हाल ही में एडिव प्रोडक्शंस प्राइवेट लिमिटेड ने आधिकारिक तौर पर अपनी आनेवाली फिल्म 'लावस्ते' के लिए दिल्ली में टीजर जारी किया. कनॉट प्लेस के पीवीआर प्लाजा में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया. खास बात यह है कि इस फिल्म के जरिये निर्देशक सुदेश कनौजिया और निर्माता आदित्य वर्मा हमारे समाज में लावारिस लाशों की अनकही त्रासदी दिखाने वाली अनूठी कहानी लेकर आए हैं.
'लावस्ते' छत्तीसगढ़ के बी.टेक स्नातक सत्यांश की कहानी कहती है. अपने शहर में नौकरी न मिलने की वजह से सत्यांश सपनों के शहर मुंबई आता है. यहां उसे नौकरी तो मिलती है, लेकिन न तो इज्जत मिलती है और न अच्छा पैसा. वहां, दूसरी तरफ गांव में बैठा उसका परिवार पैसे की तंगी से जूझ रहा है. इन सबकी टेंशन में सत्यांश कई और पार्ट टाइम करना शुरू कर देता है. इसके बाद उसे एक और नौकरी के बारे में पता चलता है, जहां अच्छी सैलरी मिल रही है, लेकिन वह काम होता है लावारिस लाशों को उठाने का. एक बार वह इस काम की वजह से पीछे हटने की कोशिश करता है, लेकिन अपनी घर की जिम्मेदारियों के चलते वह लावारिस लाशों को उठाने की नौकरी करना शुरू कर देता है.
इस काम को करते हुए सत्यांश को जिंदगी के बारे में बहुत चीजें देखने को मिलती हैं. तकलीफे क्या होती हैं, परिवार, पैसा खुशी क्या होती है... सत्यांश को लावारिस लाश उठाते समय सबका एहसास होता है. इतनी दयनीय स्थिति देख उसका दिल पिघल जाता है और वह समाज में कुछ नया करने की ठान लेता है. इसके बाद वह 'लावस्ते' नाम से कंपनी बनाता है, जहां हर लावारिस लाश का अंतिम संस्कार किया जाता है. धीरे-धीरे सत्यांश की यह संस्था पूरे देश में फैल जाती है और वह कामयाब होने लगता है. लेकिन, इस बीच वह अपने मां-बाप से दूर होने लगता है. वहीं, उसकी जिंदगी में कुछ ऐसा होता है कि वह अपने मां-बाप के शवों का ही अंतिम संस्कार नहीं कर पाता. कुल मिलाकर फिल्म का उद्देश्य लावारिस लाशों की खातिर लोगों को एकजुट करने के साथ समाज में मौजूद अमानवीयता और त्रासदी पर प्रकाश डालना है.
ओंकार कपूर, मनोज जोशी, बृजेंद्र काला, उर्वशी एस. शर्मा, शुभांगी लतकर और आदित्य वर्मा अभिनीत 'लावस्ते' 26 मई को सिनेमाघरों में दस्तक देगी. फिल्म में मनोज नेगी ने संगीत दिया है, जिसके गीतों को प्लेबैक की दुनिया के दिग्गज सोनू निगम, कैलाश खेर और स्वानंद किरकिरे ने आवाज है. फिल्म का वितरण जंपिंग टोमैटो स्टूडियो ने किया है.