ऊषा उत्थुप का जन्म 8 नवम्बर 1947 को तमिलनाडु के मद्रास के एक तमिल ब्राह्मण परिवार में हुआ। वह भारत की एक लोकप्रिय पॉप गायिका हैं। उन्हें 1960 के दशक के उतर्राध, 1970 और 1980 के दशक में अपने लोकप्रिय हिट के लिए जानी जाती है।
उन्होंने करीब 16 भाषाओं में गाने गाएं हैं जिसमें बंगाली, हिंदी, पंजाबी, असमी, उड़िया, गुजराती, मराठी, कोंकणी, मलयालम, कन्नड़, तमिल, तुलु और तेलुगु शामिल हैं। वह कई विदेशी भाषाओं में भी गाना गा सकती हैं जिसमें अंग्रेजी, डच, फ्रेंच, जर्मन, इतालवी, सिंहली, स्वाहिली, रूसी, नेपाली, अरबी, क्रियोल, ज़ुलु और स्पेनिश शामिल हैं।
ऊषा के पिता सामी अय्यर मुंबई के पुलिस आयुक्त बने. उनकी तीनों बहने उमा पोचा, इंदिरा श्रीनिवासन और माया सामी गायिका हैं और उनके दो भाई भी हैं जिनमें से एक का नाम श्याम है। उनके छह भाई-बहनों में इनका स्थान पांचवां है। बचपन में वो बॉम्बे के बाइकुला के लोवलेन में स्थित पुलिस क्वार्टर में रहती थीं और वहीं के एक स्थानीय स्कूल में पढ़ाई करती थीं।
जब वह स्कूल में थी उन्हें संगीत कक्षा से बाहर निकाल दिया गया था क्योंकि उनकी आवाज़ संगीत के अनुकूल नहीं थी। लेकिन उनके संगीत शिक्षक ने स्वीकार किया कि उनके भीतर कुछ संगीत है और उन्होंने बजाने के लिए उन्हें क्लैपर्स और ट्रैंगल दिया. हालांकि वह औपचारिक रूप से संगीत में प्रशिक्षित नहीं थी, वह संगीत के माहौल में पली-बढ़ी. उनके माता-पिता रेडियो पर किशोरी अमोनकर और बड़े गुलाम अली खान सहित पश्चिमी शास्त्रीय से हिन्दुस्तानी और करनाटिक संगीत की विस्तृत श्रृंखला को सुना करते थे और वो भी उनके साथ सुना करती थी। वे रेडियो सीलोन सुनने का आनंद लिया करती थी।
उनके बगल के पड़ोसी एस.एम.ए. पठान थे, जो उस समय पुलिस उपायुक्त थे। उनकी बेटी जमीला ने ऊषा को हिन्दी सीखने, सलवार कमीज़ पहनने और भारतीय शास्त्रीय संगीत सीखने के लिए प्ररित किया। इस मिश्रित दृष्टिकोण ने उन्हें 1970 के दशक में अपने अनूठे ब्रांड की शुरूआत करने में मदद की. उन्होंने केरल के कोट्टायम के श्री उत्थुप से शादी की.
उनका पहला सार्वजनिक गायन तब हुआ जब वह मात्र नौ वर्ष की थी। उनकी बहन, जो पहले से ही संगीत में अपना कैरियर तलाश रही थी, ऊषा को एक संगीतकार जिनका नाम अमीन सयानी था उनके पास ले गईं, जिन्होंने रेडियो सीलोन के ओवालटाइन म्यूज़िक आवर में गाने का उन्हें एक मौका दिया. उसमें उन्होंने 'मॉकिंगबर्ड' नामक गाना गाया. उसके बाद, उन्होंने अपने किशोर समय में कई प्रदर्शन किए.
