मेरी बीवी मेरी कसौटी....शाहरुख खान By Mayapuri Desk 25 Nov 2020 | एडिट 25 Nov 2020 23:00 IST in एंटरटेनमेंट New Update Follow Us शेयर आनन्द कर्णवाल क्या बीसवीं शताब्दी के बचेकुचे सालों में हिन्दी फिल्मों के रूप में केवल खानों का बोलबाला रहने वाला हैं? संजय खान, फिरोज खान के बाद आये आमिर खान, सलमान खान और अभी-अभी सितारों की डगर पर पहुंचे हैं, शाहरूख खान, एक ही रिलीज फिल्म ‘दीवाना’ ने उन्हें दर्शकों के दिलों का राजा बना दिया है! आज मुंबई के छोटे बड़े ‘बैनर्स’ में केवल इसी शाहरूख खान की चर्चा है, भाई फिल्म ‘दीवाना’ में तो ऋषि कपूर जैसा बड़ा स्टार भी हीरो था, फिर शाहरूख खान के पीछे ही यह भागदौड़ क्यों? घोड़ा जबरदस्त दौड़ लगाता है, ऐसी दौड़ जो कोई टी.वी.सीरियल से बना “स्टार चाहे वह महाभारत का मुकेश खन्ना रहा हो या नीतिश भारद्वाज (कृष्ण) यह दौड़ फिल्म के मैदान में नही लगा सके शाहरूख ने उस धारणा को, कि टी.वी. स्टार केवल बाकुली के फूलों की तरह चन्द घन्टों की जिन्दगी लेकर पैदा होते है, को तोड़ दिया है, वो हिन्दी फिल्मों में स्थाई रूप से सालों साल रहने आये हैं! उनकी दूसरी फिल्म ‘चमत्कार’ जो पिछले सप्ताह रिलीज हुई वह भी हिट कहीं जा रही है! हमने कई मुद्दों को ध्यान में रखकर इस ‘स्टार’ से मिलने का फैसला किया था और जा पहुँचा था, उनके घर उनसे मिलने का वायदा लेकर दोनों ही फिल्मों ‘दीवाना’ और ‘चमत्कार’ पर मुबारकबाद देने के बाद “हमारा पहला स्वभाविक सवाल था कि इन पहली ही फिल्मों की सफलता के बाद आपकी अपने बारे में क्या प्रतिक्रिया है? कैसा महसूस कर रहे हैं आप ? नेचुरली महसूस तो बड़ा अच्छा हो रहा है । मेरी पहली ही फिल्में इतनी ज्यादा पसंद की जा रही है। मगर प्रतिक्रिया का जहाँ तक सवाल है वह वो नहीं जो आम जनता की है! मेरे ख्याल से ‘दीवाना’ में मुझे और संभल कर, ज्यादा ‘लाउड’ तरीके से काम नहीं करना चाहिए था, मुझे इतनी उतावली में काम करने की जरूरत नहीं थी, लेकिन लोगों ने फिर भी मुझे माफ किया है, पसंद किया है, शायद यह इस वजह से भी हुआ हो कि उन्हें एक ‘फ्रेश फेस’ देखने को मिला हो जो ‘एक्टिंग’ कर सकता है ऋषि कपूर जैसे ‘स्टार’ के सामने...” शाहरूख ने शायद अपनी इस अकस्मात सफलता को विनय जता कर बताया था। ‘फ्रेश फेस’ कहाँ.? आपको तो टीवी....माध्यम के जरिए देश भर की जनता कई सीरियलों ‘फौजी’,‘सर्कस’,‘दिल दरिया’ और ‘दूसरा केवल’ में बरसों से देख रही है..? हमने अपनी दलील दी तो वो बोले ‘दोनों मीडिया’ का बड़ा फर्क पड़ जाता है! भले ही टी.वी.स्टेज पर हमने एक ‘एक्टर’ को कई बार क्यों न देखा हो फिल्मों में अभिनय की अलग चुनौती होती है दर्शक अलग ढंग से उसे देखते हैं कल के ‘स्टार’ बनने की होड़ में उसे आँकते है वह फिर से नया ही लगता हैं, तो क्या ‘एक्टर’ से इन दो फिल्मों के जरिये ‘स्टार’ बन कर आपने साबित कर दिया है कि वह धारणा गलत है टी.