समय समय की बात है! खबर है दक्षिण की बनी एक फिल्म का हिंदी रीमेक बनाने के लिए मुम्बई के एक निर्माता ने मधु के द्वारा अजय देवगन को काम करने के लिए मनाने के लिए कहा है। वजह दक्षिण की उस फिल्म की हीरोइन मधु ही है। इस खबर के बाद हमारे जहन में उस शूटिंग के सेट का दृश्य घूमने लगता है जब पहलीबार अजय देवगन और मधु एक फिल्म से इंट्रोड्यूज किये जा रहे थे। फिल्म थी 'फूल और कांटे''। निर्माता थे- दिनेश ब. पटेल और निर्देशक थे- कुकू कोहली। यह फिल्म खूब सुपर डुपर हिट हुई थी। फिल्म रिलिज के बाद दोनों स्टार बन गए थे।पर इस फिल्म की शूटिंग के समय लोकेशन स्पॉट पर दोनों सितारों का भाव कुछ यूं था....
दक्षिण मुंबई के एक बड़े पार्क में फिल्म का गीत फिल्माया जा रहा था। पीआरओ राजू कारिया ने फोन किया था- 'यार, एक नई फिल्म है।नया लड़का-लड़की है , उनको कवर करने चलना है, चल सकोगे?' फिर, उसने चार पत्रकारों के नाम और बताए कि वो- वो भी चल रहे हैं।राजू ने बताया -'लड़का फाइट मास्टर वीरू देवगन का बेटा है और लड़की हेमा मालिनी की भतीजी है।'' हेमा जी का जलवा उनदिनों सब पर हावी था, उनके भाई की लड़की है तो वो भी जलवेदार ही होगी, यही सोचकर हम कुछ पत्रकार उस शूटिंग पर पहुचे थे। सेट पर, कैमरे से थोड़ी दूर एक कुर्सी पर सफेद कपड़ों में फाइट मास्टर वीरू देवगन बैठे हुए दिखाई पड़े।उनके साथ बैठकर बात करनेवाले आदमी ने मुझे देखकर आवाज लगाया-'शरद जी इधर ही आ जाओ।'
यह सुदर्शन रतन थे जो वीरू जी के अच्छे मित्र थे, फिल्म डायरेक्टर बनने की कोशिश में थे और मैं भी उनके साथ पहले भी वीरुजी को मिल चुका था।फाइट मास्टर होते हुए भी वीरू जी इतने सभ्य, डिसेंट और कोमल हृदय व्यवहार देते थे कि उनको एकबार मिलने वाला उनका अपना होगया मानने लगता था। मैं देरतक उनके पास ही बैठकर चाय पीते हुए बातें करता रहा। इस बीच देखा कि सारे पत्रकार और फोटोग्राफर नई लड़कीं मधु के साथ बात करने और फोटो खींचने में लगे हुए थे।वजह वही थी कि वह हेमा मालिनी की भतीजी थी और सब उसको फ्यूचर का स्टार समझकर कवरेज करने में जुड़े थे। हीरो जो नया लड़का था-अजय-एक दूसरी तरफ अकेले कुर्सी डाले बैठा था।आखिर बाप तो बाप ही होता है, बोले- 'तुम लोग उसको भी बात करलो , हीरो है... मेरा बेटा है।' और, वो विशाल बोलकर आवाज लगाये लड़के को। मैंने कहा, नही नहीं बुलाइए मत ! हमलोग वहीं जाते हैं।
फिर मैं, अकेले बैठे उस लड़के के पास जाकर दूसरे पत्रकारों (छाया मेहता, ज्योति वैष्णव, एस. के.पांडे, के. सरोज वगैरह) को बुलाया और हमलोग फिल्म के हीरो से बातें करने लगे। यह लड़का भी बाप की तरह ही बेहद संतुलित दिमाग का था।उसमें कोई घाईपना ( बेचैनी) नहीं थी कि लोग उसको नेगलेक्ट करके मधु के पास ही क्यों घिरे हैं। तब हममें से किसी को भी अंदाजा नहीं था कि वह शर्मिला सा लड़का जो मुह से कम बोल रहा था किंतु लड़के की आंखें बोल रही थी, वो एकदिन 'अजय देवगन' के नाम से फिल्मों में शुरुवात लेनेवाला बॉलीवुड का इतना बड़ा स्टार बन जाएगा! अजय देवगन का एक इंटरव्यू हालांकि एक अंग्रेजी की पत्रिका में छप चुका था लेकिन पीआरओ राजू कारिया के अनुसार हम सबने पहलीबार उस लड़के का इंटरव्यू छापा था।
इसीलिए कहते हैं ना कि समय समय की बात होती है।उस समय सेट पर उपस्थित स्टार मधु ने भी बहुत काम किया। दोनोजोडे स्टार बन कर ही रहे।लेकिन आज जब सुनता हूँ कि अजय देवगन को काम करने के लिए किसी निर्माता ने मधु से सिफारिस करवाया है तो हमे 'फूल और कांटे' के सेट से वे सारे फूल ही फूल दिखाई दे रहे हैं जो अजय पर बरसात कर रहे हैं।