Movie Review Sanak: सुपर एक्शन फिल्म सनक में मनोरंजन की कोई कमी नहीं है By Mayapuri 16 Oct 2021 in एंटरटेनमेंट New Update विद्युत जामवाल इकलौते ऐसे एक्टर हैं जो खुलकर कहते हैं कि वो सिर्फ और सिर्फ एक्शन करने के लिए इंडस्ट्री में आए है। विद्युत दुनिया भर में दिखाना चाहते हैं कि भारत की मार्शल आर्ट्स टेक्नीक कितनी प्रभावशाली है। जैसा कि ट्रेलर में दिखाया है, फिल्म की कहानी विवान (विद्युत जामवाल) और अंशिका मैत्रा (रुकमनी मैत्रा) के रोमांटिक सीन से शुरु होता है। अगले ही पल अंशिका की तबियत ख़राब होती है और उसके अगले पल में डॉक्टर 75 लाख रुपये का हार्ट ओपरेशन बता देते हैं। विवान अपना घर बेचकर अपनी पत्नी अंशिका का इलाज करवाता है। इलाज ख़त्म होने के बाद, जिस दिन डिस्चार्ज होना था, उसी दिन हॉस्पिटल पर 10-11 गुंडे अटैक कर देते हैं और उनका लीडर साजू (चन्दन सान्याल) सारे पेशेंटस और क्रू को होस्टेज बना लेते हैं। बाकी आप बेहतर जानते हैं, यहाँ से विवान उर्फ़ विद्युत जामवाल, जो इसमें एक्स-एमएमए (मिक्स मार्शल आर्ट्स) फाइटर बने हैं। साजू एंड टीम एक खूफिया मिशन के चलते होस्टेसेस को मारने की धमकी देते हैं। दूसरी ओर, जयंती भार्गव (नेहा धूपिया) एसीपी हैं और हालात का जायज़ा ले रही हैं। पर विवान एक-एक करके गुंडों को मारना शुरु कर देते हैं और क्लाइमेक्स में वही सब होता है जो ऐसी फिल्मों में होना चाहिए। प्रेडिक्टेबल होते हुए भी कनिष्क वर्मा की पहली फिल्म बोर नहीं करती। विद्युत जामवाल का स्ट्रीट फाइटिंग स्टाइल एक्शन समा बाँध देता है। हॉस्पिटल के जिम में हुआ एक्शन बहुत अच्छा कोरोग्राफ हुआ है। कनिष्क वर्मा पहली बार डायरेक्शन में उतरे हैं, उन्होंने विद्युत जामवाल पर पूरा फोकस करते हुए फिल्म में एक्शन सीन्स नहीं बल्कि एक्शन सीन्स के बीच फिल्म बनाई है। वर्ना कौन सा गुंडा होगा जो बड़ी-बड़ी बन्दूक लेकर भी कुंग-फु कराटे पर फोकस करेगा। लेखक आशीष प्रकाश वर्मा ने भी स्क्रीनप्ले फटाफट लिख अपना काम निपटाया है, लेकिन इस जल्दबाजी में डिटेलिंग भले ही मिसिंग हों पर फॉर्मेलिटी पूरी हुई है। भले ही क्लाइमेक्स का सस्पेंस अतिश्योक्ति लगता हो पर जस्टिफाइड है। विद्युत जामवाल बहुत ज़बरदस्त लगे हैं। उनका एक्शन बहुत अच्छा है। हाँ, एक्टिंग थोड़ी औसत है, कई जगह साफ़ पता लगता है कि वह कोशिश बहुत कर रहे हैं पर नेचुरल एक्सप्रेशन नहीं आ रहे हैं। लेकिन उनका एफोर्ट बहुत शानदार है। ख़ासकर स्टोर रूम सीक्वेंस में उनका स्पाइडर की तरह रेंगते हुए आगे बढ़ना बहुत ज़बरदस्त सीन है। नेहा धूपिया बिल्कुल नेचुरल लगी हैं। ऐसा लगा कि एसीपी जयंती का रोल उनके लिए ही बना था। रुक्मिणी मैत्रा खूबसूरत लगी हैं पर एक्टिंग उनकी भी औसत ही है। दूसरा, शायद बंगाली फिल्में करने का असर हो पर हिन्दी में उनकी कमांड हल्की है। चन्दन सान्याल ज़बरदस्त एक्टर हैं। 2009 में आई फिल्म कमीने का मिखाइल हो या हाल ही में रिलीज़ हुई सीरीज़ आश्रम के भोपेसिंह, चन्दन सान्याल जो भी करैक्टर करते हैं उसमें डीपली घुस जाते हैं। शायद यही वजह है कि उनका असली नाम कम ही दर्शक जानते हैं पर उनकी एक्टिंग के दीवाने करोड़ों में हैं। प्रतीक देओरा की सिनेमेटोग्राफी बहुत शानदार है। एक्शन सीन्स में बढ़िया कैमरा वर्क न हो तो वह बर्बाद हो जाते हैं, पर जिम की फाइट हो या स्टोर रूम में एक्शन सीन, सब बहुत बढ़िया शूट हुए हैं। चितरंजन भट्ट का म्यूजिक कोई ख़ास कमाल दिखाने में नाकामयाब रहा है। फिल्म में गानों की ज़रुरत थी भी नहीं, गाने असरदार हैं भी नहीं। सौरभ भालेराव का क्रिएट किया बैकग्राउंड स्कोर बहुत अच्छा है। इफेक्ट डालने में कामयाब होता है। कुलमिलाकर ‘सनक’ एक लाइट हार्ट एक्शन पैक्ड अच्छी टाइमपास फिल्म हैं। आप इससे ज़्यादा उम्मीदें न लगायें तो वीकेंड पर एक बार देखना बुरा सौदा नहीं है। रेटिंग – 6/10* सिद्धार्थ अरोड़ा ‘सहर’ #Sanak film Review #Sanak movie Review #Sanak Review #vidyut jammwal film Sanak #vidyut jammwal film Sanak Review हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Latest Stories Read the Next Article