वी.” स्टार फिल्मों में अपनी धाक नहीं जमा सकता! वह सीरियल के बाद जल्द ही भुला दिया जाता है? मैंने कभी इस धारणा को न तो कभी माना है न ही आज मानता हूँ कि टी.वी. स्टार फिल्मों के काबिल नहीं होते, उनकी लाइफ कम होती है, जब ‘स्टेज’ (रंगमंच) से कोई ‘एक्टर’ फिल्मों में आकर अपनी जगह बना सकता है तो टी.वी.सीरियल से फिल्मों में क्यों नहीं! बरशन्र्ते वह फिल्मों को लेने में जल्दी न करें, अच्छी भूमिकाएँ और फिल्में ही लें। मेरे ख्याल से दूसरे टी.वी. स्टार्स ने यही गलती दोहराई जिसकी वजह से वे भीड़ में गुम हो गए शाहरूख खान ने इस बारे में अपनी मान्यता को प्रकट किया था। सुना है आप अपनी पहली फिल्म रिलीज होने से पहले ही इतने न कॉन्फीडेंन्ट थे, कि आपने एक दो साइन करने के बाद ही 10-12 लाख मेहनताना मागना शुरू कर दिया था? इसमें बुराई क्या थी? मुझे साल में चार-पाँच फिल्में करनी थी, और मेरे सामने ऑफर बीसों होते थे, मुझे पता भी था, कि मेरे अभिनय को ‘ऑडियन्स’ जरूर पसंद करेगी, अब देखिए अब मेरी फिल्म हिंट हो गई हैं, तो मैं दूसरे हीरोस की तरह जिनकी पहली फिल्म हिट हो जाती है! 25-30 लाख भी तो नहीं माँग रहा हूँ । मुझे अपनी ‘वर्थ’ मालूम है, मैं केवल ज्यादा से ज्यादा फिल्म बटोर कर ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाने का ध्येय लेकर नहीं आया यहाँ... शाहरूख खान ने अपनी बात कहीं थी! यानि आप किसी हालत में भी पाँच-छः फिल्मों से ज्यादा नहीं लेंगे? पाँच-छः नहीं, चार-पाँच कही, मैं इससे ज्यादा फिल्में एक वक्त में न तो करना चाहता हूँ, न ही करूंगा, क्योंकि मैं स्वभाव से न तो जल्दबाज हूँ, काफी हद तक आलसी भी मानता हूँ, अपने आपको..लोग यहाँ कुंवारे आते हैं, स्थापित हो जाने के बाद ही शादी करते हैं, आप शादीशुदा यहाँ आए, एक हीरो के रूप में आप इसे ‘ड्रा बेक’ कहेंगे या फायदेमन्द चीज? हर-हालत में फायदेमंद, अगर घर में ही ‘क्रिटिक’ पत्नी के रूप में मौजूद हो तो ज्यादा इधर-उधर की सुनने की जरूरत नहीं शाहरूख ने अप्रत्यक्ष रूप से अपनी पत्नी से ‘टिगल’ की थी, ‘क्रिटिक’ यानी कि आपकी पत्नी आपके काम की आलोचना भी करती हैं! उन्होंने आपका फिल्मों में काम देखा होगा । जरा उनकी प्रतिक्रिया बतायेंगे? “बस ना ही पूछो तो अच्छा होगा! पहले मेरा मतलब शादी से पहले मैं गौरी को ज्यादा पसंद नहीं था, क्योंकि उनकी राय में मैं सुन्दर नहीं हूँ अब ‘एक्टिंग’ के बारे में भी उसे लगता है मुझे ओवर रेटेड किया गया है, मैं कोशिश करता हूँ, कि मैं ज्यादा ‘प्रेजेन्टेबल’ लगूँ अच्छी एक्टिंग करूँ... एक दो फिल्में आपकी रिलीज हुई कि तमाम फिल्म ‘सर्कल’ में सलमान खान के साथ आपकी तुलना शुरू हो गईं। आप इस पर क्या प्रतिक्रिया देंगे, क्या वाकई आप सलमान के लिए चुनौती बनना चाहते हैं, बिल्कुल नहीं, सलमान के लिए चुनौती बनने का मेरा कोई इरादा नहीं! मैं अपना ‘क्लोजेस्ट’ प्रतिद्वंद्धि अगर किसी. को मानता हूँ, तो वह आमिर खान हो सकता है, मैं