-शान्तिस्वरुप त्रिपाठी
भारत में सिनेमाघर/थिएटर के अंदर फिल्म देखने जाना त्योहार मनाने या जश्न मनाने जैसा ही है। लोग अपने जन्मदिन पर अपने पूरे परिवार या अपनी दोस्त मंडली के साथ थिएटर में फिल्में देखने जाता है। अथवा खुषी का मौका हो अथवा ईद, दीवाली होली जैसे त्यौहार हों, तो लोग पूरे परिवार के साथ सिनेमाघर के अंदर फिल्में देखने जाते रहे हैं। यह हर किसी के लिए मनोरंजन के साथ साथ एक रोमांचक अनुभव भी हुआ करता था। मगर पिछले सात माह से कोरोना महामारी के चलते सिनेमाघर बंद चल रहे थे। लोग सिनेमाघरों में जाकर फिल्म देखने के रोमांच, इंज्वायमेंट व मनोरंजन की कमी महसूस कर रहे थे। कोरोना का संक्रमण अभी भी खत्म नहीं हुआ है। मगर सरकार ने कुछ दिशा निर्देशों व सुरक्षा उपायों के साथ सिनेमाघर खोलने की अनुमति दे दी है। 15 अक्टूबर से देश के कुछ हिस्से में कुछ सिनेमाघर खुल भी गए हैं।
आम लोगों के साथ साथ हर सेलेब्रिटी भी सिनेमाघर जाकर फिल्म देखने का लुत्फ उठाना चाहते है।टीवी जगत के सितारे भी सिनेमाघर जाकर फिल्में देखना चाहते हैं। मगर हर किसी के मन के किसी न किसी कोने में कोरोना संक्रमण का डर भी है। ऐसे में कुछ टीवी सितारों हमसे बात करते हुए लोगों को आगाह करते हुए उन्हे सुरक्षा उपायों को अमल में लाने का भी आग्रह किया है।आइए,देखें यह टीवी सितारे क्या कह रहे हैंः
विजयेंद्र कुमेरिया
फिलहाल मैं थिएटर में जाकर फिल्म देखने को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त नहीं हूँ, मैं अभी इंतजार कर इस बात को पूरी तरह से समझना चाहता हूं कि सिनेमा घर सुरक्षा और एहतियाती उपायों का पालन कैसे कर रहे हैं। मुझे लगता है कि सिनेमाघरों को एयरलाइंस की तरह एक सुरक्षा और सावधानियों के मॉडल का पालन करना होगा।मसलन-हर शो खत्म होने के बाद उचित सैनिटाइजेशन करना। लोगों को मुखौटे और चेहरे पर मास्क अनिवार्य किए जाएंगे और उन्हें अपने घर से स्नैक्स लाने की अनुमति दी जानी चाहिए।क्योंकि हर दर्षक की अपनी स्वच्छता संबंधी चिंताएं हो सकती हैं।
ध्रुव हल्दांकर
मुझे लगता है कि नेटफ्लिक्स, अमेजॅन, जी 5 और हॉटस्टार जैसे ओटीटी प्लेटफार्म के बढ़ते पाँव के साथ इंटरनेट वास्तव में उफान पर है।अब हमारे पास घर बैठे विभिन्न प्रकार के मनोरंजन के साधन मौजूद हैं।हम इंटरनेट पर सिर्फ फिल्में नही देख सकते,बल्कि अब हम अपने मोबाइल पर वीडियो गेम भी खेल सकते है।उचित स्वच्छता होने पर थियेटर जैसी सार्वजनिक जगह पर जाना सुरक्षित है। हालांकि, यह कहते हुए कि मैं एक होम थिएटर व्यक्ति हूं और घर पर फिल्में और टेलीविजन कार्यक्रम देखना पसंद करता हूं।
सुबुही जोशी
मेरी समझ से सिनेमाघरों को खोलने के अलावा कोई विकल्प बचा भी नही है।फिर अब हमें भी कोरोना संग जीना होगा।मुझे फिल्में देखना बहुत पसंद है और जब भी कोई नई फिल्म रिलीज होती है, तो मैं हमेशा थिएटर में जाकर इसे देखना पसंद करती हूं। लेकिन मुझे नहीं लगता कि मैं पंद्रह अक्टूबर या दूसरे दिन सिनेमाघर फिल्म देखने जाने का साहस जुटा पाउंगी, क्योंकि यह बहुत डरावना है। मैं थिएटर जाने के लिए मानसिक रूप से तैयार भी नही हूं। मेरे जैसे दूसरे लोग भी फिलहाल मानसिक रूप से सिनेमाघर जाने के लिए तैयार नही है।सभी लोग सावधानी बरतेंगे। लेकिन ऐसा कहा जाता है कि लक्षण 14 से 15 दिनों के बीच दिखाई देते हैं,इसलिए हम नहीं जानते कि लोग क्या कर रहे हैं। ’’
डेलनाज ईरानी
