कभी ना कभी अलविदा तो कहना ही पड़ता है, लेकिन कभी कभी अलविदा कहना बहुत मुश्किल हो जाता है ’ By Mayapuri Desk 05 Apr 2021 | एडिट 05 Apr 2021 22:00 IST in बीते लम्हें New Update Follow Us शेयर पिछले दो दिनों के दौरान मेरे साथ जो हुआ। मेरा उस पर विश्वास करना बेहद मुश्किल है। दरअसल मैं पूर्व अभिनेत्री शशिकला के बारे में सोच रहा था, जो उन सबसे प्रभावशाली महिला में से एक थी जिनसे मैं अब तक मिला था। मैं उनके बारे में लिखना चाहता था लेकिन समय ने मुझे केवल मदर टेरेसा के साथ उनके काम के बारे में लिखने की ही अनुमति दी थी जिसके बारे मैं मैंने लिखा भी था और मैंने आगे समय मिलते ही उनके बारे में एक पूरा आर्टिकल लिखने का सोचा था। मुझे थोड़ा ही पता था कि अब शायद वह समय आ गया है, जब शशिकला का समय इस धरती पर पूरा होने को था और अब देखो वह हमें छोड़ कर उस दुनिया में चली गई है जिसके बारे में कोई भी नहीं जानता है। - हालांकि मेरा यह मानना बेहद मुश्किल हो रहा है कि मैं अब कभी भी उस महिला को नहीं देख पाऊँगा जो जीवन से भरी हुई थी। मैंने उन्हें कई चीजों के लिए जाना है जैसे की कई अन्य लोग भी उन्हें जानते हैं। लेकिन एक चीज जो मुझे उनके बारे में हमेशा याद रहेगी, वह यह है कि वह मुझे “माय थ्री इन वन' कह कर बुलाती थी (यह उनका स्वाभाविक रूप से मेरे नाम पर प्रतिक्रिया देना हुआ करता था)। मैं उन्हें उन सभी भव्य जन्मदिन पार्टियों के लिए भी मिस किया करूंगा जो उन्होंने 3 अगस्त को पाली हिल पर अपने क्वींस अपार्टमेंट निवास पर दी थी। उनकी पार्टियाँ ज्यादातर प्रेस से उनके कुछ करीबी दोस्तों के लिए हुआ करती थीं और हम सभी ने उनके साथ तब तक बहुत अच्छा समय बिताया जब तक हम नशे में धुत नहीं हो जाते थे और उनके इतने प्यार और देखभाल के लिए उन्हें धन्यवाद देते रहते थे। वह एक दुखद जीवन जी रही थी जिसमें दुख और दर्द उनके निरंतर साथी थे, लेकिन उन्होंने कभी भी इसे जाहिर नहीं होने दिया था। 77 साल पहले, एक मध्यम वर्गीय महाराष्ट्रियन परिवार की एक ग्यारह वर्षीय लड़की अपने परिवार के साथ परिवार के मुखिया के बैंकक्रप्ट होने के कारण अपने परिवार को गरीबी में गिरने से बचाने के लिए सामने आई थी। यह छोटी लड़की न केवल सुंदर थी, बल्कि एक अच्छी डांसर भी थी। उनके परिवार ने सोचा कि उनकी बच्ची फिल्मों में अपना करियर बना सकती है और उन्होंने शुरुआत में उन्हें उनके जुनून को फॉलो करने के लिए प्रोत्साहित किया। वह लड़की स्टूडियो से स्टूडियो तक घूमती रही और अंत में उन्हें प्रसिद्ध अभिनेत्री और गायिका नूरजहाँ के पति द्वारा बनाई गई फिल्म में एक छोटी भूमिका मिली। उन्हें कव्वाली गाने वाली लड़कियों के ग्रुप में शामिल होने के लिए कहा गया था। निर्देशक उनके काम से इतने खुश थे कि उन्होंने उन्हें 20 रुपये की एक बख्शीश भी दी थी, जिसने छोटी शशिकला को अभिनय में अपना करियर बनाने के लिए ओर अधिक प्रेरित किया था। यह एक ऐसे करियर की शुरुआत थी जो इंडस्ट्री में एक मुकाम बनाने को तैयार थी। उन्हें उस समय की अग्रणी अभिनेत्रियों में से किसी के भी रूप में रैंक नहीं किया गया था, लेकिन उन्होंने उस समय के सभी बड़े सितारों जैसे दिलीप कुमार, देव आनंद प्रदीप