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इस एडुटेनमेंट म्यूजिक वीडियो के साथ, ऑक्सफैम इंडिया ने कहा, शादी की उम्र को कानून नहीं बल्कि मैटर ऑफ चॉइस बनाएं

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इस एडुटेनमेंट म्यूजिक वीडियो के साथ, ऑक्सफैम इंडिया ने कहा, शादी की उम्र को कानून नहीं बल्कि मैटर ऑफ चॉइस बनाएं

ऑक्सफैम इंडिया का एजेंट्स ऑफ इश्क के साथ म्यूजिकल जुड़ाव, लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने जैसे कम कारगर उपायों की तुलना में बेहतर शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और आजीविका के माध्यम से लड़कियों के लिए बेहतर वातावरण तैयार करने पर जोर देता है। ऑक्सफैम इंडिया और एजेंट्स ऑफ इश्क ने लड़कियों की शादी की उम्र में बढ़ोतरी करने के सरकार के प्रयास पर और गंभीर चर्चा करने के लिए हाथ मिलाया है। यह गाना पैट्रियार्की को #SorryThankYouTataByeBye  कहने के साथ ही नीति नियंताओं से लड़कियों के लिए एक सशक्त आवाज उठाने की मांग करता है।

SorryThankYouTataByeBye गाने को यहां देखें

ऑक्सफैम इंडिया के #EmpowermentNotAge कैंपेन के तहत तैयार किए गए इस वीडियो सॉन्ग का इस्तेमाल पूरे भारत में कम्युनिटीज, सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर्स, डिजिटल प्लेटफॉर्म्स और फेमिनिस्ट ग्रुप्स (नारीवादी समूहों) द्वारा यह दिखाने के लिए किया जाएगा कि बेहतर शिक्षा, रोजगार के अवसर, हिंसा से सुरक्षा के माध्यम से युवा महिलाओं के जीवन में सुधार हो रहा है। और इस तरह सीधे तौर पर यह उनकी शादी की उम्र बढ़ाने में योगदान करता है। यह सॉन्ग हर साल 25 नवंबर से 10 दिसंबर तक आयोजित होने वाले लिंग आधारित हिंसा के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र के 16 दिवसीय एक्टिविज्म की पृष्ठभूमि में तैयार किया गया है।

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ऑक्सफैम इंडिया के सीईओ अमिताभ बेहर ने कहा “हमें भारत में हर दिन महिलाओं और लड़कियों द्वारा सामना की जाने वाली जमीनी हकीकत और हिंसा पर कड़ी नजर रखने की जरूरत है। लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु को 18 वर्ष से बढ़ाकर 21 वर्ष करने जैसे कानून शुरुआत में प्रगतिशील कदम लग सकते हैं, लेकिन यह भारत में उन 63% महिलाओं के परिवारों को अपराधी बना देगा, जिनकी शादी 21 साल से कम उम्र में हो गई है। ऑक्सफैम इंडिया, इस गाने के माध्यम से सरकार और समाज से लड़कियों के लिए भेदभाव और हिंसा मुक्त वातावरण तैयार करने में उनके सामने आने वाली सिस्टेमिक चैलेंज का हल ढ़ूढ़ने की मांग कर रहा है।'

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छह मिनट का यह वीडियो सॉन्ग युवाओं, नागरिक समाज, आम जनता और सरकारों को लड़कियों के लिए शादी की उम्र के विषय की जटिलता, च्वाइस और एजेंसी को समझाने की कोशिश करता है। यह विवाह की उम्र बढ़ाने के मुद्दे पर एक गंभीर व गहन चर्चा शुरू करने की भी उम्मीद करता है क्योंकि इस फैसले का दलित और आदिवासी समुदायों की महिलाओं और लड़कियों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।

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