ट्रेजिडी किंग दिलीप कुमार सदा यादों में रहेंगे By Mayapuri Desk 13 Jul 2021 in एंटरटेनमेंट New Update Follow Us शेयर बॉलीवुड की सबसे बड़ी षख्सियत, षताब्दी के महानायक, अपने उत्कृष्ट अभिनय की बदौलत सर्वाधिक सम्मान अपने नाम कर लेने वाले महान अभिनेता, नेकदिल व विनम्र इंसान दिलीप कुमार 98 वर्ष की उम्र में अपने प्रषंसकों को रोता विलखता छोड़ इस संसार को अलविदा कह गए। जी हाँ! सात जुलाई सुबह साढ़े सात बजे मंुबई के खार स्थित हिंदुजा अस्पताल में दिलीप कुमार ने अंतिम सांस ली। हिंदुजा अस्पताल के डाक्टरों के अनुसार 98 साल यानी कि अधिक उम्र और साँस लेने में तकलीफ के चलते दिलीप कुमार का देहावसान हो गया। यू तो दिलीप कुमार की फिल्में देखते हुए ही मैं बड़ा हुआ हॅूं। मगर स्वतंत्र फिल्म पत्रकारिता के क्षेत्र से जुड़ने के बाद सुभाष घई की फिल्म ‘कर्मा’ की षूटिंग के दौरान उनसे मेरी पहली मुलाकात हुई थीं। उस वक्त हमारी उनसे ज्यादा बातचीत नहीं हो पाई थी। कुछ वर्ष बाद हमारी दूसरी मुलाकात दिलीप कुमार के बंगले पर ही हुई थी, जहां उनकी पत्नी सायरा बानो भी थी। उस वक्त मोबाइल फोन व सेल्फी का जमाना नहीं था। मगर हमारे साथ मौजूद एक फोटोग्राफर साथी ने दिलीप कुमार व सायरा बानो के साथ कब हमारी फोटो खींच ली, पता नहीं चला था। कुछ दिन बाद जब मेरे मित्र ने मुझे वह तस्वीर दी, तब पता चला कि उसने हमारी तस्वीर खीची थी। लेकिन दिलीप कुमार के बंगले पर उनसे हुई वह मुलाकात आज भी मेरे जेहन में दर्ज है। उस वक्त दिलीप कुमार सिर्फ सुपर स्टार ही नहीं बल्कि सर्वाधिक लोकप्रिय व सर्वाधिक पुरस्कार जीत चुके कलाकार थे। उनका अपना एक ‘औरा’ था। पर इस मुलाकात के दौरान उन्होने मुझे इस बात का अहसास नहीं कराया था कि वह कितने महान कलाकार हैं। उनकी इस विनम्रता, इंसानियत व सादगी का मैं कायल हो गया था। जबकि उस वक्त कई नए उभरते कलाकारों में भी विनम्रता नजर नहीं आती थी। दिलीप कुमार जितने प्यारे इंसान थे, उतना ही उनके अंदर बेहतरीन सेंस आफ ह्यूमर भी था। उनकी गिनती पढ़ाकू कलाकारों मे हुआ करती थी। वह किताबे काफी पढ़ते थ। उनके निजी जीवन की इस खासियत ने ही उन्हे उंचाइयों पर पहुंचाया था। उसके बाद भी दिलीप कुमार से मेरी तीन चार मुलाकातें हुई और हर बार मैने उन्हें मनुष्यता के उच्चतम आदर्शों का निर्वाह करते पाया। दिलीप कुमार हमेषा मेरी यादों में रहेंगें। दिलीप कुमार का जन्म 11 दिसंबर 1922 को पेषावर (अब यह पाकिस्तान का हिस्सा है) में हुआ था। उनका नाम मो.यूसुफ खान था। मगर उनकी षिक्षा देवलाली, महाराष्ट् के बन्र्स स्कूल मे हुई थी। वह लंबे समय तक स्व.