कुमार, उत्तम कुमार, किशोर कुमार और कई अन्य लोगों के साथ काम किया था। उन्होंने ओम सहगल नामक एक व्यापारी से शादी की थी, जो किशोर कुमार अभिनीत एक फिल्म ’करोडपति’ बनाने के लिए प्रेरित थे जो मोहन सहगल द्वारा निर्देशित थी। इस फिल्म को बनाने में सालों लगे और आखिरकार “करोड़पति' ने कपल को कंगाल कर दिया था और शशिकला को हर तरह की भूमिकाओं को स्वीकार करना पड़ा था और यहां तक कि उन्होंने स्टंट फिल्में और बी ग्रेड ऐतिहासिक और पौराणिक और भक्तिपूर्ण फिल्में भी कीं थी। यह तब था जब वह अभिनय छोड़ने की कगार पर थी कि सेठ ताराचंद बड़जात्या ने उन्हें राजश्री प्रोडक्शन के बैनर तले बनने वाली पहली फिल्म में एक वैंप के रूप में साइन किया था। यह फिल्म “आरती” थी जो मीना कुमारी और प्रदीप कुमार के साथ मुख्य भूमिकाओं में थी। “आरती“ ने राजश्री बैनर की स्थापना की और इसमें शामिल सभी कलाकारों को जीवन का एक नया मोड़ दिया, लेकिन जिस कलाकार को सबसे अधिक पुरस्कृत किया गया, वह एक नकारात्मक भूमिका में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए पहचानी गई अभिनेत्री शशिकला थी। उन्होंने इससे कई पुरस्कार जीते और अपने प्रदर्शन के लिए आलोचकों की प्रशंसा भी प्राप्त की, लेकिन उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि अग्रणी बैनर से समान भूमिकाएं निभाने के लिए उनके पास कई ऑफर आए, जिससे उन्हें “हिंदी सिनेमा की बुरी महिला“ के रूप में ब्रांडेड कर दिया गया था। यह तब था जब वह अपने करियर के चरम पर थीं और वह अपने पति से अलग हो गईं थी और उन्होंने अपनी बेटी को कैंसर के कारण खो भी दिया था। यह उन अंधेरे, निराशाजनक और डरावने समय के दौरान था कि उनके भाग्य ने उन्हें अनिक्स्पेक्टिड डेस्टनेशन तक पहुंचा दिया था। वह कोलकाता के कालीघाट में मदर टेरेसा के आश्रम में मदर टेरेसा से मिलीं और मदर टेरेसा के सामने उन्होंने आत्म समर्पण कर दिया था। आश्रम छोड़ने के लिए उन्हें मदर टेरेसा द्वारा अनुमति भी मिली थी। वह मुंबई वापस आई और कुछ फिल्म निर्माताओं को विभिन्न प्रकार की भूमिकाओं के लिए उन्हें साइन करने का इंतज़ार करते देख आश्चर्यचकित हो गई थी, जिसे उन्होंने अपने अलग स्टाइल और क्लास के साथ निभाई थी। वह हिंदी, मराठी और कभी-कभी गुजराती फिल्मों में काम करने में व्यस्त रहीं और टेलीविजन की दुनिया की सबसे लोकप्रिय अभिनेत्रियों में से एक के रूप में पहचानी गई थीं, टेलीविजन एक ऐसा माध्यम था जिसे उन्होंने बहुत आसानी से अपना लिया था। वह 80 के दशक के अंत तक भी बहुत एक्टिव थीं और उनकी अंतिम अच्छी भूमिका “मुझसे शादी करोगी“ में सलमान खान की माँ के रूप में थी। वह अब तक 150 से अधिक फिल्मों में काम कर चुकी हैं, लेकिन उनको हमेशा एक ग्लैमरस वैंप के रूप में उनके बेस्ट परफॉरमेंस के लिए जाना जाएगा। शशिकला के बाद कई अन्य वैंप आई, लेकिन शशिकला जैसी कभी न कोई थी न ही हो सकती हैं। एक अदाकारा ऐसी भी कभी कभी आती है और फिर दिलों में रहकर निकल जाती है, न जाने कहां। #Dev Anand #ali peter john #pradeep kumar #Kishore Kumar #rajshree production #shashikala #uttam kumar हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article