देव आनन्द और सुरैया की प्रेम कहानी को बॉलीवुड के प्रथम ग्रेट लव स्टोरीज में गिना जाता है। देवानंद ने सुरैया के जीवन में तब प्रवेश किया था जब सुरैया एक बड़ी स्टार बन चुकी थी और हमेशा अपने नौकरों, चाकरों तथा परिवार से घिरी रहती थी। देव आनंद सुरैया की खूबसूरती पर इस कदर फिदा थे कि हर मुलाकात पर वे सुरैया की सुंदरता और टैलेंट की तारीफ करते नहीं थकते थे। पहले तो सुरैया ने इन बातों पर ध्यान नहीं दिया लेकिन फिर वह भी हैंडसम देवानंद के प्रेम में ग्रस्त हो गई। - सुलेना मजूमदार अरोरा
दोनों साथ-साथ कई फिल्में करने लगे। उनकी शुरुआती तीन फिल्मों, 'विद्या', 'जीत' और 'शायर' के दौरान किसी को दोनों के प्रेम की कानों कान खबर नहीं लगी लेकिन उसके बाद जब वे फिल्म 'नीली', 'दो सितारे' 'सनम' और 'अफसर' , की शूटिंग करने लगे तो सुरैया के रूढ़िवादी परिवार को पता चल गया और सुरैया पर कड़ी पाबंदी लग गई। फिल्म 'अफसर' का वह गीत 'मन मोर हुआ मतवाला, यह किसने जादू डाला रे' की शूटिंग के दौरान दोनों एक दूसरे में इतना खो गए थे कि सुरैया की नानी को शॉट के बीच अपना फुट डाउन करना पड़ा। नानी हर पल सेट में कुर्सी जमाए बैठे बैठे सुरैया के हाव भाव पर कड़ी नजर रखती थी। एक दृश्य में देवानंद को सुरैया की पलकों को चूमना था पर सुरैया की नानी ने किसी खलनायिका की तरह चीख चिल्लाकर आसमान सर पर उठा लिया और वह दृश्य खारिज करना पड़ा।
देव आनंद और सुरैया एकांत में दो पल मिलने के लिए हमेशा तड़पते और छटपटाते थे लेकिन सुरैया को उसके परिवार वाले एक पल के लिए भी अकेला नहीं छोड़ते थे। सुरैया भी देव असनन्द से मिलने के लिए बेहाल हो गई और इससे उसका कैरियर चौपट होने लगा था। नानी ने सुरैया पर दबाव डाला कि अगर उसने देवानंद से शादी के बारे में सोचा तो वो आत्महत्या कर लेगी। वे किसी हालत में सुरैया को हाथ से जाने नहीं देना चाहती थी। मजबूरी में आखिर एक दिन दोनों प्रेमी प्रेमिका ने एक दूसरे से अलग होने का फैसला कर ही लिया। देवानंद की विनती पर उसके बड़े भाई चेतन आनंद ने किसी तरह दोनों की आखिरी मुलाकात करवाई और उस अंतिम मुलाकात में सुरैया और देव एक दूसरे की बाहों में घन्टों रोते रहे और फिर सुरैया ने देव आनंद की पहनाई हीरे की अंगूठी को समुद्र में बहा कर एक खूबसूरत प्रेम कहानी का अंत कर दिया। दो प्रेम भरे सपने टूट गए और दोनों बिखर गए। वो जो टूटी सुरैया तो टूटती चली गई और रह गई अकेली जीवनभर।