जॉनी वॉकर (johnny walker) का जन्म 15 मई, 1923 को हुआ, वह भारत के एक सुप्रसिद्ध हास्य अभिनेता का नाम है। इनका असली नाम बदरुद्दीन जमालुद्दीन क़ाज़ी था। अपना नाम उन्होंने विस्की के एक लोकप्रिय ब्रैंड से उधार लिया था; लेकिन बाद में यह तय करना मुश्किल हो गया था कि दोनों में ज़्यादा लोकप्रिय कौन है?
जॉनी वॉकर की शादी नूरजहाँ से हुई थी। इन दोनों की मुलाक़ात 1955 में गुरुदत्त की फ़िल्म 'मिस्टर एंड मिसेज़ 55' के सेट पर हुई। जॉनी वॉकर और नूर के तीन बेटियाँ है: कौसर, तसनीम, फ़िरदौस और तीन बेटे है: नाज़िम, काज़िम और नासिर। नासिर एक प्रसिद्ध फ़िल्म और टीवी अभिनेता है। जॉनी वॉकर एक विनम्र आदमी थे।
ज़िन्दगी की शुरुआत उन्होंने बस कंडक्टर के रूप में की। बस में यात्रियों से मज़ाकिया बातें करना उनका शगल था, जिसने बलराज साहनी को आकर्षित किया। बलराज साहनी ने इन्हें गुरु दत्त से मिलवाया और संवेदना और हास्य के दो शिखर एक हो गए, जिसने हिन्दी सिनेमा के लिए नई परिभाषाएं गढ़ीं।
'बाज़ी', 'आर-पार' ', मिस्टर एंड मिसेज 55', 'सीआईडी', 'काग़ज़ के फूल', 'प्यासा' जैसी गुरु दत्त की फ़िल्मों की एक समानांतर पहचान बने जॉनी वॉकर। 'चोरी-चोरी', 'नया दौर', 'मधुमती', 'मेरे महबूब', 'आनंद' आदि फ़िल्मों में जॉनी वॉकर मीठी फुहार की तरह राहत देने आते थे, जब दर्शकों को फ़िल्म की गंभीरता से उबरना मुश्किल लगने लगता था। जॉनी वॉकर के अभिनय में इतनी ऊंचाई थी कि आमतौर पर हल्की-फुल्की मनोरंजक फ़िल्मों की जगह गंभीर फ़िल्मों की गंभीरता के बर्फ़ को तोड़ने की जवाबदेही मिली। हैरानी नहीं कि बरसों बाद भी कमल हासन के साथ जब वह 'चाची 420' में दिखे तो उतने ही जीवंत, उतने ही ताजा दम थे।
उन्हें 1959 फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता पुरस्कार 'मधुमती', फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता पुरस्कार 'शिकार' फिल्म के लिए अवार्ड मिला.
जॉनी वॉकर ने शकीला की बहन नूरजहाँ से शादी की थी, वह 1955 में फिल्म 'आर पार' के सेट पर मिले थे. उनके तीन बेटियां और तीन बेटे है. उनका गाना 'दम दम डिगा डिगा' आज भी लोगों की जुबां पर रहता है.
जॉनी वॉकर का निधन 29 जुलाई, 2003 में हुआ. उनकी अदाकारी को दर्शक आज भी नहीं भूले और हमेशा याद करते रहेंगे.