मैं भी सोषल मीडिया यानी कि फेसबुक, ब्लॉग और ट्वीटर से जुड़ा हुआ हूँ। लोग आलोचना करते हैं। प्रशंसा करते हैं। गाली गलौज करते हैं। सब कुछ करते हैं। हमें सब अच्छा लगता है। देखिए, कोई भी इंसान हर काम अच्छा नहीं कर सकता। उसकी आलोचना तो होनी ही चाहिए। यह मेरे प्रशंसक ही हैं, जो कि मेरे काम की आलोचना करते हैं। गाली गलौज भी होता है। अच्छा बुरा भी लिखते हैं। लेकिन यदि आप एक ऐसे माध्यम से जुड़े हैं, जो आपकी बातों को देष भर में, संसार भर में फैलाता है,और आप यह मानकर चलते हैं कि कोई आपकी बुराई नहीं करेगा, तो यह अच्छी बात नहीं है।तो आपको इस माध्यम में बहुत संभलकर चलना होगा।तमाम लोग कहते हैं कि,‘इसमें तो बहुत गाली पड़ती है, इसलिए हमने इसे बंद कर दिया। ’मैंने ऐसा नहीं किया। मैं इसकी मोनीटरिंग भी नहीं करता।मैं किसी को ब्लाकिंग भी नहीं करता। गाली गलौज आती है। ठीक है। आलोचना करते हैं, तो उसे भी पढ़़ता हॅूं। हमें सुधारने की कोई संभावना होती है, तो उसे मैं सुधारता हॅूं। वह मेरे प्रशंसक हैं, पर वह कहते हैं कि साहब आपने इस फिल्म में अच्छा काम नहीं किया,तो हम उसे सुनते हैं।यह सब अलग अलग देशों में रहते हैं।हम जिस देष में जाते हैं,वहां वह सब एकत्र होकर हमसे मिलते हैं।
मै तो इन सभी को अपना ‘एक्स्टेंडेड फैमिली’ मानता हूँ। मेरा विदेष में फंक्षन होता है, तो यह सब वहां एकत्र होते हैं। कुछ वर्ष पहले मुझे पेरिस में बाबू जी की कविताओं का पाठ करने के लिए निमंत्रित किया था। उन्होने पेरिस के विख्यात अपरा थिएटर में यह कविता पाठ रखा था। यह पूरे दो घंटे का कार्यक्रम था। मैं अकेला इंसान बाबू जी की कविताओं का पाठ करता रहा, लोग सुनते रहे। हाल भरा हुआ था।अस्सी प्रतिशत श्रोता फेंरंच थे। हमारे ब्लॉगग से जुड़े लोगों को पता चला कि हम वहां जाने वाले हैं। तो कोई अमेरीका, कोई लंदन, जर्मनी, मिडल इस्ट, दुबई, तो किसी अन्य देष से आकर लोग एकत्र हुए। पहली दफा इन सभी ने एक दूसरे को एक ही समय पर देखा। सब एक साथ एअरपोर्ट पर पहुंचे थे। यह करीबन 20-25 लोग थे। यह सब एक दूसरे को सिर्फ ब्लॉग की वजह से जानते थे। इन सभी की सिर्फ एक ही मांग थी कि कार्यक्रम का समापन होने के बाद हम उन सभी के साथ एक फोटो खिचवा लू। ब्लॉग की वजह से एक जागरूकता बढ़ गयी है।मैं आपको बताना चाहता हूं कि जितने भी आलोचना करते हैं या किसी विषय पर लेख लिखते हैं,या मेरी किसी बात पर जवाब देते हैं,तो इतना सुंदर जवाब लिखते हैं, कि आप सोच नहीं सकते। काफी बुद्धिमान लोग हैं। कई बार उनकी लिखी हुई बांतों को मैं दुबारा पोस्ट करता हूँ।