हम प्रायः सुनते हैं कि सलमान खान में एटिकेट्स नहीं हैं। एक लेखक कम निर्माता ने तो यहां तक कह दिया कि वे सलमान को कहानी सुनाने उनकी एक फिल्म के सेट पर गए थे जहां सलमान ने उनके ऊपर कुत्ते दौड़ा दिए। अब, सोचिए क्या सलमान अपनी शूटिंग पर कुत्ते लेकर जाते हैं? बस, ये कहानियां हैं जो सलमान को लेकर बनती हैं।
खासकर इनदिनों यू ट्यूब वाले तो सलमान को लेकर ऐसे ऐसे किस्से गढ़कर वीडियो के मार्फत पेश करते हैं जिनको देखने वाला निश्चित ही सलमान के खिलाफ अपने दिमाग में एक खराब इमेज बना लेगा। हम यहां स्टार का बचाव नही कर रहे हैं बल्कि एक अनुभव शेयर करना चाहते हैं जो कभी सलमान को अचानक किसी खास वक्त (मौके) पर फेस करने पर महसूस किया था।
यह उस समय की घटना है जब हम कई प्रेसवाले रिपोर्टर और फ़ोटो ग्राफर्स मुम्बई के फिल्मसिटी (अब दादा साहब फाल्के चित्र नगरी) स्टूडियो में एक मुहूर्त पर जमा हुए थे। पता चला कि बगल के सेट्स पर सलमान खान अपनी एक फिल्म की शूटिंग कर रहे हैं। हम सब उस शूटिंग पर जाना चाहते थे। सबने एक ही बात कहा-आजकल तो वो बात करता ही नहीं, वहां जाकर क्या फायदा?
दरअसल उनदिनों सलमान ने बिना किसी खास वजह के ही प्रेस से बात ना करने का निश्चय कर लिया था। वह ना रिपोर्टर्स से बात करते थे और ना ही फोटोग्राफरों को अपने ऊपर कैमरा खोलकर फोटो क्लिक करने देते थे। अंदर की चर्चा थी कि बेटे को यह नसीहत बाप सलीम खान ने दिया था। सलीम -जावेद जोड़ी के मशहूर लेखक सलीम खान जानते थे कि अमिताभ ने प्रेस को बैन करके कैसे सुपर स्टारडम हासिल किया था। और, वही फार्मूला वह सलमान को अपनाने की सीख दिए थे।
सब जानते हैं कि फार्मूला सफल भी रहा।सलमान के लिए निगेटिव लिखा जाना शुरू हो गया। सलमान सुर्खियों में बने रहे और स्टारडम की ऊँचाई चढ़ते गए। मैं और फोटोग्राफर राजू उपाध्याय फिल्मसिटी के मेनगेट से निकलने जा रहे थे कि नजर पड़ी की मेनगेट से बायीं तरफ के एक स्टेज के बाहर खुले स्थान पर सलमान खान साइकल पर चढ़े टेक लगाए खड़े हैं। सलमान को काम से फुर्सत पाते ही साइकल चलाने का चस्का लगा हुआ था। वह अब भी मौका पाकर साइकल दौड़ाते हैं।
किसी ने बताया कि उनकी बाईसाकल 7 लाख की है। हमने राजू को कहा चलो सलमान से बात करते हैं मौका अच्छा है। हम उनके पास पहुचे तबतक राजू ने कैमरा खोल लिया था। हमें अपने पास आते देख सलमान ने दूर से ही कह दिया- 'नो...नो फोटोज प्लीज़!' राजू ने कैमरा बैग में डाला, मैं उनके पास जाकर खड़ा हो गया- 'सलमान जी, मैं मायापुरी से हूं। हम लोग कभी गॉसिप नहीं छापते। एक फैमिली मैगज़ीन है। फिर मायापुरी से बात क्यों नहीं करते? दूरी क्यों?'
सलमान कहते हैं, “मैं जानता हूं कि आपकी मायापुरी एक पारिवारिक पत्रिका है। आपसे बात ना करने का कोई कारण नहीं है मेरे पास, लेकिन मैंने सबसे बात ना करने की बात कि है। किसी एक से कैसे बात कर सकता हूं? यह तो एथिक के खिलाफ है ना?' कहने के साथ ही वह मेरी तरफ से मुंह घुमाकर साइकल पर पैडल मारते आगे बढ़ गए।
तभी, वहां निर्माता सुधाकर बोकाडे आ गये। उनकी ही फिल्म 'साजन' का अंदर सेट पर शूट चल रहा था। राजू उपाध्याय ने उनके लिए कैमरा खोला, क्लिक किया। सलमान साइकल चलाते वापस आ रहे थे। बोकाडे जी ने कहा -“अब आप लोग जाइये। जिस दिन सेट पर संजू (संजय दत्त) होंगे मैं अपने पीआरओ राजू कारिया को कहकर आप लोगों को बुलवाऊंगा। आज तो सिर्फ सलमान है जो बात नहीं करेगा।'
हम फिर, वहां से चल पड़े लेकिन दिमाग मे एक बात चल रही थी- की सलमान ने एथिक की बात कही थी- जब 'बैन' है तो बैन है किसी एक के लिए अपने नियम क्यों तोड़ें! सलमान के इस एटिकेट्स का असर उनकी आगे की फिल्मों में भी दिखा। बकौल उनकी ही एक फिल्म के डायलॉग से- 'एक बार जो मैंने कमेटमेंट कर दी उसके बाद तो मैं अपनी भी नहीं सुनता!’