साल 2011 में आज के यानि की 15 जुलाई को रिलीज हुई थी फिल्म “जिंदगी न मिलेगी दोबारा” जिसने न केवल कलाकारों की बल्कि कई अन्य लोगों की जिंदगी बदल दी। कितनी बार भी ये फिल्म देख लो कुछ न कुछ नया जरुर दिख जाता है। जोया अख्तर का डायरेक्शन और एक्टर्स के अभिनय ने फिल्म को यादगार बना दिया। लेकिन गाने और इसके डायलॉग्स के बिना ये फिल्म अधुरी है। फिल्म के गाने जैसे ‘दिल धड़कने दो’, ख्वाबों के परिंदे’ और ‘देर लगी लेकिन, मैं जीना सीख लिया’ जो जब आप इनके लीरिक्स को सुनोगे तो इन गानों की अलग से खुबशूरती नजर आएगी।
आज फिल्म को पूरे 10 साल हो चुके हैं। आईए फिल्म के डायलॉग्स को एक बार फिर याद करते हैं और इसे अपने लाइफ में इम्प्लीमेंट करने की कोशिश करते हैं क्योंकि ‘जिंदगी न मिलेगी दोबारा।’
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इंसान को डिब्बे में सिर्फ तब होना चाहिए...जब वो मर चुका हो
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इंसान का कर्तव्य होता है कोशिश करना...कामयाबी नाकामयाबी सब उसके हाथ में है
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अपने काम को अपने लाइफ के साथ कन्फ्यूज मत करो...तुम्हारा काम तुमहारी लाइफ नहीं बस उसका एक हिस्सा है।
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सीज द डे माइ फ्रेंड...पहले इस दिन को पूरी तरह जियो, फिर चालिस के बाद की सोचना
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कभी पेचेक मिलते वक्त तुम्हारी आँखों में आंसू आए हैं।
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जिंदगी जीना इस कुआईट सिंपल...बस साँस लेते रहो