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हम ‘पॉटलक’ के माध्यम से लोगों के बीच उम्मीद, आशा जगाना चाहते हैं- किट्टू गिडवाणी

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By Mayapuri Desk
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हम ‘पॉटलक’ के माध्यम से लोगों के बीच उम्मीद, आशा जगाना चाहते हैं- किट्टू गिडवाणी

अंग्रेजी व फ्रेंच थिएटर से अभिनय की शुरूआत करने वाली किट्टू गिडवाणी ने बाद में मॉडलिंग करते हुए टीवी व फिल्म में कदम रखा। अब वह ओटीटी प्लेटफॉर्म पर भी सक्रिय हैं। इन दिनों उन्हें ‘सोनी लिव’ की वेब सीरीज ‘पॉटलक’ में प्रमिला शास्त्री के किरदार में काफी पसंद किया जा रहा है।

पेश है उनसे हुई बातचीत के मुख्य अंश:

हम ‘पॉटलक’ के माध्यम से लोगों के बीच उम्मीद, आशा जगाना चाहते हैं- किट्टू गिडवाणी

आप अभिनय यात्रा से कितना संतुष्ट हैं?

मुझे नहीं लगता कि कोई भी कलाकार अपनी अभिनय पारी पर शत प्रतिशत संतुष्ट होता होगा। मैं खुश हूं कि मुझे मेरे मॉडलिंग कैरियर से लेकर अब तक टीवी व फिल्म सहित हर समय-समय पर बड़े अच्छे मौके मिले। मुझे सबसे ज्यादा खुशी इंग्लिश थिएटर करने से मिली। मैंने 20 वर्षों से अधिक वक्त अंग्रेजी नाटकों को दिया और मेरे अंग्रेजी नाटक हमेशा कामयाब रहे। मुझे अंग्रेजी नाटकों में हमेशा चुनौतीपूर्ण किरदार मिले।

किसी भी सीरियल,फिल्म या वेब सीरीज का चयन करते समय किसे प्रधानता देती हैं?

मेरे लिए पटकथा व किरदार सबसे अधिक मायने रखते हैं। उसके बाद मैं इस बात पर गौर करती हॅूं कि पारिश्रमिक राशि या निर्देशक या निर्माता या किस तरह के दर्शक होंगे, आदि पर जोर देती हॅूं। बेशक निर्माता व निर्देशक की अपनी एक अच्छी प्रतिष्ठा होनी चाहिए। मेरी राय में हर कलाकार मूलतः अच्छी पटकथा की तलाश में रहता है।

वेब सीरीज ‘पॉटलकसे जुड़ने की वजह क्या रही?

मुझे सदैव बेहतरीन पटकथा कह तलाश रहती है। पॉटलक की कथा, पटकथा व मेरा किरदार मुझे पसंद आया। इसमें संयुक्त परविार या यूं कहें कि पारिवारिक एकता की बात की गयी है। पर इसमें सब कुछ हास्य के ढर्रे पर है।

हम ‘पॉटलक’ के माध्यम से लोगों के बीच उम्मीद, आशा जगाना चाहते हैं- किट्टू गिडवाणी

वेब सीरीज ‘‘पॉटलक’’ के अपने किरदार को किस तरह परिभाषित करेंगी?

दर्शक मुझे इसमें प्रमिला शास्त्री के किरदार में देख रहे हैं। वह मॉडर्न है और मॉडर्न जिंदगी की समस्याओं का सामना कर रही है। उसका पति अवकाश ग्रहण कर चुका है, तो उसे परिवार में जो कुछ होता है, वह सब झेलना पड़ता है। वह कैसे हर समस्या का सामना करती है। इसका इसमें चित्रण है, मगर यह सब इसमें ह्यूमर के साथ परोसा गया है। इसमें किसी भी किरदार को बहुत डार्क नही चित्रित किया गया है। हम ‘पॉटलक’ के माध्यम से लोगों के बीच उम्मीद, आशा जगाना चाहते हैं। परिवार में जो पागलपन होता है,उसका भी इसमें चित्रण है। इसमें इस बात का भी बाखूबी चित्रण है कि आप अलग रहते हुए भी परिवार के साथ जुड़े रह सकते हैं। अगर आप परिवार से जुदा न हो जाएं, तो एक अलग तरह की संतुष्टि व आनंद मिलता है। इसलिए हर इंसान को परिवार के साथ रहने की कोशिश करनी चाहिए, यही संदेश यह वेब सीरीज देती है। मगर इसमें कहीं भी भाषणबाजी नही है। तमाम मतभेदों के बावजूद परिवार को एक साथ रखने की कोशिश की बात की गयी है।

आपके लिए ‘पॉटलकमें कॉमेडी करना तो आसान ही रहा होगा?

