Birthday Special मनोज तिवारी: मैं एक इंसान पहले हूं, नेता या अभिनेता बाद में By Mayapuri Desk 01 Feb 2022 in बीते लम्हें New Update Follow Us शेयर पूर्व इंटरव्यू: बात पुरानी है। मैं उत्तरप्रदेश के एक गांव में बारात में जा रहा था। जिस जीप में बैठा था, उसमें बैठे सभी लोग एक गीत पर थिरकने से लगे थे...। जीपवाला ड्राइवर ने मेरे पूछने पर बताया- कि गायक मनोज तिवारी हैं, जो देवी का गीत बहुत बढ़िया गाते हैं। मैं सोचता रहा मनोज तिवारी के बारे में और गीत बजता रहा- ‘हाथ में त्रिशूल, गलबा सोनबा के हार रूपबा मनवा मोहे ला..।’ मनोज तिवारी ने तब तक मुंबई में आकर अभिनेता बनने की अपनी कोशिश जारी कर दी थी। मुंबई पहुंचने पर मनोज से मिला भिवंडी के एक थिएटर में हो रहे प्रीमियर पर। फिल्म थी- ‘ससुरा बड़ा पैसे वाला’। भिवंडी- मुंबई के पास वो इलाका है जहां उत्तर भारतीय मजदूर बहुतायत में रहते हैं। फिल्म देखने के लिए उमड़ी भीड़ देखकर मैं हैरान था। उस जमाने में जब ‘ससुरा...’ रिलीज हुई थी, भोजपुरी फिल्मों के थिएटर खाली जाया करते थे। इंटरवल में प्रीमियर के लिए पहुंची कलाकारों की भीड़ में मनोज तिवारी भी थे, जिनकी एक झलक पाने के लिए और उनसे गाना सुनने के लिए दर्शक बेचैन थे। ‘लोग मेरे गाने के आशिक हैं। मैं उनको अपना बच्चा लगता हूं न!’ मनोज ने बताया था मुझे। तब और कुछ दिन पहले मुंबई के टाइम-एन-अगेन में चुनाव से पूर्व मनोज से बातचीत हुई, दोनों में मिलने वाला व्यक्ति एक दूसरे से बहुत भिन्न था। पिछले सोलह सालों में मनोज तिवारी व्यक्ति से नेता बन चुके थे। ‘‘ना...ना...! मैं आज भी वही हूं जिसको पहली बार लोग ‘ससुरा...’ में देखे थे। मैं एक इंसान पहले हूं, नेता या अभिनेता बाद में हूं।’ वह कहते हैं। अपने छुटपन से ही गाना गाने लगा था। गायक के रूप में भी, पहचान बनने के बाद मैंने दस साल से ज्यादा लोक गायकी ही की है। मेरे चाहने वाले वही सब हैं। उन सब भाई लोगन और बहिनी लोगन के लिए मैं गवईया मनोज ही हूं।’ ‘बतौर अभिनेता भी आपने शानदार पारी खेला है और अब पॉलिटिक्स में गये हो तो, वो अभिनेता भी पीछे छूट गया?’ - अरे नहीं, मैं हर रूप में वही मनोज हूं। बस, प्राथमिकताएं कम ज्यादा हुई हैं। मैं अभिनेता बना था, तब भोजपुरी फिल्मों के अस्तित्व की लड़ाई सामने थीं। भोजपुरी फिल्में नाम के लिए बनती थी। ‘ससुरा बड़ा पैसे वाला’ ने लहर ला दिया था। फिर एक पर एक मेरी फिल्में आती गयी...।’ ‘दरोगा बाबू आई लव यू’, ‘बंधन टूटे ना’, -कब अइबू अगनवां हमार’, ‘ये भौजी के सिस्टर’ ये सबकी सब फिल्में चलती रही, फिर तो भोजपुरी फिल्मों की सुनामी आ गई।’ मनोज बताते हैं। ‘बेशक यह शुरूआत मेरे से ही हुई थी लेकिन, मेहनत तो उन भाई लोगन का भी था जो भोजपुरी को प्यार करते हैं।’ हंसते हैं मनोज। ‘वे ही लोग मेरे पॉलिटिकल करियर के साथी भी हैं। मुंबई में फिल्मों ने मुझे अपना समझा है और दिल्ली के लोगों ने पॉलिटिक्स में मुझे अपना समझा है।’ ‘पॉलिटिक्स में पहुंचकर आप फिल्मों को भूल गये हैं?’ - ‘जी नहीं, बिल्कुल नहीं! आज भी मैं गाने गाता हूं ना? वैसे ही अभिनेता भी मेरे अंदर है। आज भी मंच पर गाता हूं। ‘जीया हो बिहार के लाला...’ तो पब्लिक झूम पड़ती है। बस, काम की प्रियोरिटी बदली है। मैं ‘मनोज’ ही हूं।’ #bollywood #interview #Narendra Modi #Bjp #Manoj Tiwari हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article