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भाई बहन का रिश्ताः सिनेमा में बदलते इसके मायने

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By Mayapuri Desk
भाई बहन का रिश्ताः सिनेमा में बदलते इसके मायने
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इस वर्ष भाई बहन के रिश्ते को मजबूती प्रदान करने वाला पवित्र त्योहार ‘रक्षाबंधन’ 22 अगस्त को मनाया जाएगा। समाज से प्रेरित माने जाने वाले सिनेमा में भी रक्षा बंधन व भाई बहन के रिश्ते को पिरोया जाता रहा है.मगर समय के साथ इसमें काफी बदलाव आते रहे.
बॉलीवुड में रक्षा बंधन यानी कि राखी के त्योहार को पिरोने की शुरुआत 1941 में सोहराब मोदी निर्देशित फिल्म ‘सिकंदर‘ से हुई थी। इस फिल्म में पृथ्वीराज कपूर ने सिकंदर की भूमिका निभाई थी। इसके बाद 1945 में महबूब खान ने अपनी फिल्म ‘हुमायूं‘ में भी इस त्यौहार को दिखाया था। हुमायूं में अशोक कुमार ने हुमायूं और वीना ने कर्णावती की भूमिका निभाई थी। इसके बाद तो फिल्मों में राखी का त्योहार दिखाने का सिलसिला ऐसा चला कि आज तक कायम है। वैसे कहा जाता है कि राखी की शुरुआत भी हुमायूं और कर्णावती के प्यार के बाद हुई थी।फिर 1949 में पारिवारिक फिल्मों के बादशाह माने जाने वाले एल वी प्रसाद फिल्म ‘छोटी बहन’ लेकर आए थे. इसमें नंदा,बलराज साहनी और रहमान की मुख्य भूमिका थी।इस फिल्म का गीत ‘भैया मेरे राखी के बंधन को निभाना’ आज तक जनमानस गुनगुनाता है.
फिर 1962 में निर्देशक ए भीमसिंह भाई बहन के प्यार को रेखांकित करने वाली फिल्म ‘राखी’ लेकर आए थे,जिसमें अशोक कुमार,वहीदा रहमान,प्रदीप कुमार और अमिता ने मुख्य भूमिका निभायी थी.इस फिल्म में राजेंद्र कृष्ण शीर्षक गीत लिखा था-‘ राखी धागों का त्योहार बंधा हुआ एक एक धागे में भाई बहन का प्यार..’ जिसे काफी पसंद किया गया था।
1962 में ही मोहन कुमार ने पारिवारिक फिल्म ‘अनपढ़’ में राखी के त्योहार व भाई बहन का प्यार पेष किया था,जिसमें माला सिन्हा, धर्मेंद्र व बलराज साहनी थे! इसका गाना ‘रंग बिरंगी राखी लेके आयी बहना’आज भी चर्चित है!
1965 में निर्माता आत्माराम माहेश्वरी और निर्देशक राम माहेश्वरी ने फिल्म ‘काजल’ में भाई बहन के प्यार का चित्रण किया था! जिसमें मीना कुमारी, धर्मेंद्र, राजकुमार जैसे कलाकार थे।
1969 में एक बार फिर मोहन कुमार पारिवारिक फिल्म ‘अंजाना’ में भाई बहन के प्यार को दिखाया था! इसमें राजेंद्र कुमार,बबिता, निरूपा राय, प्राण व प्रेम चोपड़ा थे।इसका गाना ‘हम बहनों के लिए मेरे भैया’’उन दिनों बेहद लोकप्रिय था।
1970 में मन्नू देसाई ‘सच्चा झूठा’ मे भी भाई बहन के रिश्ते को रेखांकित किया था। इसमें राजेश खन्ना, मुमताज, विनोद खन्ना थे। इस फिल्म को लोग ‘मेरी प्यारी बहनिया बनेगी दुलहनिया’गाने के कारण याद करते है।यह गाना आज भी शादी ब्याह के मौके पर बजता है।
1971 में देव आनंद हिप्पी कल्चर के साथ ड्ग्स की बढ़ती आदत पर आधारित फिल्म ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ लेकर आए थे,पर इसमें उन्होने भाई बहन के प्यार की कहानी प्रमुखता के साथ पेष की थी.इसमें देव आनंद,जीनत अमान, मुमताज, प्रेम चोपड़ा व अचला सचदेव जैसे कलाकारों ने अभिनय किया था.इस फिल्म का गीत ‘‘फूलों का तारों का सबका कहना है, एक हजारों में मेरी बहना है’’आज भी भाई बहन के प्यार को जताने वाला लोकप्रिय गीत माना जाता है।