अति महत्वपूर्ण मुद्दा यह है कि हर उद्योग फलता- फूलता रहना चाहिए।हम तो कला व फिल्मों से जुड़े लेाग हैं, हम तो चाहते हैं कि सभी सिनेमाघर खुल जाएं। वैसे भी लगभग सब कुछ खुल गया है। लोग सड़क पर खड़े होकर पानी पुरी खाने लगे हैं।इसलिए सिनेमाघर को खोलना बहुत महत्वपूर्ण है। क्योंकि यह उन लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है जो वहां काम कर रहे हैं और पैसा भी कमा रहे हैं। उन्हें सावधानी बरतने की जरूरत है और सबसे अच्छी बात यह है कि हर चीज को साफ करना चाहिए। उन्हें लोगों को अपना भोजन प्राप्त करने की अनुमति देनी चाहिए ताकि सुरक्षा हो। भीड़ सीमित होगी और अगर मैं कर सकता हूं तो मैं निश्चित रूप से जाऊंगी।
रोहित चैधरी
हम भी दर्शक हैं। हमारी ही तरह हर कलाकार,निर्माता और निर्देशक को बड़े पर्दे की याद आ रही है। हम चाहते हैं कि सिनेमाघर खुलने चाहिए,ताकि हमारी आजीविका को सहारा मिल सके। अंततः थिएटर खुल रहे है।दूसरे अन्य सभी व्यवसाय पहले ही खुल चुके हैं और कोविड -19 के दिशानिर्देशों का पालन कर रहे हैं। 50 प्रतिषत दर्शक की सीमा से ज्यादा भीड़ नहीं होगी और मुझे लगता है कि 50 प्रतिशत की बजाय फिलहाल सिफ 25 से 30 प्रतिषत लोग ही सिनेमाघर जाएंगे। कोविड के मामले बढ़ रहे हैं और साथ ही ठीक होने के मामले भी हैं। जाहिर है यह जीवन नहीं होगा कि यह पहले कैसे हुआ करता था क्योंकि कोविड महामारी से लोग डरते है, जो अभी भी हर किसी के दिमाग में है। हमें सामाजिक दूरी बनाए रखने की आवश्यकता है, भोजन पर नियंत्रण रखना है ताकि कुछ सीमाएं और सीमाएं हों।लोगों को अपने साथ ड्राई स्नैक्स और सामान ले जाने की अनुमति होनी चाहिए।फिलहाल मैं थिएटर जाने से बचूंगा, क्योंकि मैं अपने काम में व्यस्त हूं।
उर्वशी उपाध्याय शार्ले
यह बहुत अच्छी बात है। हर सिनेमाघर खुलने व उनमें फिल्म के शो चलने चाहिए। कोविड -19 अब एक वास्तविकता बन गई है और इस वजह से हम सब कुछ रोक नहीं सकते हैं। लेकिन अभी एहतियात सबसे महत्वपूर्ण बिंदु है। रंगमंच और मल्टीप्लेक्स एक जगह है जो भीड़ है। हमें सामाजिक दूरी बनाए रखने और अन्य दिशानिर्देशों का पालन करने की आवश्यकता है। सरकार ने नियमों का एक सेट भी बनाया है जैसे कि प्रत्येक लोगों के बीच एक सीट का अंतर होना चाहिए, तापमान की जांच होनी चाहिए, हमें मास्क पहनना चाहिए, और एक इलेक्ट्रॉनिक सैनिटाइजर स्प्रे होना चाहिए। हमें थिएटर में खाना खरीदने या खाने से भी बचना चाहिए क्योंकि इसके लिए हमें अपने चेहरे को अधिक समय तक उजागर करने की आवश्यकता होती है। प्रत्येक शो के बाद और अंतराल के दौरान, हॉल को पवित्र किया जाना चाहिए। जो कोई फिल्म देखने आ रहा है, उसे अपने सभी विवरण प्रदान करने चाहिए।
शरद मल्होत्रा
सिनेमाघर खुलने से निजी स्तर पर मैं काफी खुश हूँ। लेकिन वहीं मुझे यह भी लगता है कि यह एक बड़ा जोखिम है।हर थिएटर वातानुकूलित हॉल है और हर कोई एक ही हवा में सांस लेगा,अतः हमें बहुत सावधान रहने की जरूरत है। इतने स्पर्शोन्मुख मामलों के साथ, तापमान लेना भी कुछ साबित नहीं होगा।यह एक जोखिम है लेकिन मुझे लगता है कि इसकी मदद नहीं ली जा सकती। भोजन के रूप में कुछ भी न लेने का नियम होना ही चाहिए।क्योंकि आपको खाने के लिए अपना मुखौटा उतारना होगा।
राजेश कुमार
हर कोई पिछले सात माह सिनेमाघरों के खुलने का बेसब्री से इंतजार कर रहा था।लेकिन मुझे लगता है कि इसे एक चुटकी नमक के साथ लेना चाहिए।यह कठिन समय हैं और हमें इस बात से बहुत सावधान रहने की जरूरत है कि हम क्या करते हैं और कहां जाते हैं। ‘कोविड 19’ एक जानलेवा बीमारी है और इसकी वजह से लोगों को अपनी जान