- मायापुरी अंक 41,1975
अंग्रेज लोग यहां से जा चुके हैं जिनसे हमने कई अच्छी और बुरी बातें अपनाई हैं। उनकी बुराई तो शायद ही कोई छोड़ी होगी? हां, कई अच्छी बातें अपनाना अवश्य भूल गये हैं। जैसे अच्छा व्यवहार, एक-दूसरे को अपने बराबर समझना वगैरह। उस बारे में प्रसिद्ध चरित्र अभिनेता ओम प्रकाश ने एक बड़ी दिलचस्प घटना भेंट के दौरान सुनाई।
कुछ वर्ष पहले की बात है एक कल्चरल-प्रोग्राम के लिए ओम प्रकाश को इंग्लैंण्ड जाने के लिए निमंत्रण मिला। ओम प्रकाश ने जाना स्वीकार तो कर लिया लेकिन एक शर्त रखी कि उन्हें जिस होटल में ठहराया जाये, उसका कमरा बढ़िया हो और बाथरूम साथ में हो। वह इसलिए कि ओम प्रकाश को काफी अर्से से बवासीर की बीमारी है जिसके कारण कई बार उन्हें एक-एक घंटा बाथरूम में बैठा रहना पड़ता है और इंग्लैण्ड में सिवायें लंदन को छोड़कर बाकी सब शहरों के होटलों में बाथरूम की बड़ी कमी है। एक दो कमरों के साथ ही बाथरूम होता है।
कार्यक्रम के अनुसार सब कोबर्मिंघम ले जाया गया। वायदे के अनुसार ओम प्रकाश को होटल का सबसे बढ़िया कमरा मिला। ओम प्रकाश की तबीयत कुछ ठीक नही थी। इसलिए जाकर बिस्तर पर लेट गये। अभी पन्द्रह मिनट ही बीते होंगे कि एक अंग्रेज नागरिक मुंह में पाइप लिये अन्दर दाखिल हुआ। अन्दर आते ससमय उसने दरवाजा खटखटकाने की जरूरत नही समझी।
ओम प्रकाश ने अपनी आंखे खोली और उसे एक अजनबी को देख कर बड़ा गुस्सा आया, “यह क्या बदतमीजी है बिना खटखटाये यह आदमी अन्दर कैसे आ गया?” ओम प्रकाश ने सोचा और गुस्से से पूछा, “What do you want”
उस आदमी ने ओम प्रकाश को बिस्तर पर लेटे देखा नही था। वह उन्हें देखते ही चौंक-सा गया। और घबरा कर जल्दी से बोला, “Oh I am very sorry”
और वह जल्दी से चला गया। ओम प्रकाश ने सोचा कि शायद वह गलती से अपना कमरा समझ कर आ गया होगा। फिर से आंखें मून्द ली। लेकिन चन्द लम्हें ही बीते होंगे फिर से दरवाज़ा खटखटाया गया। ओम प्रकाश को बड़ा गुस्सा आया, लेकिन फिर भी अन्दर आने को कहा।
“अन्दर आने वालों में से एक होटल का मालिक और दूसरा मैनेजर था। दोनो क्षमा याचना के लहजें में अंग्रेजी में घबराये से बोलें, “माफ कीजिएगा... आपके आने से दो घण्टे पहले यह कमरा हमारे प्रधान मंत्री के पास था। वह शहर छोड़ कर जा रहे थे, इसलिए हमने यह कमरा आपको दे दिया। लेकिन ज्यादा धुंध होने की वजह से उनका प्लेन उड़ान नही भर सका और वह वापिस आ गये हैं। आपकी बड़ी ही मेहरबानी होगी अगर यह कमरा आप उनके लिए खाली कर सकें?”
ओम प्रकाश ने थोड़ी देर सोचा फिर हां कर दी। उन्होंने हजारों बार शुक्रिया किया और उनका सारा सामान खुद अपने हाथों से उठा कर दूसरे कमरे में ले गये। हुआ यह था प्रधान मंत्री विल्सन ने यह सोच कर कि कमरा खाली होगा, सीधा ऊपर चले आये थे जबकि उनके साथी कारों में से सामान वगैरह निकलते हुए, होटल वाली को इत्तला कर रहे थे।
“अगर मैं भारत में होता तो प्रधान मंत्री तो क्या अगर कोई छोटा-मोटा उप मंत्री भी होता तो मेरी हालत देखने वाली होती।“
और ओम प्रकाश अंत में बोले।