20 साल की उम्र में उथुप ने साड़ी और लेग कैलिपर पहन कर चेन्नई के माउंट रोड स्थित समकालीन सफायर थियेटर कॉम्प्लेक्स के तहखाने स्थित नाइन जेम्स नामक एक छोटे से नाइटक्लब में गाना शुरू किया| उनकी गायकी की अधिक प्रशंसा के कारण नाइटक्लब के मालिक ने उन्हें एक सप्ताह तक प्रदर्शन करने की अनुमति दी| नाइटक्लब की पहली प्रदर्शन की वाहवाही के बाद उन्होंने मुंबई के 'टॉक ऑफ द टाउन' और कलकत्ता के 'ट्रिनकस' जैसे नाइटक्लब में गाना शुरू किया| ट्रिनकस में ही अपने भावी पति उथुप से इनकी मुलाकात हुई| ट्रिनकस के बाद, अपने अगले अनुबंध पर उन्हें दिल्ली जाना पड़ा जहां उन्हें होटल ओबेरॉय में गाना था| संयोगवश शशि कपूर सहित नवकेतन इकाई का एक फिल्मी दल नाइटक्लब में आया था| उन्होंने फिल्म के लिए उन्हें पार्श्वगायन की आमंत्रिण दी| परिणाम स्वरूप, उन्होंने फ़िल्म ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ के साथ अपना बॉलीवुड में पार्श्वगायन का आरंभ किया| वास्तव में इन्हें आशा भोसले के साथ गीत 'दम मारो दम' गाना था| हालांकि, अन्य गायकों के आंतरिक राजनीतिक गतिविधियों के फलस्वरूप, उन्होंने यह मौका खो दिया लेकिन उस गीत के अंग्रेजी पंक्तियाँ गाने का अवसर मिला|
उन्होंने 1968 में एक ईपी रिकार्ड पर अंग्रेजी में 'जाम्बालया' और द किंग्सटन ट्रायो नामक समूह का 'ग्रीनबैक डॉलर' नामक पॉप गानों की रिकॉडिंग की| लव स्टोरी तथा किंग्सटन ट्रायो समूह का अन्य गीत 'स्कॉच एंड सोडा' की बिक्री भारतीय बाज़ार में अच्छी हुई| इसके प्रारंभिक समय में उन्होंने लंदन में भी कुछ समय बिताया| ये अक्सर लंदन के लांघम पर स्थित वर्नौन कोरिया के बीबीसी कार्यालय जाया करती थी| लंदन स्थित बीबीसी रेडियो पर 'लंदन साउंड्स ईस्टर्न' नामक कार्यक्रम में उनका साक्षात्कार किया गया था|
ऊषा ने एक भारतीय महोत्सव अंतर्गत नैरोबी का दौरा किया| ये इतनी लोकप्रिय हुईं कि इन्हें स्थाई रूप से वहीं रहने का आमंत्रण दिया गया| गायन और स्वाहिली में अक्सर राष्ट्रवादी गीतों के गाने से यें बेहद लोकप्रिय हुईं और तत्कालीन राष्ट्रपति जोमो केन्यात्ता ने उन्हें केन्या का माननीय नागरिक बनाया| इन्होंने मशहूर गीत 'मलाइका' (एंजेल) को, इसके मूल गायक, फादिली विलियंस के साथ गाईं| उन्होंने फेलिनी फाइव नामक स्थानीय गान समूह (बैंड) के साथ 'लाइव इन नैरोबी' नामक रिकार्ड का निर्माण किया|
उत्थुप ने 1970 और 1980 के दशक में संगीतकार आरडी बर्मन और बप्पी लाहिड़ी के लिए कई गाने गाए| उन्होंने अन्य गायकों द्वारा गाए आरडी बर्मन के 'मेहबूबा मेहबूबा' और 'दम मारो दम' जैसे कुछ गीत फिर से गाए जो काफी लोकप्रिय हुए|
फिल्मों के लिए गाए इनके कुछ प्रसिद्ध गीत बद्ध संगीत निर्देशक सहित निम्न तालिका में शामिल हैं:
गीत | फिल्म | वर्ष | संगीतकार |
'विकेट बचा' (विथ अर्ल) | हैट्रिक | 2007 | प्रीतम |
'तेरी मेरी मैरी क्रिसमस' | बो बैरक्स फोरएवर | 2007 | अन्जन दत्त |
