स्टाइलिस्ट पर्सनेलिटी के मालिक शशि कपूर अब इस दुनिया में नही रहे, सोमवार को 79 वर्ष के उम्र में उनका निधन हो गया है वे पिछले तीन हफ्ते से काफी बिमार थे। मायापुरी परिवार शशि जी को भावभीनी श्रद्धांजिल अर्पित करता है।
1975 में मायापुरी के स्व. पत्रकार पन्ना लाल व्यास ने शशि जी का एक इंटरव्यू किया जिसमें उन्होंने कई सवालों के जवाब दिए शशि जी हुई बातचीत के कुछ अंश
मायापुरी अंक 46,1975
आजकल आप फिल्मोद्योग के किसी भी कार्यालय में चले जाइये तो वहां पर लोगों को आपस में दो नामों की चर्चा करते हुए अवश्य सुनेंगे,
यार इन दोनों ने तो आजकल तहलका मचा रखा है, सबकी छुट्टी करके रख दी है।
जानते हैं आप कि ये तहलका मचा देने वाले दो नाम कौन से हैं? जी हां, ये दो नाम हैं शशि कपूर और अमिताभ बच्चन और यह सच भी है कि आज इंडस्ट्री के टॉप के निर्माता-निर्देशक इन दोनों में से किसी एक को भी अपनी फिल्म मं लेने की होड़ लगा रहे हैं। इन बातों से प्रभावित होकर मैंने शशिकपूर के यहा (212085) डायल किया।
हैलो,
शशि कपूर हैं।
जी, हा, बोल रहा हू, फरमाइये,
मैं आपका इंटरव्यू करना चाहता हू।
अच्छा, अच्छा तो आप ऐसा कीजिये तुल्लक रोड वाले ऑफिस पर आ जाइये।
कब और, कितने बजे?
ए..ए..ए हा, ऐसा कीजिये, कल.. नही... कल नहीं, बुधवार को ग्यारह बजे आ जाइये, दो बजे तक मैं फ्री हूं।
और बुधवार को मैं निश्चित समय पर रीगल थिएटर के पास स्थित शशिकपूर के डिस्ट्रीब्यूशन ऑफिस में जा पहुंचा। देखा कि शशि अपने ऑफिस के पियून को किसी काम को गलत करने पर प्यार से समझा रहे थे, देखते ही बोले।
यस प्लीज
जी मैंने तीन दिन पहले आपको फोन किया था।
ओ.. यस आइये। प्लीज़ डू सिट।
मैं आराम से बैठकर उनकी सादगी के बारे में सोचने लगा कि फिल्म ‘चोर मचाये’ और ‘दीवार’ की सफलता ने आज शशि को पुन सफलता की राह में खड़ा कर दिया है। अब निर्माता उस असफल शशिकपूर को भूलकर, एक बार फिर उन्हें ‘जेकपॉट’ समझने लगे हैं। उस दिन शशिकपूर में वही ताज़गी देखने को मिली थी। मेरे ख्याल से अभिनय के बारे में तो सभी शशिकपूर के कायल हैं। इतनी प्रसिद्धि और इतना पैसा तो अच्छे अच्छे इंसानों का दिमाग खराब करके रख देता है। लेकिन मैंने शशि को हमेशा इसके विपरीत ही पाया है इतना मैं सोच रहा था कि शशि की आवाज़ ने मुझे चौंका दिया।
हां, तो अब पूछिये, जो भी आप चाहते हैं?
आज आप दोबारा सफल होने पर कैसा महसूस करते हैं?
यह मेरे लिए कोई नयी बात नहीं है। इस इंडस्ट्री में तो यह पुरानी बात है। मगर किसी हीरो की फिल्में चलती रहती हैं तो वह भी चलता रहता है और फिल्में उसकी असफल हुई तो समझो वह भी असफल हो गया।
क्या निर्माता आपको स्वतंत्र नायक के रूप में लेने से घबराते हैं? मेरे कहने का मतलब है कि फिल्म ‘दिल ने पुकारा’ में आपके साथ संजय भी नायक थे, फिल्म ‘रोटी कपड़ा और मकान’ में आपके साथ मनोज, अमिताभ बच्चन नायक थे। फिल्म ‘प्रेम कहानी’ में राजेश खन्ना तो फिल्म ‘दीवार’ में अमिताभ बच्चन के साथ थे मेरे प्रश्न पर शशिकपूर ने मुस्कुराते हुए कहा,
जी नहीं, मेरे ख्याल से ऐसी तो कोई बात नहीं है। इन फिल्मों के रोल्स अच्छे एवं प्रभावपूर्ण लगे थे, इसीलिये मैंने दूसरे नायकों के साथ काम करना स्वीकार किया। इसके अलावा मेरी कई ऐसी फिल्में भी प्रदर्शित हुई हैं, जिनमे सिर्फ मैं ही नायक था और वे फिल्में भी अधिकतर सफल रही हैं।
आपकी समय पाबंदी से तो सभी लोग खुश रहते हैं, लेकिन अगर कोई आपके साथ काम करने वाला कलाकार समय का पाबंद नही रहता तो आपको कोफ्त तो होती होगी?
