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-
संगीता
टंडन
रगमंच
से
अपने
करियर
की
शुरूआत
करने
वाले
शाहरूख
खान
अब
स्टारडम
की
ओर
बढ़
रहे
है।
पहले
शाहरूख
खान
के
जो
मन
में
आता
था
,
वहीं
बोल
देते
थे
,
उन्हें
याद
तक
नही
रहता
था।
मैंने
उस
व्यक्ति
को
क्या
बोल
दिया
है
!
लेकिन
अब
शाहरूख
खान
से
हमारी
मुलाकात
हुईं
तो
उनके
व्यवहार
में
बहुत
परिवर्तन
था
,
लग
नहीं
रहा
था
,
कि
‘
चमत्कार
’,‘
दीवाना
’,‘
राजू
बन
गया
जेंटलमैन
’
वाले
शाहरूख
खान
हैं
,
जैसे
ही
उन्होंने
फिल्म
‘
चमत्कार
’
की
वैसे
ही
उनके
बोलने
के
तरीके
में
रातों
-
रात
चमत्कार
हो
गया
है
!
वहाँ
भगवान
जब
करता
है
-
चमत्कार
तो
पता
नहीं
चलता
कब
इंडस्ट्री
में
चमत्कार
हो
जाए
!
यहाँ
फिल्
मी
दुनिया
में
रातों
-
रात
कुछ
भी
चमत्कार
हो
सकता
है
,
तभी
तो
शाहरूख
खान
के
बोलने
में
चमत्कार
ही
हुआ
हैं
,
अब
शाहरूख
फिल्म
साइन
करते
समय
स्क्रिप्ट
की
मांग
करते
है
,
उसके
बाद
ही
कुछ
हाँ
या
न
का
फैसला
करते
है
?
ऐसा
क्यों
करते
हैं
!
मेरे
पास
कुछ
निर्माता
ऐसे
आते
हैं
,
जिनके
पास
कहानी
पूरी
तो
होती
नहीं
है
,
और
वन
लाईन
मुझे
सुना
देते
है।
शुरू
-
शुरू
में
काफी
गलती
मैंने
की
थी
,
मुझे
सही
रास्ता
नहीं
पता
था
,
अब
मुझे
सब
रास्ते
पता
चल
गए
है।
मैं
उसी
प्रकार
ही
चलता
हूँ
,
अब
मैं
उन
फिल्मों
में
ही
काम
करना
चाहता
हूँ
,
जिनकी
स्क्रिप्ट
बिल्कुल
तैयार
हो
,
पूरी
स्क्रिप्ट
पढ़ने
के
बाद
ही
मैं
निर्णय
लेता
हूँ
।
क्योंकि
कई
बार
निर्माता
कहानी
में
फेर
बदल
कर
देते
है
,
बाद
में
पता
चलता
है
कि
कहानी
में
फेर
बदल
हुआ
है
,
उस
समय
बहुत
गुस्सा
आता
है।
आप
जो
फिल्में
साइन
करते
है
,
अगर
उसमें
दो
हीरो
होते
है
,
उस
वक्
त
आप
किस
बात
का
ध्यान
रख्ते
हैं
?
मैंने
अभी
तक
दो
फिल्में
की
है
,
दो
हीरो
वाली
उसमें
मैं
ध्यान
जरूर
रखता
हूँ
कि
दूसरे
हीरो
के
साथ
नाइंसाफी
न
हो
दोनों
के
रोल
बराबर
के
हों
!
कुछ
लोगों
का
कहना
है
कि
आप
कह
रहे
है
कि
आप
बहुत
जल्दी
सिगरेट
पीना
छोड़
देंगे
जबकि
आपका
यह
क्रम
तो
रोज
चालू
है
जबकि
आप
सिगरेट
पीना
नही
छोड़
सके।
’
फैसला
जरूर
किया
था
,
लेकिन
उस
फैसले
को
बदलना
पड़ा
!
