इंडियन फिल्म फेस्टिवल ऑफ मेलर्बन, सिनेमा के माध्यम से विविधता का जश्न मनाने में सबसे आगे रहा है और इस फेस्टिवल में प्रदर्शित होने वाली फिल्में इस विचारधारा का प्रमाण हैं। एक ऐसी इंडस्ट्री में जिसे अक्सर उनके हिंदी सिनेमा के लिए सराहा जाता है, IFFM हमेशा भारत भर से क्षेत्रीय बहुमूल्य फिल्मों को पेश करने के अपने मकसद के लिए उत्साही और प्रतिबद्ध रहा है।
इस वर्ष इस महोत्सव ने एक विचारोत्तेजक और समीक्षकों द्वारा प्रशंसित मराठी लाइन-अप को क्यूरेट किया है जिसमें फीचर और शॉर्ट फिल्में दोनों शामिल हैं। दर्शकों के लिए निम्नलिखित फिल्मों को वर्चुअली और सिनेमाघरों में प्रदर्शित किया जाएगा।
अमेय वाघ, मोहन अगाशे, गीतांजलि कुलकर्णी, मृण्मयी देशपांडे, प्रदीप जोशी, अजीत अभ्यंकर और वंदना गुप्ते अभिनीत मंगेश जोशी द्वारा निर्देशित कारखानिसांची वारी (एशेज ऑन ए रोडट्रिप) जिंदगी के पहलुओं को उजागर करती फ़िल्म है जिसे भारतीय संयुक्त परिवार प्रणाली दर्शाने के लिए सराही जा रही है।
अश्विनी गिरि, लक्ष्मी बिराजदार, और नचिकेत देवस्थली अभिनीत चित्तरंजन गिरी द्वारा निर्दर्शित 'अवकाश' की कहानी पारिवारिक रिश्तों का एक आत्मनिरीक्षण है जो विरासत में मिले सांस्कृतिक मूल्यों पर सवाल उठाता है।
अक्षय गुरव, सुरेश विश्वकर्मा, स्मिता तांबे, अनिल नागरकर, गुरु ठाकुर और असित रेडिज अभिनीत, अनंत नारायण महादेवन द्वारा कडुगोड यानी कड़वा मीठा, (बिटरस्वीट), श्रम शोषण को प्रदर्शित करने वाली सदियों पुरानी गुलामी प्रणाली पर एक आधुनिक रूप है।
अक्षय इंदिकर द्वारा 'स्थलपुराण' (क्रोनिकल्स ऑफ स्पेस) एक जादुई यथार्थवाद से जुडी कहानी है जहाँ एक आठ वर्षीय लड़का अपनी डायरी के माध्यम से अकेलेपन को दूर करता है। कलाकारों की लिस्ट में नील देशमुख, अनुश्री वानी, सोनिया महले, रेखा ठाकुर, शशांक शेंडे, श्रीकांत पाटिल, मेधा पाटिल, गजानन जरमेकर और दीपा मोघे शामिल हैं।
एस अश्विन द्वारा 'वृत्ति' (ह्यूमन नेचर) की कथा, दो किशोरावस्था के लड़कों की दोस्ती के माध्यम से उजागर की गई जाति भेदभाव की एक मार्मिक कहानी है। इस कहानी को जीतू गोस्वामी, पीयूष ठाकरे, कृष्ण ठाकुर, आदित्य पवार, अलका परब, मीरा जोशी, अनुराग वर्लीकर, संजीव धुरी, भाग्यश्री राव, सुप्रिया प्रभुमिराशी, ओंकार शिरगांवकर, गणेश घाडी, अमित जम्भेकर, सुनील होल्कर, मुकुंद पाठक, जयपाल मोरे, धर्म चौहान, पूर्णिमा फुसे, ज्योति केसकर और डॉ. सुनील वानी के सामूहिक प्रयास से जीवंत किया गया है।
अंकिता निकराड, अनिरुद्ध देवधर और श्रीधर कुलकर्णी अभिनीत प्रतीक ठाकरे की पहली पेशकश 'सलाना जलसा' (एनुअल डे) तीन किशोरों की कहानी है। यह कहानी वार्षिक दिवस के इर्द-गिर्द घूमती हैं जहाँ वे एक दूसरे के साथ अपनी आशाओं और सपनों को साझा करते हैं।
मंथन खांडेके द्वारा निर्देशित 'गोश्त एका कावल्याची', जिसमें रुद्र बंदगले, स्मिताल चव्हाण, संचिता जोशी, मनोज भिसे, वरद चव्हाण शामिल हैं, एक माँ और बेटे की कहानी के माध्यम से माहवारी स्वच्छता के विषय पर एक नयी कहानी है।
एक और कथा जो एक माँ और बेटे के रिश्ते के इर्द-गिर्द घूमती है, वह है अभिजीत अरविंद दलवी की शॉर्ट फिल्म 'कुमकुमारचन' (होली रिचुअल) जिसमें बंडू ज़िंज़ुर्के, विद्या जोशी, रावशेब अल्कुटे, नानाभाऊ मोरे, जयदीप फ़ंड, मिस्टर मदाने और शुभम घोडके हैं।
मराठी संस्कृति अपनी मूल परंपरा में गहराई से निहित है और आईएफएफएम 2021 में प्रस्तुत की जाने वाली मराठी फिल्मों की लाइन-अप उसी भावना को प्रतिध्वनित करती है।