ‘कसाईः यथार्थ परक ग्रामीण परिवेश व मानवीय भावनाएं

author-image
By Mayapuri Desk
New Update
फिल्म समीक्षाः ‘कसाईः यथार्थ परक ग्रामीण परिवेश व मानवीय भावनाएं

स्टारः साढ़े तीन स्टार

निर्माताः हरबिंगर क्रिएशंस

निर्देषकः गजेंद्र एस श्रोत्रिय

कहानीकारः चरण सिंह पथिक

कलाकारः मीता वशिष्ठ, रवि झांकल, वी के शर्मा, अशोक कुमार बांठिया, मयूर मोरे ,रिचा मीणा,सर्वेश व्यास,विकास पारिक,अल्ताफ खान,

Advertisment

अवधिः एक घंटा 36 मिनट और 45 सेकंड

ओटीटी प्लेटफार्मः शेमारूमी बॉक्स आफिस

राजस्थान के कुछ गाओं में प्रचलित है कि पीपल के पेड़ पर भूत, प्रेत व बुरी आत्माओं का निवास होता है, जो कि किसी की भी हत्या कर सकती है। इन बुरी आत्माओं को गाँव के लोग कसाई के नाम से बुलाते है। जब मशहूर कथाकार चरण सिंह पथिक के गांव में एक राजनीतिज्ञ परिवार का सदस्य गुस्से में अपने युवा बेटे की हत्या कर देता है, तो वह इससे निपटने और चुनाव पर असर न हो इसके लिए गाँव में प्रचारित कर देता है कि उसके बेटे की हत्या कसाई ने की है। गोव की इसी सत्य घटनाक्रम को केंद्र में रखकर चरणसिंह पथिक ने एक कहानी ‘कसाई’ लिखी थी, जिस पर निर्देशक गजेंद्र एस श्रोत्रिय फिल्म ‘‘कसाई’’ लेकर आए हैं। फिल्म ‘‘कसाई’’ ओटीटी प्लेटफार्म ‘‘शेमारूमी बाक्स आफिस ’’पर 23 अक्टूबर से देखा जा सकता है.

फिल्म समीक्षाः ‘कसाईः यथार्थ परक ग्रामीण परिवेश व मानवीय भावनाएं

कहानीः

यह कहानी है राजस्थान के एक गांव में एक माँ गुलाबी (मीता वशिष्ठ) द्वारा अपने बेटे सूरज (मयूर मोरे) को न्याय दिलाने के लिए किए गए संघर्ष की। गाँव के सरपंच पूमाराम (वी के शर्मा) के पोते और लखन (रवि झांकल) व गुलाबी (मीता वशिष्ठ) के बेटे सूरज (मयूर मोरे) तथा गाँव में किंग मेकर कहे जाने वाले भग्गी पटेल (अशोक बांठिया) की पोती और जगन (सर्वेश व्यास) की बेटी मिसरी (रिचा मीणा) के एक दूसरे के प्रेम में डूबे होने की खबर से सरपंच पूमाराम और भग्गी पटेल के बीच रिश्ते खराब हो जाते हैं। दो माह बाद सरपंच का चुनाव है। जब भग्गी अपने परिवार के साथ सरपंच पूमाराम व लखन को सूरज की करतूत के लिए धमकाता है, तो लखन अपनी तरफ से मामले को रफादफा करने का प्रयास करता है। पूमाराम अब तक सरपंच का चुनाव भग्गी पटेल की मदद से ही सदैव जीतते रहे है। परिणामतः लखन अपने गुस्से पर काबू नहीं रख पाता और गुलाबी के सामने ही अपने अठारह वर्षीय बेटे सूरज की हत्या कर देता है। अब इस कांड से निपटने के लिए सरपंच कह देते है कि पीपल वाले कसाई ने सूरज की हत्या कर दी। पर गांव की राजनीति गर्मा जाती हैं। उधर गुलाबी अपने बेटे के लिए न्याय की मांग कर रही है। उधर भग्गी पटेल को पता चलता है कि उसकी पोती मिसरी, सूरज के बेटे की मां बनने वाली हैं। तब वह एक चाल चलकर मिसरी की शादी पूमाराम के तीसरे बेटे बाबू के साथ तय कर एक रस्म भी कर देता है। उसके बाद वह दूसरी और तीसरी चाल चलते हुए सारे समकरा अपने पक्ष मे कर लेता है।

समीक्षाः

गजेन्द्र शंकर श्रोत्रिय द्वारा इस धीमी आंच वाली फिल्म की विशेषता इसका देहाती कच्चापन और वास्तविकता है, जो अंततः दर्शकों को पकड़ कर रखने में सफल होती है। फिल्म में राजनीति का कुत्सित चेहरा रेखांकित करने के साथ ही पितृसत्तात्मक सोच पर भी चोट की है। लेकिन वह सूरज व मिसरी की प्रेम कहानी को सही आकार नहीं दे पाए। निर्देशक ने फिल्म में कई महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाया है,मगर एक ठोस बयान देने में विफल रहते हैं। फिर भी फिल्म ‘‘कसाई’’ आकर्षक मानवीय नाटक है,जिसमें यथार्थ व देहाती पना भी है।

अभिनयः

मीता वशिष्ठ ने अपने अभिनय से एक बार फिर साबित कर दिखाया कि वह एक बेहतरीन अदाकारा हैं और किसी भी चुनौतीपूर्ण किरदार को अपने अभिनय से संवार सकती है। रवि झांकल का अभिनय शानदार है। ऋचा मीणा बहुत अच्छी हैं। मयूर मोरे शानदार है। सरपंच पूर्णाराम के रूप में वी के शर्मा ने बेहतरीन अभिनय किया है। सूरज के किरदार मयूर मोरे व मिसरी के किरदार में रिचा मीणा ने भी ठीक ठाक अभिनय किया है। एक कुटिल राजनीतिज्ञ व किंग मेकर भग्गी पटेल के किरदार को तो अशोक बांठिया ने आत्मसात कर रखा हैं। अन्य कलाकारों की परफार्मेंस ठीक ठाक है।

Advertisment
Latest Stories