क्यों?
क्यों
का
जवाब
देना
जरूरी
है
,
फिर
मैं
जरूर
जवाब
दूंगा
,
इस
जिंदगी
का
क्या
भरोसा
,
सोचा
जब
जीना
है
तो
खाते
-
पीते
जीऊँ
,
कल
की
किस
को
खबर
!
अभी
आप
हाल
ही
में
दिल्
ली
गए
थे
,
जहाँ
आपको
काफी
कठिनाईयों
का
सामना
करना
पड़ा
,
यहाँ
तक
कि
पुलिस
स्टेशन
तक
नौबत
आ
गईं
थी
,
इससे
पहले
ऐसी
कठिनाई
बम्बई
में
भी
आईं
थी
,
इस
बारे
में
कुछ
कहना
चाहेंगे
!
दिल्ली
डिफेंस
कालोनी
में
स्थित
दुकान
में
कब
से
ब्लैक
मार्केटिग
चल
रही
थी
,
मैंने
आर
.
पी
.
गुप्ता
को
इस
दुकान
का
कर्ताधर्ता
बना
दिया
था
,
मुझे
गुप्ता
जी
पर
बहुत
विश्वास
था
,
मुझे
ये
नहीं
पता
था
कि
मैं
अपने
ही
घर
में
साँपको
दूध
पिला
रहा
हूँ
!
कब
डंक
मार
देगा
!
गुप्ता
जी
से
मुझे
ऐसी
उम्मीद
नहीं
थी
,
उन्होंने
मेरी
गैर
हाजरी
का
पूरा
फायदा
उठाया
और
पैसों
से
अपना
घर
भरने
लगे
,
इस
बात
की
खबर
पुलिस
को
लग
गई
,
मुझे
इस
मामले
के
बारे
में
गुप्ता
जी
ये
कुछ
भी
नहीं
बताया
,
जब
मैं
दिल्
ली
गया
तो
पुलिस
ने
मुझे
हिरासत
में
ले
लिया
,
बाद
में
मुझे
पूरी
बात
का
पता
लगा
उसके
बाद
मुझे
जमानत
पर
छोड़ा
और
गुप्ता
जी
से
पूरी
छान
-
बीन
की
गई
उन्होंने
कबूल
कर
लिया
,
कि
शाहरूख
को
कुछ
नहीं
पता
है
इस
बारे
में
,
मैं
अब
किसी
पर
विश्वास
नहीं
करता
,
जिस
पर
भी
किया
है
,
उसने
हमेशा
उसी
थाली
में
खाकर
छेद
किया
है
!
अगर
मैं
इसी
तरह
विश्वास
करता
रहूँगा
तो
एक
दिन
-
मैं
फुटपाथ
पर
आ
जाऊंगा
,
पता
नहीं
लोग
क्
यों
अपने
मालिक
के
साथ
वफादारी
नहीं
करते।
इंसान
से
वफादार
तो
जानवर
होता
है
जो
,
अपने
मालिक
के
साथ
वफादारी
तो
करता
तो
है
!
आजकल
आप
निगेटिव
रोल
की
तरफ
ज्यादा
ध्यान
दे
रहे
है
?
हाँ
राहुल
रवैल
की
अगली
फिल्म
में
मैं
निगेटिव
रोल
कर
रहा
हूँ
,
वीनस
वालों
की
फिल्म
में
भी
मेरा
निगेटिव
रोल
है।
यहाँ
तक
कि
यश
जी
की
फिल्म
‘
डर
’
में
भी
मैं
निगेटिव
रोल
कर
रहा
हूं।
पर
उस
फिल्म
में
तो
आमिर
खान
निगेटिव
रोल
कर
रहे
थे
फिर
आपने
इस
फिल्म
में
?