भई, अब तो मैं इस इंडस्ट्री के वातावरण का अभ्यस्त हो गया हूं। शुरू-शुरू में बुरा अवश्य लगता था, किंतु समय को देखते हुए मैंने अपने आपको चेंज किया है। अब भी अवसर ऐसा हो जाता है, किंतु लोग समझ लेते हैं कि शशि साहब बुरा नही मानेंगे।
आपने प्राय: सभी बड़ी अभिनेत्रियों के साथ फिल्मों में काम किया है, लेकिन किसी रोमांस की खबर नही उड़ी, परन्तु इन आज की नयी अभिनेत्रियों में शबाना आज़मी के साथ आपके रोमांस की खबर काफी चर्चा का विषय बनी हुई है। क्या यह बात सच है?
मुझे ऐसी सफलता नही चाहिये, जिसके लिये मुझे झूठे रोमांस के साथ अखबारों का सहारा लेना पड़े पिछले 17 साल से मेरी पत्नी जो सिर्फ मेरी ही बनकर रह गयी है। उसके सामने मैं शर्मिंदा होना पसंद नही करता और फिर अब मेरे बच्चे बड़े हो गये हैं, वे समझदार हो गये हैं। उनका मेरे ऊपर जो विश्वास जमा है, उस विश्वास का मैं गला नही घोंट सकता। सिर्फ फिल्मोद्योग को इस परंपरा के लिये मैं अपने विचारों को नहीं तोड़ सकता। रही चर्चा शबाना आज़मी के साथ मेरे रोमांस की, वह बेबुनियाद है। हां, यह ठीक है कि वह मेरे साथ कई फिल्मों में नायिका के रूप में आ रही हैं।
शशि जी आज आपके अभिनय के बारे में आपकी पत्नी और बच्चे क्या राय रखते हैं?
मेरे इस व्यक्तिगत सवाल पर शशि ने गंभीरता से जवाब दिया,
यही कि मेरी पहले वाली फिल्मों में कहानी होती थीं, तो अभिनय भी जानदार बन पड़ता था। पर अब तो सब चलेबल हो गया है। फिर भी मेरी पत्नी जो एक समय की प्रसिद्ध अभिनेत्री रह चुकी हैं। साथ ही मेरे बच्चों की बहस ने मुझे हमेशा कुछ अच्छा और नया करने की प्रेरणा दी है।
फार्मूला, स्टंट, एक्सपरिमेंटल फिल्मों के बारे में आपके क्या विचार हैं?
कुछ देर तक सोचने के बाद शशि कपूर अपने पुराने समय की यादों में खो गये, फिर बोले,
बात उन दिनों की है जब मेरा फिल्मी जीवन शुरू हुआ था। उस समय मैं इस कश्मकश में उलझा रहता था कि मैं स्टंट फिल्मों में काम करूं या फार्मूला वाली फिल्मों में? यह गुत्थी मेरे दिमाग में इस कदर उलझ गयी थी कि उन दिनों मेरी रातों की नींद और दिन का चैन छिन गया था। और इसी वजह से उस समय कई फिल्में मेरे हाथ से भी निकल गयी थी। आखिर उस गुत्थी को सुलझाने के लिये, मैं अपने बड़े भाई राजकपूर जी के पास गया। जो गुत्थी मेरे लिये बुरी तरह उलझ गई थी, उसे सुलझाने में उन्होंने काफी सहयोग दिया। उस वक्त उन्होंने कहा यह मत देखो कि इस फिल्म में तुम्हारा रोल कितना है, सिर्फ अपने काम से मतलब रखना चाहिए, चाहे फिल्म फार्मूला हो या स्टंट, इस बात की ओर ध्यान दो कि उस फिल्म में तुम्हारा रोल कितना स्वाभाविक बन सकता है, क्या अच्छा करने से तुम्हारी कितनी इमेज पब्लिक में बन सकती है। बस तभी से मैंने दिमाग में उस डर को निकाल दिया। अब किसी भी फिल्म में मेरा रोल चाहे बड़ा हो या छोटा, फिल्म फार्मूला ही या स्टंट मैं तो अपने रोल में जान डाल देना जान गया हूं।
यह जवाब सुनकर मैंने शशि से अपना अगला सवाल पूछा। सुना है कि काका (राजेश खन्ना) आपके जबरदस्त फैन हैं आजकल वे हर निर्माता से आपको अपने साथ लेने की सिफारिश करते हैं?
भई काका एक सुपर स्टार हैं। फिर भी इन दिनों अपने आपको काफी चेंज किया है। राजेश खन्ना जब फिल्मों में नहीं आये थे, तभी से मेरे फैन हैं परन्तु वह निर्माताओं से सिफारिश करके काम दिलवाते हैं, यह बात एक दम गलत है। और वैसे एक सुपरस्टार के बारे में कुछ भी खबर उड़ाने के लिए लोगों को बस थोड़ा-सा हिंट चाहिये। इस तरह की गलत बातों को उड़ाने वालों को शायद यह मालूम नहीं है कि फिल्मों में इतनी लोकप्रियता पाने के बाद बहुत कुछ खोना भी पड़ता है।
इतनी सारी बातों में मेरा इंटरव्यू खत्म हो चुका था अत: शशिकपूर का अधिक समय न लेकर उन्हें धन्यवाद देकर मैं लौट आया।