बॉलीवुड में तमाम हस्तियाँ ऐसी हैं, जो कि प्रोफेशनल प्रतिस्पर्धा के बावजूद हर किसी की हर संभाव मदद करते हुए नजर आती हैं। इनमें से परंपरा, दरार, अधिकार, कर्ज, आशीर्वाद, झूठा सच, वारिश, अभिमान, दहलीज दिल दे के देखो सहित 35 से अधिक सर्वाधिक चर्चित और सफल टीवी धारावाहिकों के निर्माता मनीष गोस्वामी तो उनमें से हैं, जो कि दूसरे निर्माताओं व कलाकारों को आगे बढ़ने मे मदद करने से कभी पीछे नहीं रहते। तभी तो जब नीना गुप्ता ने अपनी आत्मकथा रूपी पुस्तक ‘सच कहूं तो’ लिखी, तो उसमें मनीष गोस्वामी का उल्लेख करना नहीं भूली। नीना गुप्ता ने अपनी किताब में लिखा है- “मुझे परंपरा के निर्माता मनीष गोस्वामी से ढेर सारी मदद मिली।”
जी हॉ! बॉलीवुड की मशहूर अदाकारा और कई टीवी सीरियलों की निर्माता व निर्देशक नीना गुप्ता की आत्मकथा ‘सच कहूं तो’ ने इंटरनेट पर तहलका मचा रखा है। लोकप्रिय अभिनेत्री की किताब का विमोचन वस्तुतः करीना कपूर खान ने किया था। दिग्गज अभिनेत्री ने सोशल मीडिया पर यह खबर साझा करते हुए लिखा था- “खूबसूरत करीना के साथ अपनी पहली किताब लॉन्च करने के लिए उत्साहित हूँ, जिनकी मैं वास्तव में प्रशंसा करती हूँ। हमें 14 जून को लाइव कैच करे।”
नीना गुप्ता की आत्मकथा रूपी किताब को बाजार में आए लगभग एक माह हो गया है। अब तक जिसने भी इस किताब को पढ़ा है, वह सोशल मीडिया पर इसका किस्सा शेयर कर रहा है। इससे नीना गुप्ता काफी उत्साहित हैं।
नीना गुप्ता की बेटी मसाबा ने सबसे पहले अपने सोशल मीडिया फॉलोअर्स को नीना के मायके के सफर की झलक दी। नीना गुप्ता ने अपनी किताब ‘‘सच कहॅूं तो’’ में निर्माता मनीष गोस्वामी का उल्लेख किया है।
नीना गुप्ता द्वारा अपनी किताब में अपना जिक्र किए जाने पर जब हमने मनीष गोस्वामी को कुरेदा तो उन्होंने कहा- “जीटीवी पर निर्माता के रूप में सीरियल ‘परंपरा’ मेरा पहला प्रसारित होने वाला सीरियल था, जो कि 1993 से 1998 तक प्रसारित हुआ था। इसने सफलता के कई इतिहास रचे थे। इस सीरियल में मोहन भंडारी सहित कई कलाकारों के साथ नीना गुप्ता ने भी अभिनय किया था। किसी सेटेलाइट चैनल पर नीना गुप्ता के अभिनय वाला ‘परंपरा’ पहला सीरियल था। एक दिन नीना गुप्ता ने बताया कि वह सेटेलाइट चैनल के लिए एक सीरियल का निर्माण करने जा रही हैं, तो मैंने अपने स्वभाव के अनुरूप उनसे कह दिया कि आपको जिस तरह की भी मदद चाहिए, आप बताइएगा, मैं आपके प्रोडक्शन हाउस को स्थापित होने में पूरी मदद करुंगा। उसके बाद मैंने उनकी आर्थिाक मदद करने के अलावा निर्माणकी हर समस्या का निदान किया था। मैंने उन्हें तकनीशियन की टीम बनाकर दी थी। इतना ही नहीं जब भी उन्हें निर्माण संबंधी गतिविधियों पर सलाह की आवश्यकता होती, मैं उनका मार्गदर्शन करता था। वह दिल से एक बच्ची है, भावुक और मेहनती हैं।”