फिल्म निर्मात्री प्रज्ञा कपूर को स्थायी जीवन के अपने विचारों के माध्यम से पर्यावरण-संवेदनशीलता के लिए जानी जाती है और सक्रिय भागीदारी की आवश्यकता वाले कई अभियानों को अपना समर्थन देती है।आज विश्व सफाई दिवस है, यह प्रज्ञा की इको-सेंसिटिविटी की किताब से एक सबक लेने का अच्छा समय है।
प्रज्ञा कपूर ‘जीरो-वेस्ट लाइफ स्टाइल’ को लेकर लोगों में जागरूकता लाकर पारिस्थितिक संतुलन बहाल करने की दिशा में लगातार काम कर रही है। वह इस संबंध में उदाहरण पेश करती है क्योंकि उन्होंने अपने घर और कार्यालय को जीरो वेस्ट इकाइयों में बदल दिया है। उनके सफाई अभियान ने हिमाचल प्रदेश में कई पर्यटन स्थलों को सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसके लिए उनके ‘एक साथ फाउंडेशन’ ने ‘हीलिंग हिमालय’ के साथ मिलकर काम किया है।
इन दिनों गणेषोत्सव पूरे जोरों पर मनाया जा रहा हैं। अनंत चतुर्दषी के दिन जब मुंबई में गणपति विसर्जन होगा,तो उसके दूसरे दिन समुद्र तट पर दिल दहला देने वाले नजारे देखने को मिलने की उम्मीदे हैं। लेकिन प्रज्ञा कपूर ने अभी से इसके लिए कमर कस ली है। प्रज्ञा कपूर कहती हैं- “हमें अपने परिवेश को साफ रखने के लिए खुद को याद दिलाने के लिए किसी विशेष दिन की आवश्यकता नहीं है। यह कुछ ऐसा है जिसे समाहित किया जाना है। यही कारण है कि हम 20 सितंबर को जुहू बीच पर सफाई अभियान चला रहे हैं। हम सभी से आग्रह करते हैं कि वह हमारे साथ जुड़ें।”
आपके लिए साफ सफाई अभियान के क्या मायने हैं? इस सवाल पर प्रज्ञा कपूर ने कहा- “यह ऐसा काम है,जिसे हर इंसान को हरदम करते रहना चाहिए। यह वास्तव में दयालु होने और उस विश्वास प्रणाली को अपनी जीवन शैली में प्रवेश करने देने के बारे में है। आप पाते हैं कि पृथ्वी के लिए आपका प्यार आपके जीवन में उतरता है, आपके आस -पास की हर चीज को सुधारता है। आप हमेशा खुद को अपनी जीवनशैली की आदतों, आपके द्वारा उपयोग की जाने वाली चीजों और ग्रह पर उनके संभावित प्रभाव का मूल्यांकन करते हुए पाते हैं। यह अब मेरी पहचान का एक हिस्सा है और मैं दुनिया को किसी अन्य लेंस के माध्यम से नहीं देखना चाहती।”