आजादी या स्वतंत्रता एक ऐसा अहसास है,जो इंसान को स्वच्छंद और निर्भय होकर काम करने के लिए प्रेरित करता है।‘देश प्रेम’तथा आजाद देश में रहने के लिए ही लाखों वीरों ने अपनी जिंदगी गंवा दी।यह देश प्रेम एक ऐसा जज्बा है,जो हर देशवासी के दिल में सदैव जलता रहता है।‘देश प्रेम’ही हमें अपने देश पर मर मिटने के लिए प्रेरित करता है। पर कुछ लोगों के लिए 15 अगस्त यानी कि स्वतंत्रता दिवस महज छुट्टी मनाने तक सीमित हो गया है। स्कूलों में इस दिन राष्ट्ध्वज फहराने से लेकर सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन के साथ जष्न मनाया जाता है।इस बार 15 अगस्त को देश की आजादी के 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं।
आइए देखें कि कि छोटे परदे के सितारे स्वतंत्रता दिवस व देश प्रेम के जज्बे के साथ किस कदर जुड़े हुए हैं:
गौरव गेरा
मैं इस बात से सहमत नही हूं कि स्वतंत्रता दिवस का जष्न मनाना सिर्फ स्कूल दिनों तक ही सीमित रहता है।अथवा स्कूल दिनों की समाप्ति के साथ हमारे अंदर देश प्रेम का जज्बा कम हो जाता है।हम मानते है कि बड़े हो जाने पर हम अपने अंदर के देश प्रेम के जज्बे का दिखावा करते हुए जष्न मनाते हुए कम नजर आते है।जिदंगी की कुछ जरुरतों को पूरा करने की व्यस्तता के चलते जश्न मनाने के लिए उचित समय नहीं निकाल पाते, लेकिन यह कहना कि हम उसे भूल चुके हैं,पूरी तरह से गलत है।स्कूल में मैं इस अवसर पर हर बार गायक बनता था।इसके अलावा नृत्य और फैंसी ड्रेस कंपटीशन में भी भाग लिया करता था।लेकिन यह दुखद स्थिति है कि देश को आजाद हुए 75 वर्ष पूरे हो गए,मगर आज भी कई लोग मूलभूत जरूरतों के मोहताज हैं।अगर मुझे मौका मिले तो मैं समाज के उपेक्षित लाचार बुजुर्गों के लिए कुछ करना चाहूंगा।
प्रिया बठीजा
मेरा मानना है देश प्रेम ऐसा जज्बा है,जिसे हम अंदर से महसूस करते हैं।जब हम छोटे थे,तो स्वतंत्रता दिवस पर स्कूल जरूर जाते और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का हिस्सा बनकर इसे सेलिब्रेट करते थे।घर पर देशभक्ति के गीत सुनते हुए मुझे ऐसा लगता कि मैं आजाद हूं। अगर मुझे वक्त मिले तो मैं मंदिर में बैठे जरूरतमंदों की मदद करना चाहूंगी। उन्हें खाना खिलाना चाहूंगी।मुझे यह शिक्षा मेरे पापा से मिली है।उन्होंने मुझे हमेशा दूसरों की मदद करना सिखाया है।मैं जब नासिक के नजदी देवलाली के बोर्डिंग स्कूल में पढ़ती थी,तब नजदीक ही आर्मी कैंप हुआ करता था।उनके द्वारा 15 अगस्त और 26 जनवरी के दिन किए जाने वाले मार्च पास्ट और एक्रोबैटिक एक्टिविटीज को देखकर बहुत रोमांचित हो जाती थी।
अनुज सचदेवा
सच तो यही है कि बचपन में हमारे लिए 15 अगस्त का तात्पर्य छुट्टी से होता था।तब आजादी की अहमियत का अहसास नही था।मगर जैसे-जैसे मैं बड़ा हुआ,मुझे आजादी की अहमियत का अंदाजा होने लगा।मेरे अंदर स्वतः देश प्रेम की भावना बढ़ने लगी।मुझे पता चला कि हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने भारत को आजाद कराने के लिए कितना संघर्ष किया।आज भी यह दिन हमारे देश में सकारात्मक व्यवहार और देशभक्ति के जज्बे को कायम रखे हुए हैं।
मनीष पोल
मैं इस बात से पूरी तरह सेवा इत्तेफाक रखता हूं कि 15 अगस्त का सेलिब्रेशन सिर्फ बचपन तक ही रहता है।इसकी वजह यह है कि स्कूल दिनों में यह अनिवार्य सा होता था। 1994-95 में जब मैं दिल्ली में था,तब मेरे लिए दिन बहुत खास होता था। क्योंकि उस दिन स्कूल से आने के बाद हम छत पर पूरा दिन पतंग उड़ाते थे। वैसे मैं स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रमों में बढ़चढ़कर हिस्सा लिया करता था। मैं नृत्य,अभिनय व गायन में भी हिस्सा लिया करता था। अपनी सोसाइटी के लिए मैं बहुत कुछ करना चाहता हूं।खासतौर से लोगों से अपील करना चाहूंगा की वह पर्यावरण का ध्यान रखें पानी बचाएं।
अरहान बहल
मुझे लगता है कि हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि आज भी पूरी तरह से हम आजाद नहीं हुए हैं।बहुत सी परेशानियां आज भी देश को कमजोर किए हुए हैं,जिन्हें हम चाह कर भी नजरंदाज नहीं कर सकते।आज भी देश में सामाजिक व जाति रूपी बंधन है।इनसे हमें आजाद होने की जरुरत है।जहां तक मेरी अपनी बात है,तो स्वतंत्रता दिवस का एक्साइटमेंट मुझे आज भी रहता है।