नयनतारा आप्टे (अभिनेत्री तन्वी आज़मी) एक जीनियस राइटर हैं जो अपनी शर्तों पर जीती हैं। जो कुछ प्रॉब्लम्स की वजह से अपने पति का घर दोनों बच्चों 'अनुराधा' (काजोल) और 'रोबिंद्रो' (वैभव तत्वावदी) के साथ छोड़ चुकी होती हैं। अपने पति से तलाक़ लेने के बाद अपने बच्चों का सरनेम बदल 'आप्टे' करती हैं इसके लिए उन्हें 10 साल कोर्ट में लड़ता पड़ता है। आखिर में जीत उनकी होती है। एक तरफ जहाँ वह प्रोफेशनली इतनी कामयाब होती हैं वहीं उतनी ही उलझी हुई उनकी पर्सनल लाइफ होती है। उनके बच्चे एक अनु और रोबिंद्रो एक दूसरे से बहुत प्यार करते हैं लेकिन नयनतारा और उनके बच्चों में उतनी ही बड़ी खाई होती है।
डाइवोर्स के बाद वो विक्रम आदित्य के साथ शादी करती हैं। और एक बार फिर से उनका डाइवोर्स हो जाता है। इसके बाद उनकी ज़िंदगी में 'भास्कर रैना'(कंवलजीत सिंह) नाम के व्यक्ति की एंट्री होती है जिससे वो शादी तो नहीं करती हैं लेकिन रिश्ता बहुत खास होता है। नयनतारा अब अपनी ऑटोबायोग्राफी रिकॉर्ड कर रहीं हैं। रिकॉर्ड इसलिए क्योंकि उन्हें हाथों में हुई एक बीमारी की वजह से वह अब लिख नहीं सकती है और उनकी ऑटोबायोग्राफी पूरी करने में उनकी मदद नयनतारा का स्टूडेंट मिलन (कुणाल रॉय कपूर) कर रहा हैं जो शुद्ध हिंदी में बात करता है।
अनुराधा आप्टे (काजोल) एक अभिनेत्री और डांसर हैं। अनुराधा का किरदार काफी बोल्ड है। किसी के सामने कुछ भी बोलने से पहले बिलकुल नहीं सोचती हैं। वो सिंगल पैरेंट है। जितनी नफरत वो अपनी माँ से करती हैं उतना ही प्यार अपनी बेटी से। माँ-पापा के डाइवोर्स के बाद वो अपने भाई के साथ अपनी माँ नयनतारा के पास रहती है। पिता का सरनेम चेंज करने के वजह से स्कूल में उनका मजाक भी उड़ता है। जब अनुराधा छोटी होती है तो उनकी माँ के पति विक्रम उसे सेक्सुअली एब्यूज करता है। इस वजह से अनुराधा अपनी माँ से नफरत करती है।
फिल्म इंडस्ट्री में एंट्री लेने के बाद उनको एक रशियन लड़के से प्यार हो जाता है जिसके साथ वो लिवइन में रहती है। अनुराधा के संबंध अपने माँ से अच्छे नहीं होते है लेकिन उसके बॉयफ्रेंड को नयनतारा पसंद करती है। लिवइन के दौरान अनुराधा प्रेग्नेंट होती है और जब उसका बॉयफ्रेंड उसे पीटता है तो वो अपने बच्चे के लिए अपने बॉयफ्रेंड को मार कर घर से बाहर निकाल देती हैं। अनुराधा की बेटी 'मासा'(मिथिला पालकर) का जन्म होता है। हॉस्पिटल में उनसे मिलने भास्कर रैना, नयनतारा के साथ आते है और अनुराधा को साथ घर चलने कहते हैं। अनुराधा, भास्कर को पसंद करती है इसलिए वो उनकी बात मान लेती है। और मासा का बचपन अपनी माँ, दादी और भास्का के साथ हँसी-ख़ुशी बीतता है। भास्कर रैना को पसंद करने का कारण ये भी होता है कि उन्होंने अनुराधा को ओड़िया डांस फॉर्म त्रिभंग से इंट्रोड्यूस करवाया होता है।
मासा (मिथिला पालकर) अपनी माँ और दादी से एक दम अपोजिट पर्सनालिटी है उनकी। जितनी बोल्ड और इंडिपेंडेंट उनकी दादी और माँ है उतनी ही सिंपल और शांत है मासा। स्कूल में जो अनुराधा को फेस करना पड़ा वही सब मासा को भी सहना पड़ता है। पिता के नहीं होने की वजह से उसे भी बुली का शिकार होना पड़ता है। अपनी माँ की वजह से उसे काफी तकलीफ हुई लेकिन अनुराधा और मासा में फर्क था। फर्क यह था कि अनुराधा अपनी माँ से नफरत करती है लेकिन मासा ऐसी नहीं है। वो अपनी माँ को सपोर्ट भी करती है और समझती भी है। अपनी दादी और माँ की लाइफ से सीख लेते हुए वो शादी करने का फैसला करती है। ताकि वो अपने बच्चे को एक सिंपल और सीधी लाइफ दे सके जो उसे कभी नहीं मिली। वो यह नहीं चाहती कि उसके बच्चे को कोई नाजायज़ कहे। इस वजह से वो अपने ऑर्थोडॉक्स इन लॉज़ की कही हर बात मानती थी। यहाँ तक की अपने बच्चे का जेंडर टेस्ट तक करा चुकी है.।
कहानी शुरू होती है नयनतारा से को अपने स्टूडेंट के साथ अपनी ऑटोबायोग्राफी रिकॉर्ड कर रही होती है और अचनाक बेहोश हो जाती हैं। अनुराधा अपना डांस परफॉरमेंस छोड़कर अपनी बेटी मासा के साथ हॉस्पिटल पहुँचती थी। हॉस्पिटल में उन्हें पता चलता है कि नयनतारा कोमा में चली गई है। फिल्म की पूरी कहानी हॉस्पिटल से शुरू होकर हॉस्पिटल ख़त्म होती है । इसी दौरान बीच में उनकी पसर्नल कहानियां भी दिखाई जाती है, अनुराधा की अपनी माँ के लिए बढ़ती नफरत से लेकर मासा की प्रेगनेंसी तक का सारा किस्सा फ्लैशबैक में ब्यान होता है। तीन देवियों के अलावा फिल्म में कई अभिनेताओं ने अहम किरदार निभाया है जैसे मिलन (कुणाल रॉय कपूर), 'रोबिंद्रो' (वैभव तत्वावदी) और राघव (मानव गोहिल)। फिल्म को रेणुका शहाणे ने डायरेक्ट किया है और फिल्म अगय देवगन फिल्म्स द्वारा प्रोड्यूस की गई है।
ओवरऑल फिल्म Tribhanga की कहानी नयनतारा, अनुराधा और मासा की इंडिविजुअल पर्सनालिटी पर फोकस करते हुए एक दूसरे से कनेक्ट करते हुए दिखाई गई है। तीनों की लाइफ में सब कुछ सही नहीं होता है लेकिन उन्हें पता है कि उन्होंने अपनी शर्तों पर अपनी लाइफ के डिसिजन लिए हैं। त्रिभंग एक इंस्पिरेशनल फिल्म है जिसमें कई गंभीर मुद्दों पर बात की है जिनमें यौन उत्पीड़न, घरेलू हिंसा मुख्य हैं।