राज कपूर के पड़ोसी रहे। जब उन्होने हिन्दी फिल्मों में काम करना शुरू किया, तो उन्होने अपना नाम बदल कर दिलीप कुमार कर लिया था, ताकि उन्हे हिन्दी फिल्मो में ज्यादा पहचान और सफलता मिल सके। वैसे यह नाम उन्हे 1942 में उनकी पहली फिल्म ‘ज्वार भाटा’ की निर्माण कंपनी ‘बॉम्बे टोकीज़’ की मालकिन देविका रानी ने दिया था, जिसे उन्होने सहर्ष स्वीकार कर लिया था। दीदार (1951) और देवदास (1955) जैसी फिल्मो में दुखद भूमिकाओं के मशहूर होने के कारण उन्हे ट्रेजिडी किंग कहा गया। यूसुफ खान से दिलीप कुमार तक की उनकी जीवन यात्रा हमें बहुत- कुछ सिखा जाती है। सहिष्णुता उनका सबसे बड़ा गुण है। वह गंगा जमुनी संस्कृति के बेहतरीन उदाहरण रहे। उनके जैसा सहृदय इंसान व कलाकार मिलना असंभव है। कई बार उन पर कुछ आरोप लगे, पर वह चुप रहे। सहिष्णुता उनका सबसे बड़ा गुण रहा। दिलीप कुमार का पहला इष्क मधुबाला थीं, मगर मधुबाला से उनका विवाह नही हो पाया। फिर दिलीप कुमार ने अभिनेत्री सायरा बानो से 1966 में विवाह किया। विवाह के समय दिलीप कुमार 44 वर्ष और सायरा बानो 22 वर्ष की थीं। 1980 में उन्हें सम्मानित करने के लिए मुंबई का शेरिफ घोषित किया गया। 1995 में उन्हें दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1998 में उन्हे पाकिस्तान का सर्वोच्च नागरिक सम्मान निशान-ए-इम्तियाज भी प्रदान किया गया। वर्ष 2000 से 2006 तक वह राज्य सभा के मनोनीत सदस्य रहे। उन्हे सबसे अधिक फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिले। इन दिनों हर कलाकार खुद को बड़़ा साबित करने के लिए गिनाता रहता है कि उसने कितने कम समय में कितनी अधिक फिल्में कर लीं। जबकि दिलीप कुमार ने अपने पूरे कैरियर में महज बासठ यादगार फिल्मों में अभिनय कर ‘एक किंवदंती’बन गए। ‘ज्वार-भाटा‘, ‘जुगनू‘, ‘अंदाज‘, ‘दाग‘, ‘आजाद‘, ‘देवदास‘, ‘नया दौर‘, ‘कोहिनूर‘, ‘मुगल-ए-आजम‘, ‘गंगा-जमुना‘, ‘लीडर‘, ‘राम और श्याम‘,‘क्रांति‘, ‘विधाता‘, ‘शक्ति‘, ‘कर्मा‘ और ‘सौदागर‘ जैसी उनके अभिनय से सजी फिल्में लोगों के दिलोदिमाग में सदैव उन्हे जीवंत रखेंगी। इतना ही नहीं दिलीप कुमार को ‘मैथड एक्टिंग’ में महानता हासिल थी। यह दिलीप कुमार की सहृदयता व विनम्रता का ही परिणाम है कि बॉलीवुड में सभी उनके प्रशंसक हैं। हर कलाकार नम आँखों से उन्हे याद कर रहा है। #Dilip Kumar #Tragedy King Dilip Kumar #Devdas #Mughal-e-Azam #daag #Kranti #Shakti #ganga jamuna #Andaz #naya dour #Kohinoor #Azad #jugunu #Jwar-Bhata #Karma and Saudagar #Leader #live in memories #Ram and Shyam #shakti film #Vidhata हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article