हम आजाद हैं। हमें अपनी आजादी पर गर्व है। हमें इस बात की ख़ुशी और गर्व है कि भगवान ने हमें हिंदुस्तान में पैदा किया। मुझे भारतीय होने का गर्व है।
हम बॉलीवुड में कार्यरत हैं। हमें इस बात की ख़ुशी है कि बॉलीवुड आजादी के पहले से ही हर देषवासी के मन में देष प्रेम व देषभ्क्ति को जगाने के लिए फिल्में बनाता रहा है। हमने 15 अगस्त से दो दिन पहले ही अपनी फिल्म “भुज द प्राइड आफ इंडिया” प्रदर्षित की है। यह फिल्म “हॉटस्टार डिज्नी” पर स्ट्रीम हो रही है। यह फिल्म जहां हमारे देश के वीर सैनिको और वीरांगनों को सैल्यूट है, वही यह फिल्म औरतों के षौर्य, लगन और देषभक्ति को सेलीब्रेट करती है।
हमारी फिल्म “भुज: द प्राइड आफ इंडिया” भारत के 1971 के एक सत्य ऐतिहासिक घटनाक्रम पर आधारित है। 1971 में भारत व पाकिस्तान के बीच युद्ध के दौरान गुजरात के भुज एअरबेस के रनवे को पाक सेना ने बमबारी करके तहस नहस कर दिया था। उस वक्त भुज एअरबेस के तत्कालीन प्रभारी आईएएफ स्क्वाड्रन लीडर विजय कर्णिक और उनकी टीम ने मधापर व उसके आसपास के गांव की 300 महिलाओं की मदद से वायुसेना के एयरबेस का पुनः निर्माण किया था। इन तीन सौ औरतों में मेरी नानी मां लक्ष्मी परमार भी एक थी। यानी कि मेरी मां लक्ष्मी परमार ने भुज के इस एअरबेस के रनवे को बनाने में योगदान दिया था।मेरी नानी मां ने यह सारी कन्हियाँ मुझे कई बार सुनायी थी। हम इसी ऐतिहासिक घटनाक्रम को इस फिल्म के माध्यम से वर्तमान पीढ़ी के लिए लेकर आए हैं।