अभिनेत्री माहिरा खान बनेगी 'ज़ी थिएटर' के नयी सीरीज 'यार जुलाहे' की महत्वपूर्ण कड़ी, एक ऐसी श्रृंखला, जहाँ कलाकार करेंगे यादगार लघु कहानियों का नाटकीय पाठन। सुलेना मजुमदार अरोरा
माहिरा पढ़ेंगी 'गुड़िया' नामक कहानी, जो उपमहाद्वीप के बेहतरीन लेखकों में से एक, अहमद नदीम क़ासमी द्वारा लिखी गयी है।
'ज़ी थियेटर' की शुरुआत हुई थी २०१५ में और तब से लेकर अब तक वो प्रयत्नशील है कि कैसे छोटे पर्दे पर दुनिया भर के दर्शकों के लिए रंगमंच की चुनिंदा रचनाओं का मंचन किया जाये। इस प्रोग्रेसिव मंच पर अब बुनी जाएँगी कुछ यादगार कहानियां क्योंकि ज़ी थियेटर लेकर आ रहा है, यार जुलाहे। ये ड्रामैटिक रीडिंग्स की एक ऐसी श्रृंखला है जिसकी १२ कड़ियों में, कई कलाकार पढ़ेंगे लघु कहानियां। नाटकीय पाठन का यह सिलसिला जारी रहेगा डीटीएच प्लेटफॉर्म - टाटस्की थियेटर, एयरटेल स्पॉटलाइट, डिश टीवी और डी 2 एच रंगमंच एक्टिव, इत्यादि पर।
'यार जुलाहे' गुलज़ार की एक नज़्म है और इस नाम को इस लिए चुना गया क्योंकि यह श्रृंखला समर्पित किया गया है उन रचनाकारों को जो शब्दों से कहानियों को कुछ इस तरह बुनते हैं जैसे जुलाहे सूत कात रहे हों। मई महीने के मध्य, टाटा स्काई थिएटर पर दोपहर दो बजे और रात को ८ बजे, श्रृंखला की पहली कड़ी में नज़र आएँगी जानी मानी अभिनेत्री माहिरा खान। वह पढ़ेंगी लघुकथा, गुड़िया जो उपमहाद्वीप के बेहतरीन लेखकों में से एक, अहमद नदीम क़ासमी की कलम द्वारा रची गयी है.
गुड़िया कहानी है दो सहेलियों की। मेहराँ और बानो की दोस्ती के तार मज़बूत हैं और बानो के पास एक गुड़िया है जिसकी शक्ल मेहराँ से मिलती है। मेहराँ को हालाँकि यह गुड़िया पूरी तरह से नापसंद है। देखिये किस तरह धीरे धीरे इस गुड़िया के आसपास प्यार और नफरत के उतार चढाव दोनों सहेलियों को घेरते हैं और कैसे एक अजीबोग़रीब मोड़ इस कहानी को अंजाम तक पहुंचाता है और इस गुड़िया का राज़ खोलता है। यार जुलाहे लेकर आएगा उर्दू और हिंदी के प्रगतिशील लेखकों की रचनायें जिनमे शामिल हैं गुलज़ार, सआदत हसन मंटो, इस्मत चुग़ताई , मुंशी प्रेमचंद, अमृता प्रीतम, कुर्अतुल ऐन हैदर , बलवंत सिंह , असद मोहम्मद खान, ग़ुलाम अब्बास, राजिंदर सिंह बेदी और इंतेज़ार हुसैन.
पढ़ने वाले स्टार्स हैं सरमद, सर्वत गिलानी, निम्रा बुचा, फवाद खान , सानिया सईद , इरफ़ान खूसट , यसरा रिज़वी , सामिया मुमताज़ और फैसल कुरैशी।
---,शैलजा केजरीवाल , चीफ क्रिएटिव ऑफिसर स्पेशल प्रोजेक्ट्स, ज़ील कहती हैं_ , यार जुलाहे की हर कड़ी में पढ़ी जाएगी एक ऐसी दास्तान जो हमारे उपमहाद्वीप जैसी ही अनोखी और अनमोल है। हर एक कहानी लिखने वाले ने सच्चाई को करीब से परखा और एक नए रंग की स्याही में उतारा। उन्होंने ऐसे किरदार रचे जो आज भी हमें जाने पहचाने लगते हैं। इन बेशकीमती कहानियों पर सरमद और कँवल खूसट के साथ एक बार फिर काम करके मुझे बहुत ख़ुशी हुई क्योंकि वह पहले भी हमारे साथ जुड़ चुके हैं। उनमें एक ख़ास कलात्मक संवेदनशीलता है जिसकी इस श्रृंखला को ख़ास ज़रुरत थी। वे साहित्य का तहे दिल से सम्मान करते हैं और यार जुलाहे इसी सम्मान का सुनहरा प्रतीक है।
_जाने माने निर्देशक और अभिनेता सरमद खूसट के अनुसार यार जुलाहे की प्रेरणा उन्हें दास्तानगोई की परंपरा से मिली जो दक्षिण एशिया में कहानियां रचने और कहने के लिए प्रचलित है। वे कहते हैं, हमने दास्तानगोई को एक नए अंदाज़ में ढाला है और लाइव एवं रेकॉर्डेड संगीत का भी इस्तेमाल किया है। हमने ऐसे सेट बनाये हैं जो हर कहानी के सार को बयां करते हैं। जैसे की जब मैं गुड़िया नामक कहानी निर्देशित कर रहा था तो हर तरफ गुड़ियाँ बिखेरी गयी थीं जो अपनी कहानी खुद बयां कर रही थीं। उनके होने से सेट पर एक अजीब सा माहौल घिर आया था जो माहिरा के पाठन का हिस्सा बन कर उसे और प्रभावशाली बना रहा था।
--निर्देशक कँवल खूसट कहती है_, आज की पीढ़ी को ये श्रृंखला परिचित कराएगी उनकी साहित्यिक विरासत से। दास्तानगोई के अलावा हमने चैम्बर थिएटर टेक्निक का भी इस्तेमाल किया है जहाँ पढ़ने वाले के आस पास एक ख़ास माहौल रचा जाता है। एक ऐसा सेट बनाया जाता है जहाँ कलाकार कहानी को सिर्फ पढ़े नहीं बल्कि उसमे डूब कर उसे निभाए। हमने कोशिश की है की लेखक की आवाज़ के साथ खिलवाड़ न हो पर ये प्रयास भी किया है की एक सशक्त माध्यम से उसे ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचाया जा सके।
देखिये टाटा स्काई पर यार जुलाहे की कड़ी जिसमें नज़र आएँगी माहिरा खान।