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बॉलीवुड मे कई ऐसे विलन हैं, जो अपनी दमदार एक्टिंग से किसी भी फिल्म में लीड एक्टर पर भी हावी हो जाते हैं और अपनी एक अलग छाप छोड़ जाते हैं। इन्हीं में से एक हैं बॉलीवुड में बैडमैन के नाम से मशहूर गुलशन ग्रोवर। ये एक्टर न सिर्फ अपनी एक्टिंग, बल्कि अपनी दमदार आवाज से भी अपने रोल में जान डाल देते हैं। उनके द्वारा बोले गये डायलाग गन्ना चूस के, जिन्दगी का मजा तो खट्टे में है और मैं हूँ बैड मैन खासे चर्चित रहे हैं। रुपहले परदे पर उनका चौंका देने वाला हुलिया भी दर्शकों के दिलों में घर कर गया।
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कुछ वक़्त पहले ही उन्होंने अपनी बायोग्राफी (गुलशन ग्रोवर बायोग्राफी बुक बैडमैन) लांच की थी। इस पुस्तक को अंग्रेजी में पेंगुइन ने प्रकाशित की थी। अब यह पुस्तक हिंदी पाठकों के लिए भी उपलब्ध है जिसे पेंगुइन और प्रभात प्रकाशन दोनों ने संयुक्त रूप से प्रकाशित किया गया है। इस हिंदी पुस्तक का नाम है बैङमैन मेरी आत्मकथा। पुस्तक ज्यादा से ज्यादा उनके चाहने वालों तक पहुंचे इसलिए इसे हिंदी में प्रकाशित किया गया है। उम्मीद है उनकी फिल्मों की तरह लोग इस पुस्तक को भी पढना चाहेंगे, ऐसा कहना है पुस्तक के दोनों प्रकाशकों का।
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दिल्ली में पले-बढ़े गुलशन ग्रोवर 1970 के दशक में एक्टिंग में अपना करियर बनाने के लिए मुंबई चले आए। और फिर उन्होंने अपनी काबिलियत और संघर्ष से एक के बाद एक जानदार और शानदार किरदार निभाये, लगभग सभी किरदार बुरे आदमी के ही थे और इस तरह वे रील लाइफ के खलनायक बन गये। और एक दिन उनके नाम और काम की बदौलत बॉलीवुड के 'बैडमैन' के तौर पर उनकी पहचान पक्की हो गई। उन्होंने कई अंतरराष्ट्रीय फ़िल्में भी की और वहाँ भी अपने बेहतरीन अभिनय के कारण भारत का जाना माना चेहरा बन गए। 'बैडमैन'- मेरी आत्मकथा पुस्तक में अपने फिल्मी सफर, फिल्मों में संघर्ष के दिनों, उतार-चढ़ाव, विविधता वाले किरदार निभाने का जोखिम जैसी बातों का जिक्र उन्होंने बेबाकी से ब्यान किया है, किस तरह दर्जनों बङे खलनायकों के बीच उन्होंने 'बैडमैन' वाली छवि बनायी, अपनी कहानी अपनी जुबानी इस पुस्तक में बयाँ करते हैं बैडमैन गुलशन ग्रोवर।
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