*निर्माता : फॉक्स स्टार स्टूडियोज़, केप ऑफ गुड फिल्म्स, शबीना एंटरटेनमेंट, तुषार एंटरटेनमेंट हाउस
*निर्देशक : राघव लॉरेंस
*कलाकार : अक्षय कुमार, किआरा आडवाणी, शरद केलकर, राजेश शर्मा, आयशा रज़ा मिश्रा, मनु ऋषि चड्ढा और अश्विनी कलसेकर आदि ।
*प्रदर्शन तिथि : 9 नवम्बर 2020.
* डिज्नी प्लस हॉटस्टार पर उपलब्ध * 15 वर्ष से ऊपर वालों के लिए
* रेटिंग : 2/5
फिल्म-'लक्ष्मी' आसिफ (अक्षय कुमार) और रश्मि (किआरा आडवाणी) की कहानी है जिनकी शादी से रश्मि के माता-पिता खुश नहीं हैं। रश्मि के माता-पिता की शादी की 25वीं सालगिरह है और वे उसे मनाने के लिए उनके घर पहुंचते हैं। यहां पर आसिफ के अंदर एक भूत प्रवेश करता है जो ट्रांसजेंडर है। इसको भगाने के लिए हिंदू बाबा, मुस्लिम बाबा का सहारा लिया जाता है तो पता चलता है कि इस भूत का नाम 'लक्ष्मी' जो बदला लेना चाहती है।
'लक्ष्मी' में कॉमेडी-हॉरर के साथ-साथ इमोशन और मैसेज भी हैं, लेकिन दिक्कत यह है कि ये सभी बिना सिचुएशन के घुसाए गए हैं। ऐसा लगता है कि कोई आपको जोर-जबरदस्ती कर हंसाने की या डराने की कोशिश कर रहा है। माहौल बनाए बिना यह कोशिश निरर्थक लगती है और 'लक्ष्मी' का ज्यादातर हिस्सा इसी बात का शिकार है। फिल्म का शुरुआती एक घंटा निराशाजनक है। इस हिस्से में कॉमेडी को महत्व दिया गया है, जो कि एकदम सपाट है। बीच-बीच में हॉरर सीन आते हैं, लेकिन प्रभावशाली नहीं हैं।
अक्षय कुमार ने अपने अभिनय के दम पर फिल्म को ऊंचा उठाने का प्रयास किया है लेकिन कमजोर स्क्रीनप्ले के कारण वो भी असफल ही रहे। किआरा आडवाणी भी स्क्रीन पर शो पीस बन कर रह गई। छोटे रोल में शरद केलकर काफी असर छोड़ते हैं। राजेश शर्मा, मनु ऋषि चड्ढा, अश्विनी कलसेकर, आयशा रज़ा बेहतरीन कलाकार हैं, लेकिन कमजोर निर्देशन की वज़ह से अपने कैरेक्टर के साथ न्याय नहीं कर पाए।निर्देशक के रूप में राघव लॉरेंस ने कहानी को बहुत ज्यादा नाटकीय तरीके से पेश किया है। फ़िल्म की कास्ट में शामिल लगभग सभी कलाकारों ने ओवर एक्टिंग की है जो आंखों के जरिये दिल मे उतर नहीं पाती है। फिल्म का संगीत औसत दर्जे का है। 'बुर्ज खलीफा' मिसफिट है। 'बम भोले' का फिल्मांकन शानदार है और यह फिल्म में ऊर्जा व गति पैदा करता है।