-ज्योति वेंकटेश
मैं तो बस विश्वास नहीं कर सकता कि 31 साल से अधिक समय हो गया है, जब मुझे पुणे में एक युवा दुबले, पतले, 24 साल के लड़के से मिलवाया गया था, ये 1989 की बात है जब निर्देशक अजीज मिर्जा अपने टीवी सीरियल ‘सर्कस’ की शूटिंग कर रहे थे और मैं उसे कवर करने गया था। संयोग से आशुतोष गोवारिकर, रेणुका शहाणे और मैंने उसी वर्ष पुणे स्थित फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट में 35 दिनों के ‘फिल्म एप्रिसिएशन कोर्स’ के लिए अध्ययन किया था।
यह अजीज मिर्जा और कुंदन शाह थे जो ‘सर्कस’ का निर्देशन कर रहे थे, जिन्होंने मुझे शाहरुख खान से मिलवाया था। वो लड़का ना सिर्फ चतुर था, बल्कि दुनिया के तौर-तरीकों को भी अच्छी तरह से जानता था। एक अच्छे खासे अमीर परिवार से आने के कारण वह रेम्बो सर्कस परिसर में बाकी अभिनेताओं के बीच, सफेद पैंट और शर्ट में खड़ा एकदम अलग नजर आ रहा था। साथ में आशुतोष गोवरिकर, रेणुका शहाणे, रमा विज, अंजन श्रीवास्तव, दिलीप धवन, अवतार गिल आदि भी थे। यूनिट लंच के दौरान, मैंने उस युवक को कंपनी देने का फैसला किया जब मैंने उसे अकेले टेंट के एक किनारे पर बैठे देखा, जबकि अन्य सभी वरिष्ठ कलाकार एक साथ लंच कर रहे थे।
अनायास शाहरुख और मेरे बीच उस दिन एक तरह की केमिस्ट्री बन गई और बातों बातों में उस लड़के ने मुझसे पूछा कि क्या मैं शाम को पीता हूँ। जब मैंने हां कहा, तो उनका अगला सवाल था कि क्या मैं उसी शाम, उनके होटल के कमरे में, डिनर के लिए शामिल होने का समय निकाल पाऊंगा? मैं अपने उस नए दोस्त को निराश नहीं करना चाहता था और ‘हां’ कह दिया।
जब शाम के 6 बज रहे थे और यूनिट का पैकअप हो रहा था, तो सीरियल के अन्य कलाकार, जो मेरे दोस्त थे जैसे अवतार गिल, दिलीप धवन आदि मेरी तरफ आए और शाम को उनके साथ ड्रिंक लेने का निमंत्रण देते हुए उनकी कार में बैठने को कहा। मैंने विनम्रता से मना करते हुए उन्हें बताया कि मेरा एक अन्य कलाकार के साथ एंगेजमेंट है जिसपर अवतार और दिलीप दोनों (जो आज इस दुनिया में नहीं हैं) ने मुझे आंख मारते हुए पूछा कि क्या उस दुबले-पतले नए अभिनेता ने मुझे अपने डेरे पर बुलाया था?
