-सुलेना मजुमदार अरोरा
पिछले रविवार टीवी तथा फ़िल्मों की सुप्रसिद्ध अभिनेत्री हिमानी शिवपुरी, सुचित्रा पिल्लई और विभा छिब्बर ने एक माँ के रूप में अपनी कई जिम्मेदारियों को निभाने के संघर्ष को याद किया। महिलाओं को उनकी मल्टी-टास्किंग स्किल्स के लिए, खासकर कामकाजी होते हुए भी, बच्चों को पालने के लिए सराहा जाता है, लेकिन शायद ही कोई इस बात पर गौर करता होगा कि उन्हें एक ही समय में इतने सारे काम आखिर क्यों करने पड़ते हैं। क्या ऐसा कभी हो सकता है कि वे अधिक सहायता और कम जिम्मेदारियों का उपयोग करें? इस मुद्दे पर ज़ी थिएटर के सितारे हिमानी शिवपुरी, सुचित्रा पिल्लई और विभा छिब्बर ने अपनी मातृत्व यात्रा को याद करते हुए घर पर और काम के मोर्चे पर कई जिम्मेदारियों को संभालने के दौरान होने वाली कठिनाइयों पर विशेष चर्चा की।
टेलीप्ले 'डांस लाइक ए मैन' में अभिनय करने वाली सुचित्रा पिल्लई कहती हैं, 'जब आप एक कामकाजी माँ होती हैं, तो आपके लिए टाइम मैनेजमेंट काफी कठिन हो जाता है। अपनों से दूर रहने की कठिनाई और दर्द शब्दों में बयान नहीं की जा सकती है, लेकिन इससे भी कठिन है यह सुनिश्चित करना कि अपने बच्चे के साथ संवेदनशील विषय पर बात करने का सबसे सही तरीका क्या है। मामला कठिन होने पर आप किसी और को किसी हाल में मातृत्व नहीं सौंप सकते। यह एक गलत धारणा है कि एक बच्चे और माँ के बीच के बंधन में, पीढ़ियों के बदलने के साथ अंतर आता है या एक दाई मां द्वारा आपके बच्चे के पालन-पोषण में आपकी जगह लेना उचित है। कोई भी माँ इस काम को बाद के लिए कभी नहीं टाल सकती है। जब मैं माँ बनी, तो मुझे इस बात का एहसास बहुत गहराई से हुआ कि जब मैंने मेरी माँ के साथ कुछ अच्छा व बुरा व्यवहार किया होगा, तो उन्हें कैसा लगा होगा।' इन वर्षों में, सुचित्रा की बेटी ने उन्हें जीवन के बहुत सारे सबक सिखाए हैं, जिस पर ज़ोर देते हुए वे कहती हैं, 'मैंने उससे, बिना मिलावट की ईमानदारी और नि:स्वार्थता सीखी है और मैं उसे उसकी सफलता या खुशी के लिए हमेशा आर्थिक रूप से स्वतंत्र रहना और कभी किसी पर निर्भर नहीं रहना सिखाना चाहती हूँ। मैं उसे यह भी सिखाना चाहती हूँ कि कभी किसी को तुम्हारा अनादर करने या तुम्हें छोटा महसूस कराने की अनुमति नहीं देना, और अपने जीवन को खुलकर जीना।'
टेलीप्ले 'पंछी ऐसे आते हैं' में अभिनय करने वाली अभिनेत्री विभा छिब्बर कहती हैं, “एक माँ के लिए सबसे कठिन चुनौती अपने बच्चों को उन मूल्यों, परंपराओं और संस्कृति को प्रदान करना होता है, जिनके साथ वे स्वयं पली-बढ़ी थीं। मेरे लिए भी एक माँ के रूप में, बदलते समय के साथ तालमेल बैठाना निश्चित रूप से चुनौतीपूर्ण था, लेकिन मुझे खुशी है कि मैं सफल रही। समय के बदलने के साथ, एक परिवार के रूप में, हमने इस मिथक को भी तोड़ दिया है कि आप अपने माता-पिता के दोस्त नहीं हो सकते, क्योंकि हम अपने बच्चे के दोस्त बन गए हैं, उसके साथ मैं हर चीज के बारे में बात करती हूं और हर छोटी-छोटी बात एक-दूसरे से साझा करते हैं। यह वास्तव में हमारे लिए एक बड़ा आशीर्वाद है। मेरे बच्चों ने मुझे अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का भी ख्याल रखना सिखाया है। उन्होंने ही मुझे सिखाया है कि खुद की देखभाल करना भी उतना ही महत्वपूर्ण है, जितनी कि बच्चों की।' और जीवन का एक पाठ, जो उन्होंने एक माँ के रूप में अपने बच्चों को पढ़ाया है, वह है, 'सभी के साथ सम्मान और प्यार से पेश आना और जीवन में हमेशा सकारात्मक रहना।'
दिग्गज अदाकारा हिमानी शिवपुरी, जो टेलीप्ले 'हमीदाबाई की कोठी' में अभिनय कर रही हैं, ने 1995 में अपने पति ज्ञान शिवपुरी को खो दिया। उन्हें याद करते हुए वे कहती हैं, 'सबसे कठिन चुनौतियों में से एक है बच्चे का सिंगल पैरेंट बनना। सब कुछ खुद से मैनेज करना बहुत कठिनाई भरा होता है। मैं अपने आप को दोषी महसूस करती हूँ कि एक कामकाजी माँ के रूप में, मैं अपने बच्चे के साथ पर्याप्त समय नहीं बिता पाती थी। मेरे काम के चलते हमारे पास साथ बिताने के लिए नियमित समय नहीं होता था और मुझे आज भी याद है कि एक समय ऐसा था, जब मैं एक दिन में तीन शिफ्ट कर रही थी, और सुबह करीब 4 बजे घर आती थी। उस दौरान मेरे बेटे की परीक्षा चल रही थी और मैं अपनी तमाम जिम्मेदारियों के साथ उसे समय देना चाहती थी। लेकिन अब, जब पीछे मुड़कर देखती हूँ, तो मुझे लगता है कि मैंने उस समय को सफलतापूर्वक पार कर लिया। हालाँकि, मातृत्व के बारे में सबसे बड़ी गलत धारणा यह है कि एक माँ सभी प्रश्नों के उत्तरों को जानती है।'