'कभी पा लिया तो कभी खो दिया' | जॉगर्स पार्क | 2003 | तबुन |
'दिन है ना ये रात' | भूत | 2003 | सलीम सुलेमान |
'वंदे मातरं' | कभी ख़ुशी कभी ग़म | 2001 | जतिन-ललित, सन्देश शांडिल्य, आदेश श्रीवास्तव |
'राजा की कहानी' | गौडमदर | 1999 | विशाल भारद्वाज |
'दौड़' | दौड़ | 1998 | ए.आर. रहमान |
'वेगम वेगम पोगुम पोगुम' | अंजलि | 1991 | इल्याराजा |
'कीचुराल्लू' | कीचुराल्लू | 1991 | इल्याराजा |
'कोई यहां अहा नाचे नाचे ' | डिस्को डांसर | 1982 | बप्पी लेहरी |
'रम्बा हो' | अरमान | 1981 | बप्पी लेहरी |
'हरि ओम हरि' | प्यारा दुश्मन | 1980 | बप्पी लेहरी |
'तू मुझे जान से भी प्यारा है' | वारदात | 1981 | बप्पी लेहरी |
'दोस्तों से प्यार किया ' | शान | 1980 | आरडी बर्मन |
'शान से ...' | शान | 1980 | आरडी बर्मन |
'एक दो चा चा चा' | शालीमार | 1978 | आरडी बर्मन |
इसके अलावा, उन्होंने निम्नलिखित बॉलीवुड फिल्मों के लिए भी एक पार्श्वगायिका के रूप में गाया है: ढोल (2007), जून आर (2005), जॉगर्स पार्क (2003), जजंतरं ममंतरं (2003), एक था राजा (1996), दुश्मन देवता (1991), भवानी जंक्षन (1985), हम पाँच (1980) और पूरब और पश्चिम (1970).
यें एक मंच कलाकार हैं और दुनिया भर में प्रदर्शन किया है| मंच पर उत्साहपूर्ण उपस्थिति के लिए इन्हें विशेष रूप से जाना जाता है| उन्हें अब तक कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया जिनमें उत्कृष्ट संगीत के लिए राजीव गांधी राष्ट्रीय एकता पुरस्कार, अंतर्राष्ट्रीय शांति के लिए महिला शिरोमणी पुरस्कार और उत्कृष्ट उपलब्धि के लिए चैनल V पुरस्कार शामिल हैं|
उन्होंने अपना पहला एल्बम लुइस बैंक्स के साथ रिकॉर्ड किया जिसके लिए उन्हें 3500 रुपए का भुगतान किया गया था तब से उन्होंने कई एल्बम रिकॉर्ड किए हैं। माइकल जैक्सन के डोन्ट स्टॉप टिल यू गेट इनफ का हिंदी संस्करण 'चुपके कौन आया' को टॉम मिडिलटॉन - द ट्रिप (2004) में पाया जा सकता है। ग्लोरिया गेनर की आई विल सरवाइव एक और टॉम मिडिलटॉन एल्बम कोस्मोसोनिका - टॉम मिडिलटॉन प्रेजंट्स क्रेजी कवर वोल. 1 (2005) का कवर गाया है। हाल ही में उन्होंने भारतीय रॉक बैंड परिक्रमा के साथ एक गाना रिकॉर्ड किया है जिसका नाम 'रिदम एंड ब्लूज' है और जिसे 23 अप्रैल 2007 को चैनल V में प्रदर्शित किया गया।
उत्थुप एक अभिनेत्री भी हैं, अक्सर गायन और भारत के सिग्नेचर संगीतमय फिल्मों में अभिनय किया है। उन्होंने 2006 में 'पोथेन वाव' नामक एक मलयालम फिल्म में कुरिसुवेट्टी मरियम्मा के रूप में अभिनय किया।
1972 में फिल्म 'बॉम्बे टू गोवा' में अमिताभ बच्चन और शत्रुघ्न सिन्हा के साथ में उनकी एक कैमियो उपस्थिति है। 2007 में अन्जन दत्त द्वारा निर्देशित फिल्म 'बो बैरक्स फॉरएवर' में स्वयं के रूप में दिखाई देती हैं। 2007 में फिर से, वे 'हैट्रिक' म्यूज़िक वीडियो में स्वयं के रूप में दिखाई दी.
