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फीकी पड़ती जा रही है दिवाली की चमक, क्यों?

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By Mayapuri Desk
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फीकी पड़ती जा रही है दिवाली की चमक, क्यों?

होली, ईद, क्रिसमस की तरह ही ‘दिवाली’ का महत्व भी भारत के त्योहारों में सर्वोपरि है। इस त्योहार का महत्व जगमगाती रोशनी और ‘धन’ यानी लक्ष्मी-पूजन से जुड़ा होने के कारण बॉलीवुड में अपना और अधिक महत्व बना लेता है। पर्दे पर चमकती रोशनी और घर में धन आने की उत्कंठा हमेशा फिल्म जगत के लिए आकर्षण की बात रही है। फिल्म की कहानी में हीरो -हिरोइन दुखी हैं तो दिवाली को प्रतीक बनाकर गीतों की स्वर लहरी में उनकी उदासी दिखा दिए अच्छा खासा सीन बन गया और दर्शकों को घर में आरती गाने के लिए एक गीत मिल गया...जो साल दर साल दिवाली के मौके पर बजता जाएगा। फिल्म ‘पैगाम’ (1959) के लिए बना गीत ‘कैसे दिवाली मनाएं...’ आज भी 60 साल बाद उतना ही सामायिक है।

फीकी पड़ती जा रही है दिवाली की चमक, क्यों?

दिवाली को लक्की भी मानते हैं। अगर सलमान खान की फिल्में ‘ईद’ के मौके पर रिलीज होती हैं तो शाहरुख अपनी फिल्में ‘दिवाली’ पर रिलीज करवाना पसंद करते हैं। शाहरुख की दिवाली रिलीज फिल्में हैं-‘जब तक है जान’, ‘दिल तो पागल है’, ‘दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे’, ‘कुछ कुछ होता है’, ‘हैप्पी न्यू इयर’ आदि। पर अब देखा देखी सभी स्टार दिवाली को ही अपनी फिल्म रिलीज करने की कोशिश करते हैं। ‘हाऊसफुल’ सीरीज फिल्म ‘हाऊसफुल 4’ को अक्षय कुमार ने जानबूझकर दिवाली के दिन ही रिलीज कराने के लिए लेट कराया था।

ईद पर रिलीज के लिए हमेशा थिएटर एक साल पहले बुक कराने वाले सलमान भी दिवाली मोह से नहीं बच पायें हैं। ‘प्रेम रतन धन पायो’ सलमान की दिवाली रिलीज फिल्म रही है। वैसे, अपवाद भी होता है हर बात का। आमिर खान की ‘ठग्स ऑफ हिन्दुस्तान’ (जिसमें अमिताभ भी थे) और ‘ऐ दिल है मुश्किल’ (ऐश्वर्य राय, रणबीर कपूर, अनुष्का शर्मा) दिवाली-रिलीज की पिटने वाली बड़ी फिल्में रही हैं। हमारा तात्पर्य है त्योहार, त्योहार हैं उनको उसी हौसले से मनाया जाना चाहिए, चाहे जो भी त्योहार हों। कई फिल्मों के दिवाली गीत... जो पूजा से सम्बंधित, लक्ष्मी की मूर्ति के सामने ना गाये जाने के बावजूद भी हिट हैं।

फीकी पड़ती जा रही है दिवाली की चमक, क्यों?

‘कभी खुशी कभी गम’ का गीत- ‘ये हैं तेरे करम’, फिल्म ‘दिल से’ का गीत ‘जीया जले जां जले’, ‘कल हो ना हो’ का गीत ‘माही वे’ फिल्म ‘देवदास’ का ‘डोला रे डोला’, हम दिल दे चुके सनम का गीत-‘ढोली तारो ढोल बाज...’,फिल्म ‘नजराना’ का गीत ‘इक वो भी दिवाली थी इक ये भी दिवाली है’ दिवाली पृष्ठभूमि के गीत थे, जो खूब पसंद किए गये हैं। यानी-कहीं कोई फार्मूला लागू नहीं होता फिर भी बॉलीवुड के निर्माता साल भर पहले से सिनेमाहॉल दिवाली के मौके पर बुक करके रखते हैं। यह झूठी होड़ है। सच तो यह है कि दिवाली दिनोंदिन अपनी चमक खोती जा रही है। हर दिवाली के बाद वर्ष का अंत शुरू होता है। एक शाहरुख, सलमान या अक्षय की फिल्म, इंडस्ट्री को नहीं चला सकती। दुआ कीजिए मां लक्ष्मी से फिल्मों का बाजार सुधरे। और, हम दुआ करेंगे आपके लिए- हैप्पी दिवाली!

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