Death Anniversary: जाने भारत भूषण के बारे में By Mayapuri Desk 29 Jan 2022 in गपशप New Update Follow Us शेयर हिंदी सिनेमा एक्टर भारत भूषण का जन्म 14 जून 1920 में उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में हुआ था इनके पिता का नाम रायबहादुर मोतीलाल मेरठ के एक सरकारी वकील और जब ये दो साल के थे तभी इनकी माता जी का देहांत हो गया। इन्होने अपनी पढाई और ग्रेजुएशन अलीगढ़ से ही की।भारत भूषण के एक बड़े भाई फिल्म प्रोडूसर आर. चन्द्रा थे जिन्होंने लखनऊ का आईडिया स्टूडियो ख़रीदा था। भारत भूषण की दो शादियां हुई थी जिसमे इनकी पहली शादी हुई थी जिसमे पहली शादी मेरठ के मशहूर जमींदार रायबहादुर बूढ़ा प्रकाश की बेटी श्रद्धा से हुई थी ।जिनसे इन्हे दो बेटियां अनुराधा और अपरिजितः थी इनकी पहली पत्नी की मृत्यु अपनी दुसरीओ बेटी को जन्म देते समय 1960 में हो गई थी फिर इन्होने दूसरी शादी अपनी को स्टार्स एक्ट्रेस रत्ना से हुआ था। भारत भूषण गायक बनने का ख्वाब लिए मुंबई की फ़िल्म नगरी में पहुंचे थे, लेकिन जब इस क्षेत्र में उन्हें मौका नहीं मिला तो उन्होंने निर्माता-निर्देशक केदार शर्मा की 1941 में निर्मित फ़िल्म 'चित्रलेखा' में एक छोटी भूमिका से अपने अभिनय की शुरुआत कर दी। 1951 तक अभिनेता के रूप में उनकी ख़ास पहचान नहीं बन पाई। इस दौरान उन्होंने भक्त कबीर (1942), भाईचारा (1943), सुहागरात (1948), उधार (1949), रंगीला राजस्थान (1949), एक थी लड़की (1949), राम दर्शन (1950), किसी की याद (1950), भाई-बहन (1950), आंखें (1950), सागर (1951), हमारी शान (1951), आनंदमठ और माँ (1952) फ़िल्मों में काम किया। फिर भारत भूषण के अभिनय का सितारा निर्माता-निर्देशक विजय भट्ट की क्लासिक फ़िल्म बैजू बावरा से चमका। बेहतरीन गीत-संगीत और अभिनय से सजी इस फ़िल्म की गोल्डन जुबली कामयाबी ने न सिर्फ विजय भट्ट के प्रकाश स्टूडियो को ही डूबने से बचाया, बल्कि भारत भूषण और फ़िल्म की नायिका मीना कुमारी को स्टार के रूप में स्थापित कर दिया।भारत भूषण के फ़िल्मी करियर में निर्माता-निर्देशक सोहराब मोदी की फ़िल्म मिर्ज़ा ग़ालिब का अहम स्थान है। इस फ़िल्म में भारत भूषण ने शायर मिर्ज़ा ग़ालिब के किरदार को इतने सहज और असरदार ढंग से निभाया कि यह गुमां होने लगता है कि ग़ालिब ही परदे पर उतर आए हों। भारत भूषण ने लगभग 143 फ़िल्मों में अपने अभिनय की विविधरंगी छटा बिखेरी और अशोक कुमार, दिलीप कुमार, राजकपूर तथा देवानंद जैसे कलाकारों की मौजूदगी में अपना एक अलग मुकाम बनाया।भारत भूषण ने फ़िल्म निर्माण के क्षेत्र में भी कदम रखा, लेकिन उनकी कोई भी फ़िल्म बॉक्स आफिस पर सफल नहीं रही। उन्होंने 1964 में अपनी महत्वाकांक्षी फ़िल्म 'दूज का चांद' का निर्माण किया, लेकिन इस फ़िल्म के भी बॉक्स आफिस पर बुरी तरह पिट जाने के बाद उन्होंने फ़िल्म निर्माण से तौबा कर ली। उनकी कुछ खास फिल्मे थी -चित्रलेखा,बैजू बावरा,माँ ,शराब,बसंत बहार,परदेसी,चम्पाकली,फागुन,अंगुलीमाल,मुड़ मुड़ के ना देख, संगीत सम्राट तानसेन, जहाँ आरा,प्यार का मौसम,मीरा,हीरो,कला धन्धा गोर लोग आदि । वर्ष 1967 में प्रदर्शित फ़िल्म 'तकदीर नायक' के रूप में भारत भूषण की अंतिम फ़िल्म थी। माहौल और फ़िल्मों के विषय की दिशा बदल जाने पर चरित्र अभिनेता के रूप में काम करने लगे, लेकिन नौबत यहां तक आ गई कि जो निर्माता-निर्देशक पहले उनको लेकर फ़िल्म बनाने के लिए लालायित रहते थे। उन्होंने भी उनसे मुंह मोड़ लिया। इस स्थिति में उन्होंने अपना गुजारा चलाने के लिए फ़िल्मों में छोटी-छोटी मामूली भूमिकाएँ करनी शुरू कर दीं। बाद में हालात ऐसे हो गए कि भारत भूषण को फ़िल्मों में काम मिलना लगभग बंद हो गया। तब मजबूरी में उन्होंने छोटे परदे की तरफ रुख़ किया और दिशा तथा बेचारे गुप्ताजी जैसे धारावाहिकों में अभिनय किया। हालात की मार और वक्त के सितम से बुरी तरह टूट चुके हिंदी फ़िल्मों के स्वर्णिम युग के इस अभिनेता ने आखिरकार 27 जनवरी 1992 को 72 वर्ष की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया। #Bharat Bhushan #Bharat Bhushan death anniversary हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Advertisment Latest Stories Read the Next Article