मैं बिहार की भलाई के लिए प्रचार में उतरा हूं...'
इनदिनों बिहार में विधान सभा का चुनाव चल रहा है।भोजपुरी फिल्मों के स्टार सुदीप पांडे इनदिनों वहां चुनाव प्रचार में ज़ोर शोर से डटे हैं। सुदीप पहली बार किसी राजनैतिक हलचल में हिस्सा ले रहे हैं,इसलिए उनको सुनने के लिए लोग खूब रुचि ले रहे हैं। सुदीप की कई भोजपुरी फिल्में
( 'भोजपुरिया भइया' , 'भोजपुरिया दरोगा'...आदि ढेरों) बिहार में खूब चली हैं। एक हिंदी फिल्म भी जो वह खुद प्रोड्यूस किए थे, ने पिछले दिनोंअच्छी खासी चर्चा बटोरा था ।
इनदिनों सुदीप पांडे ने भी भोजपुरी के दूसरे स्टारों की तरह राजनीति का रास्ता पकड़ लिया है। उनको शरद पवार की पार्टी-राष्ट्रवादी कांग्रेस NCP ने महाराष्ट्र का महासचिव सह नियुक्त किया है। वह इनदिनों अपनी पार्टी के बिहार के चुनाव प्रभारी हैं। उनसे हमारी टेलीफोनिक बातचीत होती है तो वह अपनी राजनीतिक गतिविधियों को लेकर 'मायापुरी' के लिये हमसे खुलकर चर्चा करते हैं।
'राजनीति में आने का शौक कैसे लगा?'
'शौक नहीं ज़रूरत है। मैं बिहार का हूं।अपने प्रदेश केलिए हमेशा से कुछ करने की इच्छा रही है।लेकिन , कुछ करने के लिए आपको प्लेटफार्म चाहिए। मुझे यह प्लेटफार्म एनसीपी से मिला तो मैंने सोचा मुझे कुछ करने के लिए सही मौका मिल रहा है।बस, इसी सोच के चलते राज कारण से जुड़ा हूं।
वह आगे कहते हैं- ' इधर कुछ दिनों से देख रहा हूं कि राजनैतिक पार्टियां किस तरह से उत्तरप्रदेश और बिहार के लोगों का लाभ उठाती रही हैं और उनके ही लोगों को दुत्कारती भी रही हैं। किस तरह से मजदूरों का पलायन हुआ है और वे कैसे लाचार रहे हैं...यह क्यों? क्योंकि बिहार में उनके लिए व्यवस्था नही है। मुझे इस बात पर गुस्सा था। जब मुझे एनसीपी ने मौका दिया तो मुझे लगा सिर्फ यही पार्टी है जो गन्दी ,जातिपाति की और अवसरवादिता की बात नही करती। हमारी पार्टी के बड़े नेताओं के मुँह से कभी आपने नहीं सुना होगा। बिहार के लोग और मेरे फैंस भी चाहते थे , तो मैं यहां का प्रभारी बनकर पार्टी को मजबूती देने के लिए और बिहारी भाईयों को जागरूक करने के लिए चुनाव प्रचार में आ गया हूं।'
यहां बीजेपी, आरजेडी, जेडीयू जैसे जमें- जमाए दल हैं।आपकी पार्टी कमज़ोर अवस्था मे है, ऐसे में अपनी पार्टी के साथ आप क्या बदलाव दे पाएंगे? '
'हम लोगों को यही तो जागरूकता देना चाहते हैं। लोग वैसे के वैसे ही चलेंगे तो प्रदेश विकाश कैसे करेगा? एक जंगलराज दे गया, दूसरा कुछ कर नही पा रहा, तो हल क्या है ? फिर क्यों नही तीसरी सोच पर विचार करके वोट किया जाए। तीसरा मोर्चा महाराष्ट में चल रहा है कि नही चल रहा! हमारी पार्टी वहां शाशन में है। वैसे प्रयोग बिहार में भी हो जाए तो बिहार का भला होगा।'
' आप बिहार में, तेजस्वी यादव और चिराग पासवान के लिए क्या कहेंगे '
' तेजस्वी 20 महीने सत्ता में भागीदार थे, तब क्यों कुछ नही किए ? तब भी तो 10 लाख नौकरियों का जुमला फेंक सकते थे। चिराग की तो बात ही नही समझ मे आती की वह कैसी राजनीति करना चाहते हैं। सच तो यह है कि सभी पार्टियां चाहे बीजेपी हो या दूसरी सभी जुमलेबाजी करने में लगी हैं।लेकिन एक बात जान लीजिए कि बिहार की जनता बेवकूफ नही है। सब समझ रखते हैं । वक्त बदल चुका है और अब वोटर समझ कर वोट करेंगे।'
राष्ट्रवादी कांग्रेस के महासचिव, बिहार चुनाव के प्रभारी, स्टार- प्रचारक और अभिनेता- सुदीप पांडे कहते हैं