आमिर
के
पास
डेट्स
की
प्राब्लम
थी
,
यश
जी
ने
मुझे
कान्टैक्ट
किया
और
कहानी
सुनाई
,
मुझे
अपनी
भूमिका
बहुत
पसंद
आईं
,
इसीलिए
मैंने
यह
फिल्म
साइन
की
,
एक
तरफ
आप
पोजिटिव
रोल
कर
रहे
हैं
,
दूसरी
तरफ
निगेटिव
.
क्या
आपको
दर्शक
इस
भूमिका
में
पसंद
करेंगे
?
क्यों
नहीं
,
क्या
मैं
एक
ही
इमेज
में
कैद
होकर
रह
जाऊँ
,
मैं
कलाकार
हूँ
,
अलग
-
अलग
प्रकार
की
भूमिकाएं
मैं
कर
सकता
हूँ
,
अब
मैं
चाहता
हूँ
कि
दर्शक
मुझे
निगेटिव
भूमिका
में
भी
देखे
,
पसंद
ना
पसंद
ये
तो
बाद
की
बात
है।
पहले
मैं
अपने
चाहने
वालों
से
यहीं
चाहता
हूँ
कि
वो
अपने
शाहरूख
खान
को
किस
भूमिका
में
ज्यादा
पसंद
करते
है।
यही
मैं
जानना
चाहता
हूँ
,
जब
तक
मुझे
अपने
चाहने
वालों
से
ये
नहीं
पता
चलता
कि
मैं
किस
भूमिका
में
कैसा
लगता
हूँ
,
तब
तक
मैं
हर
प्रकार
की
भूमिका
करता
रहूंगा
,
चाहें
वह
काॅमेडियन
की
भूमिका
हो
या
फिर
रोमांटिक
हर
प्रकार
के
रोल
करना
मुझे
अच्छा
लगता
है
,
इस
वर्ष
का
फिल्
म
फेयर
अवाॅर्ड
आपको
मिला
आप
उस
अवाॅर्ड
को
दिल्
ली
भी
लेकर
गए
थे
,
क्या
आप
दिल्ली
में
अपने
दोस्तों
आदि
को
दिखाने
के
लिए
वह
अवाॅर्ड
लेकर
गये
थे
,
या
फिर
आप
ये
दिखाना
चाहते
थे
कि
आपने
बहुत
बड़ा
तीर
मारा
है
?
(
थोड़ी
देर
के
लिए
टेंशन
में
आकर
सोचकर
बोले
)
ये
गलत
है
,
कि
मैंने
कोई
बड़ा
तीर
मारा
है
,
मुझे
तो
अभी
बहुत
कुछ
करके
दिखाना
है
,
ये
गलत
भी
है
कि
मैं
अवाॅर्ड
को
दिल्
ली
लेकर
गया
था
,
मुझे
शोबाजी
बिल्कुल
पसंद
नहीं
है
,
मैं
उस
अवाॅर्ड
को
दिल्
ली
ले
जाकर
क्या
सिद्ध
करना
चाहता
हूँ
कि
शाहरूख
खान
बहुत
बड़ा
कलाकार
हो
गया
है
,
मुझे
अपनी
तारीफ
करना
पसंद
नही
है
,
मेरी
तारीफ
लोग
मेरे
पीठ
पीछे
करें
उसी
में
मजे
की
बात
है
,
मुझे
अपनी
आने
वाली
फिल्मों
‘
डर
’
रमेश
सिप्पी
की
नयी
फिल्म
‘
ओ
डार्लिंग
ये
है
इण्डिया
’
आदि
फिल्मों
से
मुझे
बहुत
उम्मीदें
हैं
,
जो
मुझे
फिल्
म
फेयर
अवाॅर्ड
दिलाने
में
काफी
मदद
करेंगी
!
मेरां
एक
सपना
था
कि
क्या
मैं
भी
कभी
फिल्म
फेयर
अवाॅर्ड
ले
पाऊँगा
,
मेरा
वह
सपना
अवश्य
पूरा
हुआ
हैं।