1972 में सोहन लाल कंवर ने पारिवारिक फिल्म ‘बेईमान’ में भाई बहन के प्यार को चित्रित किया था,जिसमें मनोज कुमार,राखी गुलजार, नाजिया प्र्रेम चोपड़ा जैसे कलाकार थे।इसका गीत ‘यह राखी बंधन है ऐसा..’ काफी लोकप्रिय हुआ था,जिसे लता मंगेशकर व मुकेश ने गाया था।
1974 में निदेशक आत्मा राम भाई बहनके प्यार को प्रदर्शित करने वाली फिल्म ‘‘रेषम की डोरी’लेकर आए थे.जिसमें अनाथ भाई बहन के प्यार व कसक की कहानी थी।इस फिल्म में धर्मेद्र और उनकी बहन के प्यार ने दर्शकों की आंखों में आंसू ला दिए थे।इसमें एक अनाथ अजीत सिंह(धर्मेंद्र) अपनी छोटी बहन रज्जो(कुमुद छुगानी)को बहुत चाहते हैं और वह अपनी बहन रज्जो की षादी एक सम्मानित परिवार में करना चाहता है। परिस्थितियां बदल जाती हैं,जब वह उसे यौन हमले से बचाने की कोशिश करता है।पर रेशमी डोरी इन्हे मिलाती है.इसमें धर्मेंद्र,सायरा बानो,सुजीत कुमार,रमेष देव व राजेंद्र नाथ की मुख्य भूमिकाएं थीं.इसने बाक्स आफिस पर जबरदस्त सफलता हासिल की थी.फिल्म ‘रेशम की डोरी’ में सुमन कल्याणपुरी द्वारा गाया गया गीत ‘‘बहना ने भाई की कलाई पर प्यार बांधा है,प्यार की डोर तार से संसार बांधा है..’’ने लोकप्रियता की बुलंदियों को छुआ था,जिसे आज भी गुनगुनाते हुए लोग मिल जाते हैं।
1976 में आयी नरेंद्र बेदी की फिल्म ‘अदालत’ में भी भाई बहन का रिष्ता नजर आता है। इसमें अमिताभ बच्चन, नीतू सिंह व वहीदा रहमान थे। इसका गाना ‘बहना हो बहना’ गुनगुनाते हुए लोग मिल जाते है।
1980 में राम माहेश्वरी निर्देशित फिल्म ‘‘चंबल की कसम’’में भी भाई बहन के रिश्ते को प्रमुखता के साथ पेश किया गया था।जिसमें प्रदीप कुमार,राज कुमार,षत्रुघ्न सिन्हा,मौसमी चटर्जी,फरीदा जलाल व अमज़द खान की अहम भूमिकाएं थीं। इस फिल्म को लोग इसके गीत ‘‘चंदा रे मेरे भाइयों से कहना बहना याद करें’’ की वजह से भी याद करते हैं.
1999 में सूरज बड़जात्या ने भी भाई बहन के रिश्तों को फिल्म ‘हम साथ-साथ हैं‘ में पेष किया था। इस फिल्म में नीलम और उसके तीन भाइयों सलमान, सैफ और मोहनीश बहल के प्रेम को दर्शकों ने बेहद प्यार किया।
समय बदला तो भाई-बहन के प्यार का अंदाज भी बदला।धीरे धीरे  फिल्मों में आधुनिकता आने लगी और भाई बहन के प्यार व रिष्ते की कहानियां गायब होने लगी। 2000 में आमिर खान के भाई मंसूर खान के निर्देशन में बनी
फिल्म ‘जोश‘ में शाहरुख खान-ऐश्वर्या राय भाई-बहन के किरदार में थे। फिल्म में शाहरुख अपनी बहन के प्यार के लिए विलेन बनते नजर आए। हालांकि दर्शक इस जोड़ी में भाई-बहन वाली इमेज नहीं देख पाए। लेकिन इसके बाद फिल्मकारों ने भाई बहन के रिश्ते को फिल्मों से बाहर कर दिया। बीच में फिल्म ‘सरबजीत’ में जरूर भाई बहन का प्यार था, मगर उसका संदर्भ बहुत ही अलग था।
फिल्मों से गायब हुए भाई बहन के रिश्ते की कहानियों के पीछे एक वजह समाज में आया बदलाव भी माना जा सकता है। अब समाज में भी भाई बहन के रिश्तों मे वह मजबूती नजर नहीं आता। भाई बहन के प्यार पर स्वार्थ हावी हो गया है। अब ‘रक्षाबंधन’ का त्यौहार भी महज एक रिवाज सा बनकर रह गया है। इसमें  अपनापन नही रह गया। तो वही बॉलीवुड के भाई बहनों में भी व्यावसायिकता हावी हो गयी है।इसी के चलते 2000 के बाद भाई बहन के रिश्तों को रेखांकित करने वाली फिल्मों का अभाव हो गया है।इसे समाज व सिनेमा के लिए उचित नहीं ठहराया जा सकता!
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