Review: सिर्फ एक वीडियो गेम नहीं, समाज पर कटाक्ष भी है Free Guy By Mayapuri Desk 26 Sep 2021 | एडिट 26 Sep 2021 22:00 IST in एंटरटेनमेंट New Update अच्छे फिल्ममेकर और औसत फिल्ममेकर में यही फ़र्क होता है कि औसत फिल्ममेकर एक फिल्म बनाता है जो मनोरंजन करती है, अच्छा फिल्ममेकर उसमें मनोरंजन के साथ साथ सामाजिक संदेश दे देता है। कुछ ऐसी ही फिल्म है ‘Free Guy ’ इसकी कहानी शुरु होती है Guy यानी रियान रेनोल्ड्स के वोइसओवर से, और स्क्रीन पर एक सुपर हीरो दिखाया जाता है जो Free City की ओर उड़ता जा रहा है और Guy बताता है कि जो लोग सनग्लासेस पहनकर आते हैं वो कुछ भी कर सकते हैं। उनके लिए लॉ एन्फोर्समेंट आदि कोई ख़ास बड़ी चीज़ नहीं होती। वो एक बैंक में काम करता है जहाँ रोज़ कई-कई बार डकैती पड़ती है और बाकी स्टाफ के साथ Guy के लिए ये भी एक नार्मल सी बात है। Guy अपनी ज़िन्दगी में अपनी ड्रीम गर्ल का इंतज़ार कर रहा है। वो ड्रीम गर्ल जो उसे कभी नहीं मिली, एक रोज़ सनग्लासेस पहने दिखती है और वो दीवानों की तरह उसके पीछे चला जाता है। लेकिन एक ट्रेन उसे कुचल देती है। अगले रोज़ फिर वह वहीं अपने बिस्तर से उठता है और अपनी फेवरेट शॉप पर रोज़ एक ही सी कॉफी पीता है। लेकिन उस लड़की से मिलने के बाद उसे एहसास होता है कि वो सेम लाइफ जी रहा है। अगले रोज़ वो बैंक लूटने वालों से उनका चश्मा छीन लेता है। तब उसे पता चलता है कि चश्मा लगाते ही दुनिया भर के आप्शन्स, कैश, मिशन्स आदि दिखने लग जाते हैं। सब एक ही रूटीन लाइफ जी रहे हैं। वो उस लड़की से मिलता है और तब ऑडियंस को पता चलता है कि वो एक गेम में एक प्रोग्राम किया हुआ नॉन-प्लेयिंग करैक्टर है। अब एक गेम का करैक्टर, जिसे प्रोग्राम किया गया है, उसे प्यार हो जाता है और वो जानता भी नहीं है कि वो कोई करैक्टर है। दूसरी ओर असल दुनिया में इस करैक्टर को लेकर हंगामा हो गया है कि आख़िर कौन सा प्लेयर है जो इसको चला रहा है? वहीं वीडियो गेम की सबसे बड़ी कम्पनी ‘सुनामी’ का सीईओ ‘एंटवान’ किसी भी कीमत पर पैसा कमाना चाहता है, उसपर गेम चुराने का भी इल्ज़ाम है। इस कहानी पर ऐसी कुछ फिल्में बनी ज़रूर हैं लेकिन मैट लिबरमैन और ज़ैक पैन का स्क्रीनप्ले बिल्कुल नया है। डायरेक्टर शॉन लेवी ने कुछ जगह फिल्म की ग्रिप ज़रूर ढीली की है पर ओवरआल डायरेक्शन बहुत बढ़िया है। एक्टिंग की बात करूँ तो रयान रेनोल्ड्स की कॉमिक टाइमिंग का जवाब ही नहीं है। उनके सिवा शायद ही कोई Guy के करैक्टर को जस्टिफाई कर सकता था। एक्ट्रेस जोडी कॉमर भी बहुत खूबसूरत और क्यूट एक साथ लगी हैं। उनकी एक्टिंग भी शानदार है। कॉमिक रोल में रिल रेल हाउवरी और प्रोग्रामर के करैक्टर में जो कीरी और इंडियन एक्टर उत्कर्ष अम्बुदकर अपने अपने रोल में अच्छे लगे हैं। थॉर रेग्नरोक और जोजो रैबिट जैसी ज़बरदस्त फिल्मों के डायरेक्टर एक्टर ताईका वटीटी का रोल छोटा है पर उनकी एक्टिंग और बॉडी लैंग्वेज ज़बरदस्त है। उनकी कॉमिक टाइमिंग का तो कोई जवाब ही नहीं है। बात एनीमेशन और वीएफेक्स की करें तो फिल्म क्योंकि गेमिंग से जुड़ी है इसलिए एनिमेशन का इस्तेमाल बहुत हुआ है। कुछ एक जगह पर ये ओवर भी लगता है लेकिन क्योंकि गेम्स में वाइब्रेंट एनिमेशन होता ही है, तो इसमें भी ओवर नहीं लगता। क्रिस्टोफर बेक का म्यूजिक भी अच्छा है। Guy के रोमांटिक सीन्स में अचानक कोई गाना बज जाना सीन में जान डाल देता है। कुलमिलाकर फिल्म में एक्शन, एडवेंचर, कॉमेडी, इमोशन्स, रोमांस और वो सबकुछ है जो एक मसाला फिल्म में होना चाहिए, लेकिन कुछ ऐसा भी है जो मसाला फिल्मों में नहीं होता है; वो है सेन्स! सोशल सेन्स पर फिल्म अच्छा कटाक्ष करती है। फिल्म के गेम Free City और Guy की लाइफ में कहीं न कहीं हमारी बंधी हुई जिन्दगियों की भी झलक मिलती है। हालांकि क्लाइमेक्स देखने के बाद लगता है कि ये और बेहतर हो सकता था, पर ओवरआल ये वीडियो-गेम बच्चे बूढ़े और जवान, सबको पसंद आने वाला बना है। रेटिंग – 8/10* सिद्धार्थ अरोड़ा ‘सहर’ हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Latest Stories Read the Next Article