जयंत- बहुमुखी प्रतिभा वाले अभिनेता By Mayapuri Desk 04 Jun 2021 | एडिट 04 Jun 2021 22:00 IST in बीते लम्हें New Update Follow Us शेयर आकर्षक व्यक्तित्व, कद्दावर शरीर, कद पांच फुट ग्यारह इंच, आवाज़ में गम्भीरता, पर्दे पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने वाले पठान अभिनेता जयंत का जन्म वर्तमान पाकिस्तान के पेशावर में पंद्रह अक्टूबर उनीस सौ पंद्रह में हुआ । पिता की चौथी व सबसे छोटी पत्नी की संतान अपने तीन भाइयों में सबसे छोटे । नाम ज़कारिया खान । पिता के गुण मिले , सुंदर ,साहसी व यायावरी के शौकीन। पिता राजस्थान रियासत अलवर महाराजा के व्यक्तिगत खेल प्रशिक्षक सो ज़कारिया खान भी कई खेलों में माहिर रहे। राजसी लाइफस्टाइल उनके गुणों में समाहित थी। अधिक पढ़े लिखे नहीं स्कूली शिक्षा मात्र चौथी तक। पिता स्वयं चाहते कि वे ज़िंदगी की पढ़ाई करें । घूमें, विभिन्न व्यक्तियों से मिलें व ज़िंदगी को समझें। एक दिन भाई के साथ बैठ बम्बई चले आये कुछ करने, बनने के लिए । ज्ञात हुआ बम्बई के दादर इलाके में कई फ़िल्म स्टूडियो हैं । कोशिश की स्टूडियो में प्रवेश करने की ।कोई लाभ न मिला । अंधेरी इलाके स्थित फ़िल्म स्टूडियो में गए। स्वयं पठान थे सो स्टूडियो पर तैनात सुरक्षा प्रहरी पठान को अपने पक्ष में किया। उसने स्टूडियो मालिक से मुलाकात करवाई। स्वयं आकर्षित व्यक्तित्व के तो थे ही , बातचीत से स्टूडियो मालिक को ज्ञात हुआ कि ये नवयुवक घुड़सवारी, युद्धकला (stunts), तलवारबाजी व अन्य खेलों में भी निपुण है, प्रभावित हो अपनी फिल्म में छोटा सा रोल प्रदान किया । ये निर्माता थे प्रकाश पिक्चर्स के शंकर व विजय भट्ट । उन्हीं ने ज़कारिया खान को फिल्मी नाम दिया जयंत । जयंत के भाई बने प्रकाश पिक्चर्स में सहायक निदेशक। जयंत स्टूडियो के स्थायी अभिनेता और वेतन तय हुआ तीस रुपये। पहली फ़िल्म मिली 'मद' जो सफल रही । उस समय जब एक तरफ सामाजिक फिल्में और धार्मिक फिल्म बनती तो दूसरी ओर मारधाड़ वाली फिल्में बनती। नाडिया, जॉन कवास, जयंत इनमें छाए हुए थे । हिज हाइनेस, स्टेट एक्सप्रेस,हीरो नंबर वन, पाप की दुनिया ,बोम्बे मेल, चैलेन्ज, स्नेहलता,आदि फिल्मों में मुख्य अभिनेता रहे । सोहराब मोदी की निर्माण संस्था मिनर्वा मूवीटोन की फ़िल्म 'सिकंदर' में सिकंदर का रोल उन्हें मिला किन्तु धूम्रपान की आदत के चलते सोहराब मोदी से अनबन हुई व फ़िल्म छोड़ दी बाद में ये अभिनय पृथ्वीराज कपूर ने निभाया। विवाह पठान युवती कुमरान सुल्तान से हुआ, परिवार वालों की इच्छानुसार । पत्नी सफल गृहिणी रहीं फिल्मी दुनिया से दूर अपने परिवार को सम्हालने वाली। तीन संतानें हुई इम्तियाज , इनायत और अमजद । एक समय ऐसा भी आया जब फिल्में मिलनी बंद हो गईं। खुद्दार जयंत काम मांगने किसी निर्माता के पास न गए । एक समय ऐसा भी आया जब घर चलाने के लिए घर के आभूषण गिरवी रखने पड़े। संघर्षरत कलाकारों के आश्रयदाता जयंत ने कभी इसका प्रचार न किया। बुरे दिन हमेशा नहीं रहते, जयंत के मित्र निर्माता पी एन अरोड़ा ने फ़िल्म का प्रस्ताव दिया। अपने ऑफिस फ़िल्म अनुबंधित करने के लिए बुलाया ,पर स्वाभिमानी ऐसे की स्वयं चलकर उनकी ऑफिस न गए । पी एन अरोड़ा उनके घर गए व उन्हें अपनी फ़िल्म के लिए अनुबंधित किया । तत्पश्चात मुड़ के न देखा । मधुमती('58) में पवन राजा, हकीकत('64) में भारतीय सेना के कमांडिंग ऑफिसर , हिमालय की गोद('65) में लाखन सिंह, सपनों का सौदागर('68) में ठाकुर राय बहादुर हरनाम सिंह, संघर्ष ('68) में भवानी प्रसाद ,हीर रांझा('70) में चौधरी, मेरा गांव मेरा देश('71) में हवलदार मेजर जसवंत सिंह आदि कई फिल्मों में अविस्मरणीय अभिनय कर हिंदी फ़िल्म दर्शकों का दिल जीतने वाले इस चरित्र अभिनेता का निधन दो जून उन्नीस सौ पिचहत्तर में चार वर्ष गले के कैंसर से संघर्ष करते उनसठ वर्ष की आयु में मुम्बई में हो गया । विरासत में हिंदी फिल्म जगत को अपने बहुमुखी प्रतिभा वाले पुत्र इम्तियाज खान और अमजद खान सौंप गए। अविस्मरणीय कलाकार जयंत की स्मृति को नमन । हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article