Family Man season 2 Review: मनोज बाजपयी को सामन्था अक्किनेनी ने एक्टिंग में बराबर की टक्कर दी

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By Pragati Raj
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Family Man season 2 Review: मनोज बाजपयी को सामन्था अक्किनेनी ने एक्टिंग में बराबर की टक्कर दी

हम सभी के फेवरेट मनोज बाजपयी की वेब सीरीज The Family Man season 2 एमेज़न प्राइम पर फाइनली रिलीज हो गई। इस सीरीज के साथ साउथ इंडियन एक्ट्रेस सामन्था अक्किनेनी ने डेब्यू किया है।

बाकि सीरीज में सभी कलाकार वहीं हैं जैसे प्रियामनी, शबीर हाश्मी, दर्शन कुमार, सनी हिंदुजा जो फैमली मेन सीजन 1 में नजर आए थे।

कहानी कि बात करें तो सीजन 1 से कहानी काफी अलग है। शुरूआत होती है श्रीलंका के खुद को रेबेल कहने वाली तमिल आर्मी से। इस बार केवल एक ही दुश्मन नहीं बल्कि दो देशों के दूश्मनों से श्रीकांत तिवारी(मनोज बाजपयी) को देश को बचाना है। लेकिन ये क्या, श्रीकांत तो TASK का काम छोड़ एक आईटी कंपनी में 9 से 5 की जॉब कर रहा है।

किसी की बात न सुनने वाला श्रीकांत अब ऑफिस में अपने बॉस की और घर पर बीवी-बच्चों की बात सुन ही नहीं रहा बल्कि मान भी रहा है। पूरा फैमली मेन बन गया है। लेकिन उसे अपनी ऑफिस की हवा रास नहीं आ रही है इसलिए वो अक्सर अपने दोस्त जेके(शबीर हाश्मी) को कॉल कर उनके मिशन के बारे में पुछता रहता है। जेके उसे श्रीलंकन रेबेल सुब्बू के बारे में बताता है जो चिन्नई में छुपा हुआ है और अब उसे गिरफ्तार करने की तैयारी हो रही। इसमें श्रीकांत उसकी मदद करता है और सुब्बू गिरफ्तार हो जाता है।

जब श्रीकांत सभी को खुश करते थक जाता है तो अपनी जॉब छोड़, फिर से TASK ज्वाइन कर चिन्नई पहुंचता है जहां जेके और मिलन(सनी हिंदुजा) के अलावा चिन्नई की टीम के साथ मिल कर देश पर होने वाले आतंकी हमले का पता लगाता है। ये तो रही श्रीकांत तिवारी की कहानी।

इस बार सीरीज में श्रीकांत के अलावा एक और कहानी साथ साथ चल रही है- श्रीलंकन तमिल रेबेल राजी(सामन्था अक्किनेनी) की। अगले मिशन का इंतजार करते हुए वो चिन्नई के एक फैक्ट्री में काम करती है। जहां उसका बॉस उसे मौका मिलने पर छूने का बहाना ढूढता है और यही हरकत बस में भी एक आदमी उसके साथ करता है। एक दिन जब वो अपनी जान देने की कोशिश करती है उसे एक कॉल आता है और अगले मिशन की तैयारी करने के लिए कहता है।

तीसरी कहानी लंदन में चल रही है। श्रीलंकन तमिल आर्मी का हेड भास्कन लंदन में छुपकर रह रहा है और इंडिया में उसके भाई सुब्बू की कोर्ट ले जाने समय बम ब्लास्ट में मौत हो जाती है। अब बास्करन इसका बदला इंडिया से लेने के लिए पाकिस्तानी मेजर समीर(दर्शन कुमार) से हाथ मिला लेता है। और तैयारी शुरू होती है हमले की।

सीरीज में 9 एपिसोड हैं जिसमें से सात एपिसोड काफी स्लो है वहीं बाकि के दो एपिसोड चिन्नई एक्सप्रेस के रफतार से चलती है। हालांकि सीरीज का क्लाइमेक्स आपको निराश कर सकता है।

एक्टिंग की बात करते हैं- मनोज बाजपयी की बात करें तो उनकी एक्टिंग और कॉमिक टाइमिंग काफी अच्छी रही, उन्हें एक्ट करने के लिए कोई भी एक्सट्रा अफर्ट करने की जरूरत नहीं है। वहीं सामन्था के डायलॉग्स काफी कम रहें लेकिन उन्होंने डायलॉग्स की कमी महसूस नहीं होने दी क्योंकि उनकी आँखे ही बहुत कुछ बोल रही थी। एक ही सीरीज में उन्हें दो किरदार निभाने का मौका मिला- पहला डरी हुई, दुनिया की सताई लड़की का और दूसरा एक खूखार आतंकवादी का जो बिना पलक झपकाए अपने दुश्मन को खत्म कर देती है।

एक सीन में सामन्था और श्रीकांत सामने होते है उस वक्त अपनी कहानी बताते समय जो गुस्सा और दर्द सामन्था की आँखों में होता है उसे श्रीकांत ही नहीं बल्कि देखने वाली आडियंस भी फील कर सकती है।

वहीं बाकि के कलाकारों को जितना स्क्रीन स्पेस मिला उसमें उन्होंने बेहतरीन अभिनय किया।

सीरीज की एक खास बात- अगर आप एपिसोड के खत्म होते ही कुछ देर रूकेंगे तो आपको गाना सुनाई देगा। और हर एपिसोड में आपको अलग अलग गाने सुनाई देंगे। कोई गाना हिंदी में होगा, कोई साउथ के भाषा में तो कहीं कहीं आपको रैप भी सुनाई देगा। मैंने अबतक किसी भी सीरीज में ऐसा होते नहीं देखा।

डायरेक्शन Raj & DK का है जो बेहतरीन रहा। कुछ सीन जैसे समंथा का आर्मी की वर्दी पहन खुद को आईने में देख अपना देशभक्ति सॉन्ग गाना हो या फिर बस में एक आदमी का उसे गलत तरीके से छूना हो। दोनों ही सीन के डायरेक्शन अच्छे रहे हैं।

वेब सीरीज में क्या पसंद नहीं आया-

फैमली मेन सीजन 1 के फैंस अगर ये सोच कर सीरीज देखेंगे की उन्हें सेम श्रीकांत तिवारी और वहीं एंटरटेनमेंट देखने को मिलेगा तो आप निराश होने वाले हो क्योंकि सीजन 2 पहले से काफी अलग है। दोनों अलग अलग सीरीज लग सकती है। सेम क्नेक्शन नहीं बन पाया जो सीजन 1 से बना था।

सीरीज की आडियंस अधिकतर हिंदी बोलने और समझने वाली है और सीजन 2 में आधा सीजन आपको सबटाइटल पढ़कर तमिल समझते हुए देखना पड़ेगा या फिर इंग्लिश और फिर जाकर नंबर आता है हिंदी का।

  • कहानी थोड़ी स्लो थी लेकिन अच्छी थी
  • एक्टिंग बेहतरीन रही, मनोज बाजपयी और समंथा के लिए अलग से नंबर
  • हर एपिसोड में अलग गाना सुनने को मिला, जो काफी यूनिक रहा
  • ज्यादा देर तक सबटाइटल पढ़कर समझने के कारण सीरीज बोरिंग भी लगी
  • डायरेक्शन काबिले तारीफ
  • क्लाइमेक्स हल्का था

Rating- 3.5/5

 

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