14 जुलाई को जर्मनी के अति मशहूर “मेट्रॉपोलिसकिनो” सिनेमाघर में फिल्म “कॉन एनीमा” के पहले प्रिव्यू शो के साथ भारतीय फिल्म निर्देशक मनोज मौर्या ने रचा नया इतिहास By Mayapuri Desk 18 Jul 2021 in एंटरटेनमेंट New Update Follow Us शेयर “सिनेमा को भाषा या देश की सीमाओं में नहीं बांधा जा सकता” की सोच रखनेवाले भारतीय फिल्म निर्देशक मनोज मौर्य ने जर्मनी जाकर जर्मन कलाकारों के साथ एक फिल्म ‘‘कॉन एनीमा’’ का निर्माण व निर्देशन कर एक नए इतिहास को रचा है। इस फिल्म को मनोज मौर्या ने जर्मन भाषा में जरुर बनाया है, पर इसे वह अंग्रेजी व हिंदी ‘सब टाइटल्स’ के साथ पूरे विश्व के सिनेमाघरों में प्रदर्शित करना चाहते हैं। जब से भारतीय फिल्मकारों को भारतीय सिनेमा को विश्व स्तर पर पहुँचाने के मकसद से किए गए मनोज मौर्या के इस प्रयास की जानकारी मिली थी, तभी से कई तरह की अटकलें गर्म हो गयी थीं। मगर मनोज मौर्या ने अफवाहों व अटकलों की परवाह किए बगैर कोरोना महामारी के दौरान भी सभी सुरक्षा उपायों के साथ अपने काम को अंजाम देते रहेअब फिल्म “कॉन एनीमा” प्रदर्शन के लिए तैयार है। जी हाँ! जर्मनी सहित पूरे विश्व में इस फिल्म को दिसंबर 2021 में प्रदर्शित करने की योजना के तहत काम हो रहा है। फिलहाल कुछ चुनिंदा लोगों ने इस फिल्म को देखा और उनसे मिली प्रतिक्रिया से अति उत्साहित हो कर अब निर्माताओं ने 14 जुलाई को जर्मनी के अति मशहूर “मेट्रॉपोलिसकिनो” सिनेमाघर के अंदर पहला बड़ा प्रिव्यू शो किया। जहां उत्साहवर्धक प्रतिक्रिया मिली। इन प्रतिक्रियाओं के संदर्भ में मनोज मौर्या बताते हैं- ‘‘इस अवसर पर मैं जर्मनी नही जा पाया। लेकिन वीडियो पर बात हुइ्रतो कुछ लोगों ने कहा कि जर्मन जल्दी आंसू नहीं बहाते हैं।लेकिन हमारी फिल्म के क्लायमैक्स के एक दृश्य ने उन सभी को इतना भावुक कर दिया कि उनकी आँखों से आंसू निकल पड़े। यह प्रतिक्रिया मेरे लिए अहम है।’’ फिल्म“कॉन एनीमा” की कहानी एक ऐसी लड़की की है, जो कि सोलविस्ट है।सोलविस्ट वह होता है, जो किऑर्केस्ट्रा में सिंगलप्ले करता है और उसी को पूरा ऑर्केस्ट्रा ‘फॉलो’ करता है।यह एक कंडक्टर का ऑर्केस्ट्रा है। एमाएक सोलविस्ट है, जो इसमें वायलिन बजा रही है। एमाका टकराव एक ऐसे लड़के से होती है, जो कि ‘प्रॉडिजी’ है यानी कि जिसके रग रग में संगीत है, जबकि उसने कहीं से संगीत सीखा नही है। तो वह चाहती है कि यह लड़का मेरी जगह ले ले, तो अच्छी बात होगी। मगर उस लड़के को किसी भी सिम्फनी ऑर्केस्ट्रा में बजाने में कोई रूचि नही है। वह कैसे उस लड़के को उस मुकाम तक लेकर जाती है, उसी की कहानी है। फिल्म “कॉन एनीमा”के संदर्भ में लेखक व निर्देशक मनोज मौर्या कहते हैं- ‘‘मेरे दिमाग में एक कहानी लंबे समय से घूम रही थी।उसी पर यह यूरोप में स्थापित म्यूजिकल ड्रामा वाली फिल्म है।फिल्म की कहानी यूरोप पर आधारित थी और म्यूजिकल ड्रामा थी,तो इसे फिल्माने के लिए मुझे जर्मनी ही बेहतरीन देश समझ में आया। फिल्म का नाम है- ‘कॉन एनीमा’। ‘कॉन एनीमा’लेटिन से निकला इटालियन शब्द है,जो संगीत के लिए प्रयोग किया जाता है। यह अंदर की आत्मा का अहसास दिलाता है। इस फिल्म को हमने जर्मन भाषा में ही बनाया है।यह फिल्म भी पूरी हो चुकी है।कहानी की आत्मा संगीत और वह भी खासकर जर्मन की है।’’ वह आगे कहते हैं-‘‘यूँ भी मुझे शुरू से ही यूरोपियन संगीत में काफी रूचि रही है। जिसमें जोहानंसेबासियन बाच, बिथोवन, मोजार्ड, विवाल्दीऐसे संगीतकार हैं,किजिन्होने पूरे विश्व को पश्चिमी संगीता परोसा। इनका संगीत 500 सौ वर्ष से पूरे यूरोप पर राज कर रहा है। मैं बिथोवन के घर पर गया और मैने महसूस किया कि संगीत का कुछ तो जादू है। इन बातों ने मुझे जर्मन फिल्म बनाने के लिए प्रेरित किया।जर्मन के लोगों,वहां के कलाकारों ने भी मेरा हौसला बढ़ाया। उनका विश्वास मेरी कहानी पर था, इसी विश्वास के चलते उन्होने भी चाहा कि यह फिल्म बननी चाहिए।’’ #Manoj Maurya #Germany #Con Anima #director whose German #film ‘Con Anima’ #German film #German film ‘Con Anima’ #Manoj Mauryaa #Metropolis Cinema #the first Indian director whose German #the first Indian director whose German film ‘Con Anima’ हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article