जब मैंने ‘हां’ कहा, तो उन्होंने मुझे चेतावनी दी कि यद्दपि मैं व्हिस्की का शौकीन था, वो मुझे केवल रम ही दे सकेगा क्योंकि यह उसका पसंदीदा पेय था इसलिए बेहतरी इसी में है कि मैं उस नए लड़के के साथ जाने के बदले उनके साथ चंलू क्योंकि उनके पास ब्लैक लेबल स्कॉच था, लेकिन मैं दृढ़ता से अडिग रहा और मैंने कहा कि मैं अपनी कमिटमेंट का सम्मान करूंगा। तब उन लोगों ने मुझे जाने दिया और मैं सेट पर शाहरुख के साथ रह गया।
फिर मैं शाहरुख के होटल के कमरे में पहुंचा। यह होटल एक तीन सितारा होटल था जो अन्य अभिनेताओं को ठहराए गए होटल से अलग था। शाहरुख ने मुँह हाथ धोने के बाद मुझसे पूछा कि क्या मुझे उनके साथ रम पीने में कोई एतराज तो ना होगा? मुझे पहले से ही पता था कि वो यही पूछेगा इसलिए मैंने भी उसके साथ रम पीना मंजूर किया। शाम सुचारू रूप से समाप्त हो गई और रात का भोजन करने के बाद, (उसका मांसाहारी भोजन था और मेरा शाकाहारी) अजीज मिर्जा ने मुझे वापस अपने होटल में लाने के लिए एक कार भेजी थी।
वो शाम बहुत मस्त गुजरी थी और अगर मैं सही हूँ, तो शायद मैं मुंबई का पहला पत्रकार था जिसने उस समय ड्रिंक्स और डिनर पर शाहरुख का पहला साक्षात्कार लिया, हालांकि अपनी पहली फिल्म ‘दीवाना’ के बाद अब तक, पिछले तीस सालों में शाहरुख ने दस हजार से अधिक इंटरव्यूज दिए और उन्हें किंग खान भी कहा जाने लगा। लेकिन उस शाम शाहरुख ने खूब बातें की और मैंने धैर्य से सुना, क्योंकि मैंने हमेशा से, शुरू से ही संघर्षरत लोगों की कहानियों को सुनना पसंद किया है, जिसमें अनुपम खेर, आमिर खान, गुलशन ग्रोवर, संजय दत्त, सनी देओल, कुणाल गोस्वामी, कमल हासन, रजनीकांत का समावेश है जिनका मैनें साक्षात्कार लिया है।
शाहरुख ने मुझे बताया कि उन्होंने पहले ही ‘फौजी’, ‘वागले की दुनिया’ जैसे टीवी सीरियलों में काम किया था और अब फिल्मों में अभिनय करके अपनी किस्मत आजमाने के लिए उत्सुक थे। उन्हें मुंबई नगरी सही मायने में फिल्म उद्योग का असली मक्का लगता था। हालांकि शाहरुख खान ने राज कंवर की फिल्म ‘दीवाना’ में ऋषि कपूर और दिव्या भारती के साथ नायक की भूमिका में अपनी जोरदार शुरुआत की थी लेकिन सच्चाई यह है कि उन्होंने पहले भी ‘अहमक’ नामक एक ऑफबीट फिल्म में अभिनय किया था, जब वह टीवी धारावाहिकों में अभिनय कर रहे थे और नई दिल्ली में रहते हुए फिल्म इंडस्ट्री में आने के लिए संघर्षरत थे। लेकिन फिल्म ‘अहमक’ रिलीज नहीं हो पाई थी और शाहरुख को इस बात की खबर भी नहीं हो पा रही थी कि वो फिल्म कभी प्रदर्शित हो पाएगी या नहीं। अंततः शाहरुख ने ‘दीवाना’ और ‘राजू बन गया जेंटलमैन’ जैसी फिल्मों में काम किया और तब से आज तक उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
अभिनेता शाहरुख खान का एक स्टार और किंग खान के रूप में विकसित होना वास्तव में अद्भुत रहा है। शाहरुख हमेशा से ही मीडिया का प्रिय स्टार रहा हैं। मुझे याद है कि शाहरुख ने अपने शुरुआती दौर में हमेशा मीडिया की सराहना करते हुए समाचारों को कवर करने और सितारों और दर्शकों के बीच सेतु बनने के अपने प्रयासों पर बहुत ध्यान दिया।
