मेहुल कुमार और नाना पाटेकर की फिल्म क्रांतिवीर आज भी प्रासंगिक हैं

author-image
By Mayapuri
New Update
Mehul Kumar and Nana Patekar's Krantiveer is still relevant today

इस दिन, यानी के शुक्रवार   22 जुलाई 1994 को, निर्देशक मेहुल कुमार और अभिनेता नाना पाटेकर की हिंदी फिल्म क्रांतिवीर रिलीज़ हुई थी.  देशभक्ति और राष्ट्रीय एकता का संदेश देने वाली फिल्म आज भी बहुत प्रासंगिक है.  यह बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त हिट साबित हुई.  और हिंदी सिनेमा के इतिहास में पहली बार अपरंपरागत लुक वाला हीरो बॉक्स ऑफिस पर बड़ा स्टार बना.  हालांकि ऐसा नहीं था जब मेहुल कुमार फिल्म शुरू करना चाहते थे क्योंकि वितरकों को संदेह था कि दर्शक नाना पाटेकर को सोलो हीरो फिल्म में स्वीकार करेंगे. 

लेकीन एक चमत्कार के चलते फिल्म की सुपर सफलता के बाद मेहुल कुमार उद्योग में सबसे अधिक भुगतान पाने वाले निर्देशक बन गए. उन्होंने लगातार 3 सुपर हिट दी थीं. मरते दम तक, तिरंगा और क्रांतिवीर. इतना कि जब अमिताभ बच्चन वापसी कर रहे थे और अपनी खुद की प्रोडक्शन कंपनी एबीसीएल, उन्होंने शुरु की तब बिग बी  ने निर्देशक इंद्र कुमार और मेहुल कुमार के रूप में केवल 2 नामों को शॉर्टलिस्ट किया था. अंत में वे मेहुल कुमार के साथ गए और सुपर डुपर हिट फिल्म  मृत्युदता बनाई.

इसी क्रांतिवीर' फिल्म को लेकर स्वर्गिय दिलीप कुमार सहाब ने नाना पाटेकर के अभिनय की काफी तारीफ़ की थी | उस तारीफ को याद करते हुऐ नाना पाटेकर ने आगे लिखा,'मेरी पीठ पर उन्होने हाथ फेरा था, वो आज भी मेरे हौसले की वजह है. मुझे आज भी याद है, एक दिन मैं  घर गया, (दिलीप कुमार) , मुझे उन्होंन्हे  बुलाया था. काफी बारिश थी और मैं पूरा भीगा चुका था . उनके घर पहुंचा तो वे  दरवाजे पर ही खड़े थे. वे मुझे भीगा देख  अंदर गए, टॉवेल लाए, और  मेरा सिर पोंछने लगे. साथ ही  अंदर से खुद का शर्ट लाकर पहनाया मुझे. मैं सूखा कहां रहता, भीतर से तो भीगा ही रह गया था. आंखें दगा दे रही थी, लेकिन मैं फिर भी खुद को सँभालने की कोशिश कर रहा था. कितनी तारीफ़ कर रहे थे, 'क्रांतिवीर' फिल्म की. फिल्म के एक-एक प्रसंग पर उनकी टिप्पणी सुनते हुए मैं तो पूरा उनमें गुम हो गया था. मैं उनकी आंखे पढ़ रहा था. आंखों से बयां किये हुए कई संवाद मैंने सुने है उनके. 

इस तरह की कई यादें मेहुल कुमार के फिल्म क्रांतिवीर से जुड़ी है, इसीलिए यह फिल्म आज भी प्रासंगिक हैं.

Latest Stories