कॉमेडी तो शुरू से ही मेरा पसंदीदा जॉनर रहा है। इसकी मुख्य वजह यह है कि मैंने ज्यादातर अंग्रेजी के हास्य नाटकों में ही अभिनय किया। मुझे कॉमेडी करने के मौके मुझे खूब मिले। इंसान जिंदगी जीने की कश्मकश में इतना उलझा रहता है कि उसे हंसाने के लिए काफी प्रयास करने पड़ते हैं। मैं कॉमेडी को दिल से इंज्वॉय करती हूं। मैने सीरियल ‘शक्तिमान’ में भी हास्य किरदार निभाया। मैंने फ्रेंच कलाकार जॉनी दीप के साथ डार्क कॉमेडी फिल्म की है। लेकिन अपने देश में मेरी राय में सोफिस्टिकेटेड कॉमेडी नहीं पेश की जाती। मुझे लाउड कॉमेडी कभी रास नहीं आई। मुझे विदेशों में चार्ली चैप्लिन जॉन क्लिस, जॉर्ज कार्लिन हमेशा से पसंद आए। इनकी कॉमेडी का स्तर बहुत अच्छा रहा।

हम ‘पॉटलक’ के माध्यम से लोगों के बीच उम्मीद, आशा जगाना चाहते हैं- किट्टू गिडवाणी

पॉटलक’ में निर्देशक राजश्री ओझा के साथ काम करने का अनुभव कैसा रहा?

बहुत अच्छा रहा। वह अमरीका से हाल ही में लौटी हैं। उनके काम करने का तरीका काफी अलग है। उनकी स्टाइल भारतीय निर्देशकों से थोड़ा हटकर है। वह सेट पर हमें इम्प्रोवाइज करने के लिए खुली छूट देती थीं। वह सेट पर सभी कलाकारों को बताती थीं कि इस तरह का दृश्य है, इस तरह के संवाद है और अब आप लोग बताएं कि इसे किस किस तरह से कर सकते हो। फिर देखने के बाद वह कहती थी कि किस तरह सही रहेगा। वह बड़े आराम से काम करती थीं, कहीं कोई जल्दबाजी नहीं थी। उनके पास ट्कि भी थीं।

इसका फिल्मांकन लॉकडाउन के दौरान किया गया था?

जी हॉ! हमने इसकी शूटिंग लॉक डाउन में गुड़गांव में एक बड़े बंगले में बायो बबल तकनीक का प्रयोग करते हुए किया। सभी सह कलाकारों संग वक्त ऐसे शानदार बीता,जिसे मैं कभी नहीं भूल पाऊंगी।

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टीवी पर भी आप कम नजर आती हैं?

मैं हमेशा गुणवत्ता वाला काम करना पसंद करती हॅूं। मैंने ‘तृष्णा’, ‘स्वाभिमान’, ‘जुनून’ सहित कई बेहतरीन सीरियलों में अभिनय करते हुए कलाकार के तौर पर आनंद उठाया। मैने कभी भी नीरसता वाला काम नहीं किया। इन दिनों जिस तरह के टीवी सीरयिल बन रहे हैं, उनमें मैं अपनी कहीं जगह नही पाती। मुझे थोड़े वेस्टर्न टाइप किरदारों के लिए ही सदैव याद किया जाता रहा है।

क्या आप मानती हैं कि वर्तमान समय में टीवी पर जिस तरह का कंटेंट बन रहा है,उसके लिए अभिनय क्षमता वाले नही बल्कि सिर्फ खूबसूरत चेहरे ही चाहिए?

एकदम सही बात है। वैसे हकीकत यह है कि अब मैं ज्यादा टीवी देखती ही नहीं हॅूं।

आप वेब सीरीज या फिल्में देखती होंगी, तो अब सिनेमा कहां जा रहा है?

देखिए, फिलहाल कुछ वेब सीरीज बहुत अच्छी बन रही हैं। मसलन, आप ‘क्रिमिनल जस्टिस’ को ही लीजिए। अब तो हर विषय पर धड़ल्ले से वेब सीरीज बन रही हैं। मुझे इस तरह की वेब सीरीज देखकर खुशी मिल रही है। हकीकत में ओटीटी प्लेटफार्म का लेखन कुछ हद तक पश्चिम से प्रेरित है और ओटीटी प्लेटफॉर्म इस बात पर यकीन कर रहा है कि कंटेंट ही राजा है।

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इन दिनों कें नए कलाकार अपने वरिष्ठ कलाकारों की इज्जत नहीं करते?

इस पर मैं कुछ नहीं कह सकती। क्योंकि मैं सेट पर किसी से यह कहने नहीं जाती कि मेरी इज्जत करो। मैं सेट पर जाकर अपना काम करती हूं। अब मेरे सामने जो कलाकार है, वह ठीक से अभिनय करना चाहता है, तो अच्छी बात है। यदि नहीं करना चाहता, तो फिर काम में दिक्कत हो जाती है। देखिए, इज्जत का मतलब होता है कि जब आप सेट पर हैं, कैमरे के सामने जाएं, तो आप एक दूसरे की इज्जत करें। जब कैमरा ऑफ होता है, तो मैं अपने मेकअप रूम में जाती हूँ। उस वक्त कौन क्या करता है, क्या सोचता है, इस पर ध्यान ही नहीं देती।

पसंदीदा जगह, जहां आप बार-बार जाना पसंद करती हों?

हिमालय।

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