शाहरुख ने मीडिया के बारे में टिप्पणी करते हुए कहा था, “शुरुआत में, मीडिया द्वारा पूछे जा रहे सवालों से मैं काफी एम्बरेस्ड हुआ करता था क्योंकि उनके कई सवाल बहुत ही व्यक्तिगत होते थे। लेकिन बाद में, मैंने महसूस किया कि वो सवाल मुझे एम्बरेस्ड करने के लिए नहीं पूछे गए थे बल्कि वे वास्तव में कुछ चीजों को स्पष्ट करना चाहते थे, जो सही है। मीडिया के लोग अपने काम के प्रति ईमानदार हैं जैसे मैं अपने अभिनय के प्रति इमानदार हूं।’’
शाहरुख का कहना है कि उन्होंने जीवन में जो कुछ भी हासिल किया है वह सब टेलीविजन की वजह से किया है। किंग खान एक मिनट के लिए भी बिना रुके या झिझके कबूल करते हुए कहते हैं “मैंने अपना करियर टेलीविजन से शुरू किया था। मैं जो कुछ भी आज हूँ वो टीवी की वजह से हूं। मैं छोटे पर्दे और रंगमंच के प्रति एहसानमंद हूं और मैं ये भी कहूँगा कि पिछले दो दशकों में जिस तरह से टेलीविजन विकसित हुआ है, वो एक स्वागत योग्य बदलाव है।
शाहरुख खान कहते हैं, “टीवी कार्यक्रमों में गुणवत्ता और तकनीकी रूप से आश्चर्यजनक परिवर्तन हुआ है। वास्तव में, पिछले कुछ समय से फिंल्मों और मीडिया (प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक) में बहुत भारी बदलाव आया है”। जब उनसे पूछा गया कि जब वे अपनी शुरुआती फिंल्मों में से एक , लेख टंडन की फिल्म ‘दिल दरिया’ में काम कर रहे थे, तब से आज तक के मीडिया में उन्हें क्या बदलाव नजर आया? तो शाहरुख ने बताया, ‘ एक तो यही कि पहले, जब हम प्रेस कॉन्फ्रेंस के लिए जाते थे, तब मुश्किल से पांच कैमरे होते थे, जबकि आज प्रेस कॉन्फ्रेंस में अनगिनत कैमरे होते हैं।”
एक लोकप्रिय स्टार बनने के बाद भी मैं शाहरुख से अक्सर मिलता रहा। एक बार जब उन्होंने टीवी पर एक शो होस्ट किया था, जिसका नाम था ‘क्या आप पाँचवी पास से तेज है?’ तो उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा था, “मैं पाँचवीं कक्षा के छात्र की तरह स्मार्ट नहीं हूँ, अन्यथा मैं एक अभिनेता नहीं होता।’ एक छात्र के रूप में वह कैसा था? इसपर एस आर के ये कबूल करतें है, ‘मैं बहुत शरारती था और वास्तव में स्कूल से लगभग एक बार निलंबित भी होने वाला था, लेकिन मेरे माता-पिता के बारे में सबसे अच्छी बात यह थी कि दोनों ने मुझे कभी किसी बात के लिए बहुत जोर नहीं दिया। उन्होंने बस, हमेशा सिर्फ इतना कहा कि मुझे पढ़ाई में मेहनत करनी चाहिए ताकि वे मुझे लेकर शर्मिंदा न हों और मैंने जीवन में हमेशा अच्छा ही किया।’
शाहरुख ने आगे कहा, ‘मुझे याद है कि मेरे शिक्षक लोग कहा करते थे कि मेरे पास एक शैतान की मुस्कान है। जब भी मैं कोई शरारत करते हुए पकड़ा जाता था तो मैं अपने गालों पर पड़े डिम्पल्स के साथ मुस्कुरा देता और वे मुझे जाने देते थे। लेकिन ऐसा भी नहीं है कि मैं हर बार बच गया, मुझे कई-कई बार सजा भी दी गई थी।’
