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बड़ी ही सहजता से कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ रहा सोनी सब चैनल अपनी आगामी भव्य गाथा ‘धर्म योद्धा गरुड़’ के साथ टेलीविजन की दुनिया में धूम मचाने के लिये तैयार है। सर्वशक्तिमान गरुड़ (फैसल खान) और उनकी माँ के बीच नि:स्वार्थ प्यार की कहानी दिखाने के लिए, सोनी सब हमारे लिये वह पौराणिक गाथा लेकर आया है, जिसमें अनदेखी और अनसुनी कथाएं और चरित्र हैं और जिन्हें जीवन और धर्म के दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया है। इस शो का प्रोडक्शन वैल्यू अत्याधुनिक और वीएफएक्स काफी रोमांचक है।
14 मार्च को भारतीय पौराणिक ग्रंथों की महानतम गाथा देखने से पहले आईये जानते हैं गरुड़ के बारे में उन 5 बातों को, जो शायद आपको पता नहीं हैं:
शक्ति और साहस का शुद्धतम मानस स्वरूप
भारतीय पुराणों में गरुड़ को शक्ति का प्रतीक बताया गया है। उनके पास बाज जैसी नजर है और उनके पंख इतने शक्तिशाली हैं कि ब्रह्मांड की चाल तक को बदल सकते हैं। उनका कौशल, साहस और चातुर्य देखकर देवता और दानव, दोनों ही प्रभावित और चिंतित हो जाते हैं।
माँ और बेटे का सदाबहार रिश्ता
इतना मजबूत सम्बंध कि दूर बैठे हुए भी एक-दूसरे के मन को पढ़ सके और जिसमें कोई बात समझाने की आवश्यकता न हो! अपनी ही बहन कदरू (पारूल चौहान) की दासता की बेड़ियों में जकड़ीं विनता (तोरल रसपुत्रा) अपने दुर्भाग्य के बंधन में हैं। लेकिन गरुड़ के दिल और आत्मा में उनकी माँ बसी हैं और वे सर्पों की माता कदरू के चंगुल से अपनी माँ को मुक्त करना अपना निजी मिशन बना लेते हैं।
गरुड़ के जीवन का उल्लास और उद्देश्य
गरुड़ का जन्म सभी जीवित प्राणियों के जनक महान ऋषि कश्यप (ऋषिकेश पांडे) और विनता के पुत्र के रूप में हुआ था। ऋषि कश्यप अपने बच्चों से निराश थे, क्योंकि एक ओर जहां असुर देवताओं के विरूद्ध षड्यंत्र रचने में व्यस्त थे, वहीं दूसरी ओर देवता अपने उद्देश्य से भटक गये थे और शक्ति के मद में चूर थे। तब ऋषि कश्यप ने भगवान ब्रह्मा से प्रार्थना की कि उन्हें संपूर्ण व्यक्तित्व वाला पुत्र चाहिये और फिर गरुड़ का जन्म हुआ, जो पक्षियों के राजा हैं। उन्होंने अपना संपूर्ण अस्तित्व निस्वार्थता, सत्यनिष्ठा, आज्ञापालन और साहस को समर्पित कर दिया और वे सच्चे अर्थों में ‘धर्म योद्धा गरुड़’ बने।
भगवान विष्णु के वाहन
गरुड़ को लोभ कभी छू नहीं पाया और उन्होंने अपनी सत्यनिष्ठा से समझौता किये बिना अपने शत्रुओं से युद्ध किया। वे केवल अपनी माँ को न्याय दिलाना चाहते थे। उनकी शक्ति और उत्तरदायित्व के गुण देखकर ब्रह्मांड के पालक और संरक्षक भगवान विष्णु (विशाल करवाल) ने उन्हें अपना निजी सारथी बनने का सम्मान दिया, उन्हें अमरता दी और इस प्रकार हमारे पौराणिक ग्रंथों में वे हमेशा के लिये स्थापित हो गये।
अच्छाई बनाम बुराई की सदाबहार महान गाथा
‘धर्म योद्धा गरुड़’ की कहानी न केवल अच्छाई बनाम बुराई के पुराने फॉर्मूले पर आधारित है, बल्कि यह सबक भी सिखाती है कि संतोषजनक और सत्यनिष्ठापूर्ण जीवन का क्या आशय होता है। यह कहानी कदरू के माध्यम से हमें आईना दिखाती है, जो शक्ति के लोभ में सही और गलत का भेद भूल जाती है, जबकि गरुड़ हमेशा अपने कर्तव्य को पूरा करने के लिये निस्वार्थता और सत्य का मार्ग चुनते हैं। समर्पण और उत्तरदायित्व से भरे उनके जीवन ने भगवान विष्णु का दिल जीत लिया था।
देखिये ‘धर्म योद्धा गरुड़’, शुरू हो रहा है 14 मार्च से, सोमवार से शनिवार शाम 7 बजे, केवल सोनी सब पर