वे इंडियन आइडल 1 और 2 में भेष बदल कर दिखाई दी. वे 2007 और 2008 और आइडिया स्टार सिंगर सीज़न V (2010) की एक सहायक जज थी, यह कार्यक्रम सबसे अधिक श्रेणी प्राप्त साउथ इंडिया रिएलिटी शो था और साथ ही मलयालम का संगीत उन्मुख रियलिटी शो भी था। उषा की ट्रेडमार्क उनकी बिन्दी और फूल जिसे वह अपने बालों में लगाती है, साथ ही साथ उनकी कांचीपुरम साड़ी भी है।
पश्चिम बंगाल के लोक निर्माण विभाग मंत्री जतिन चक्रवर्ती जो भारत की कम्युनिस्ट पार्टी के हैं, उन्होंने राज्य स्वामित्व वाले इमारतों में उनकी गायिकी पर यह कह कर प्रतिबंध लगा दिया था कि उनकी गायिकी 'अपकर्षी' शैली की है। यह विवाद तब शुरू हुई जब उन्हें कलकत्ता में ठाकुरपुकुर के सरकारी कैंसर रिसर्च सेंटर में गाने के लिए आमंत्रित किया गया था और मंत्री ने उन्हें रोकने के लिए रिक्तिपूर्व प्रतिबंध लागू किया। मंत्री के साथ एक धमाकेदार बैठक के बाद, उन्होंने सरकार पर मुकदमा किया। मुख्यमंत्री ज्योति बसु सहित कई राजनीतिक मंत्रियों ने इनका समर्थन किया। और सरकार के खिलाफ इन्होंने मुकदमा जीत लिया। उनके पिता की सलाह के बाद, इन्होंने मंत्री के खिलाफ एक अलग मानहानि के मुकदमा को वापस ले लिया। बाद में उस मंत्री ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया जब उसने मुख्यमंत्री के पुत्र सहित अन्य लोगों के खिलाफ आरोप लगाए.
उनकी शादी जानी चक्को उत्थुप से हुई है जो कि मूल रूप से केरल से है और इससे पहले इनकी शादी स्वर्गीय रामू अय्यर से हुई थी। उनकी एक बेटी अंजली और एक बेटा सन्नी है।
वर्तमान में ऊषा अपने पति के साथ कोलकाता में रहती हैं। उन्हें आधुनिक कोलकाता का एक आइकन माना जाता है और शहर में उनकी सक्रिय सामाजिक उपस्थिति है।
उन्हें कई पुरुस्कार जिनमे ‘शालीमार’ फिल्म (1978) से 'वन टू चा चाचा' के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार में सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका का नामांकन.
प्यारा दुश्मन (1980) से 'हरि ओम हरि' के लिए फिल्मफेयर में सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका का नामांकन.
अरमान (1981) से 'रम्बा हो' के लिए फिल्मफेयर में सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका का नामांकन.
उनकी आवाज़ को आज भी दुनिया भर में खूब पसंद किया जाता है और हमेशा उन्हें वही सम्मान दिया जाता रहेगा.