जब उनसे पूछा गया कि क्या वह अपने बेटे आर्यन और बेटी सुहाना को किसी शो में हिस्सा लेते देखना पसंद करेंगे या किसी अन्य रियलिटी शो के लिए काम करते देखना उन्हें अच्छा लगेगा? तो इसपर वे बोले, ‘मैं अपने बच्चों के लिए ऐसा नहीं चाहता, क्योंकि मैं और मेरी पत्नी गौरी की यह राय है कि शाहरुख खान के बेटे और बेटी होने के नाते हमारे बच्चों के लिए यही एक उपलब्धि नहीं होनी चाहिए।
इसके बजाय उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होना और अपनी अलग पहचान स्थापित करना सीखना चाहिए जिससे हमें-उनके माता-पिता होने पर गर्व महसूस हो सके। ” ये कहते हुए शाहरुख की आंखों में अपने बच्चों के लिए चमक और प्यार उभर आया था और वे आगे बोले, ‘मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं और आशा करता हूं कि जब वे बड़े हो जाएंगे तो वे अपने दम पर कुछ हासिल करेंगे।’ एस आर के , के बारे में जो बात मुझे सबसे अच्छी लगती है वह यह कि यद्यपि हम एक-दूसरे से ज्यादा नहीं मिल पाते हैं, जैसा कि पहले मिला करते थे जब वह इतना व्यस्त नहीं थे, लेकिन फिर भी, आज भी वह विनम्र मिलनसार बने हुए है।
वो कहते हैं, ष्शायद कभी वो दिन आएगा जब मैं किसी सेट पर आऊँगा और मुझे कोई पहचानेगा नहीं। तीस साल बाद की बात सोचता हूँ, जब मैं एक स्टार नहीं रहूँगा, जब कोई भी मुझे पहचान नहीं पाएगा और मैं पुराने समय को याद करूंगा। मुझे लगता है कि वो सबसे यादगार पल होगा और मैं चाहता हूँ कि ऐसा मेरे साथ कभी भी ना हो, क्योंकि इतनी ज्यादा शोहरत हासिल करने के बाद अचानक तीस साल पश्चात पहचान खो देना एक ऐसी बात है जिसके लिए मैं तैयार नहीं हूं। इतना ही नहीं, मैं सोचता हूँ कि उस वक्त जब मैं अपने मेक अप करने वाले व्यक्ति की ओर देखूँगा जो मुझे तीस सालों से जानता है और मुझे मेकअप करता रहा है और वो मुझे नजरअंदाज कर देगा और कोई मुझे नहीं पहचानेगा तो वो सब मुझे अजीब रूप से भयानक और चैंकाने वाला लगेगा।’
मुझे याद है कि हेमा मालिनी ने अपनी फिल्म ‘दिल आशना है’ के लिए एक पार्टी होस्ट की थी, वहां शाहरुख ने मुझे अपनी नवविवाहिता पत्नी गौरी से मिलवाया था जिसे वे दिल्ली से मुंबई ले आए थे। शाहरुख खान से मेरी एकमात्र शिकायत यह है कि वह आदमी जो मुझसे हमेशा शिकायत करता था कि मैं एक पत्रकार के रूप में, न्यूज और गॉसिप्स के लिए स्टार्स का पीछा करते हुए इतना व्यस्त रहता हूँ कि शाहरुख के ऑफिस में आकर उनके साथ एक कप चाय भी पीने का समय नहीं निकाल पाता, आज शाहरुख के पास समय नहीं है मुझे एक बार भी फोन करने के लिए।
हाँ, वाकई समय बदल गया है। वो एक वक्त था 1989 में, जब शाहरुख ने एक नवागंतुक एक्टर के रूप में अपने होटल के कमरे में मुझे रम की पेशकश की थी, अब जब वह एक न्यूमरो यूनो सुपरस्टार बन गया है, तो उसे इतना समय नहीं मिलता है कि वह मुझे एक कप चाय के लिए अपने बंगले में बुला सके। खैर, प्यारे, यह सब तो स्टारडम के बदलाव हैं। लेकिन मेरी दुआ है कि किंग खान यानी कि शाहरुख खान, और भी कई कई साल तक फिंल्मों में शानदार करियर बनाए रखे और खूब खुशियाँ पाए।