आमिर को नई पीढ़ी का अच्छा ‘एक्टर’ मानता हूँ, मैं भी उस एक्टर स्टार केटेगिरी में पैर जमाने की बात सोचता हूँ, थोड़ा काम मगर एकदम बढिया और लोगों को पसंद आ जाने वाला... अच्छा शाहरूख यह तो बताईए कि अक्सर पिछले दिनों में जितने भी नए हीरो स्टार बने सभी ‘सोलो’ फिल्मों के हिट हो जाने के फलस्वरूप आए! लेकिन आपकी हरेक फिल्म में जो अब तक आई हैं, या आने वाली हैं उनमें ऋषि कपूर, नसीरुद्दीन शाह, जीतेन्द्र आदि बड़े नाम होते हैं! उनके सामने अभिनय करना आपके लिए मुश्किल काम हुआ क्या उनसे आपको कोई मदद मिली अपने अभिनय को ऊपर उठाने में ? भाई कहा तो यही जाता है, कि अगर सामने अभिनय करने वाला ‘एक्टर’ अच्छा मिले तो ‘एक्शन रियेक्शन’ से अभिनय में और निखार आ जाता है! लेकिन मैंने ऐसा कभी महसूस नहीं किया। मेरे लिए फिल्म में कितने भी ‘स्टार’ क्यों न हो कोई फर्क मुझे नहीं पड़ता! मैं जब तक अपना काम समझता हूँ, या करता हूँ कोई फर्क नहीं पड़ता... शायद इसीलिए आपको नए चेहरों में सबसे ज्यादा ओवर कान्फीडेन्ट ‘एक्टर’ माना जाता है? क्यों नहीं, मुझे अपने अभिनय पर भरोसा है, उसमें कोई शक नहीं कि मैं अपना काम ठीक से नहीं कर पाऊँगा तो उसे कोई ‘कान्फीडेन्स’ का नाम दे सकता है, तो कोई ‘ओवर कान्फीडेन्ट’ भी कह सकता है... इन सफल फिल्मों के बाद आपको फिल्मों के ‘ऑफर्स’ की एक बाढ़ भी आई होगी, आपने किन किन ‘ऑफर्स’ को स्वीकार किया किन को नहीं? ‘ऑफर्स तो मुझे मेरी पहली ही फिल्म ‘दीवाना’ और ‘दिल आशना है’ से आ रहे हैं लेकिन मैंने सोच रखा था पहले हाथ की फिल्में पूरी करूँगा, फिर अगली फिल्मों का कोटा लूंगा वैसे हाल फिलहाल रमेश सिप्पी और मनमोहन देसाई की फिल्में मैंने साइन की हैं। वैसे मैं कुदंन शाह की ‘कभी हाँ कभी न’ और राकेश रोशन की ‘किंग अंकल’ और हेमाजी की ‘दिल आशना है के रिलीज की इन्तजार में हूँ..” एक ओर ‘दीवाना’ और ‘चमत्कार’ जैसी कोरी कामर्शियल फिल्में दूसरी ओर कुदंन शाह की ‘कभी हाँ कभी ना’ और ‘राजू बन गया जेन्टलमैन’ क्या आप कॉमशियल और कलात्मक दोनों तरह की फिल्मों में साथ-साथ काम करने का ध्येय रखते हैं जरूर, मैं साल की पाँच फिल्मों में एक ऐसी ‘क्लासी’ फिल्म भी करते रहना चाहता हूँ बशर्तें मुझे मेरा रोल पसन्द आये...” और वे अंदर किसी जरूरी काम से चले गए हमने उनके पुराने सहयोगी विवेक वासवानी से उनके बारे में चन्द सवाल किए, जिसके जवाब में वे बोले शाहरूख ने जो अपने लिए गोल बनाये है, उसके पीछे उनकी काफी थिंकिंग हैं, किसी भी फिल्म को लेने से पहले वह किसी ‘लेबोरेट्री’ में ‘टेस्ट’ करने की तरह पहले रोल, फिर ‘डायरेक्टर’ फिर फिल्म कितने दिन में बनेगी तीन चीजों को कड़ाईं से जाँचता है, फिर ‘प्राइज’ की बात करता है, वह उन निर्माताओं को ‘एनकरेज’ नहीं करता जो बस आज की हवा में उसे साइन करके डालना चाहते हैं, इट इज गुड साइन. #शाहरुख खान हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article