‘निल बटे सन्नाटा’, ‘बरेली की बर्फी’ और ‘पंगा’ फिल्मों की लेखक व निर्देशक अश्वनी अय्यर तिवारी स्वतंत्रता दिवस की चर्चा चलने पर कहती हैं- “मेरा ग्यारह साल का बेटा जब हिंसा देखकर सवाल करता है, तो मैं उसके सवालों के जवाब नहीं दे पाती हूँ। मेरा ग्यारह वर्ष का यह बेटा ही हमारे देष का भविष्य है। तो इस तरह हम किस तरह के भविष्य का निर्माण कर रहे हैं।
हमें इस पर सोचना होगा? मेरी राय में किसी भी रूप में कहीं भी हिंसा नहीं होनी चाहिए।मेरा अपना मानना है कि किसी भी समस्या का हल हिंसा नही हो सकती। हिंसा से लोकतंत्र कमजोर होता है। लोकतंत्र को मजबूती प्रदान करने के लिए जरुरी है कि हम हिंसा से दूरी बनाकर हर मसले, हर समस्या पर गहन विचार विमर्ष, बातचीत करें। हर इंसान को रोजी, रोटी और पानी बिना यह पूछे कि वह किस जाति या धर्म का है, उपलब्ध कराने पर ही हमारा गणतंत्र सुरक्षित रहेगा.’’