अभिनेत्री भाग्‍यश्री ने स्‍कूली बच्‍चों के साथ की बात; शिक्षा प्रणाली में सुधार पर दिया जोर

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अभिनेत्री भाग्‍यश्री ने स्‍कूली बच्‍चों के साथ की बात; शिक्षा प्रणाली में सुधार पर दिया जोर

अभिनेत्री भाग्‍यश्री ने नवी मुंबई के खारघर स्थित विश्‍वज्‍योत हाई स्‍कूल में एक अनूठे टैलेंट मानिया कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई। इस कार्यक्रम में शिरकत करने वाले अभिभावक भाग्‍यश्री को मंच पर देखकर दंग रह गये। अभिभावकों को अम्‍मीद थी कि भाग्‍यश्री इस टैलेंट हंट के “विजेताओं’’ की घोषणा करेंगी, लेकिन इसके बदले उन्‍होंने प्रतिभा तलाशने के एक नये परिप्रेक्षय की वकालत की। अमृत धूल, को-फाउंडर, विश्‍वज्‍योत हाई स्‍कूल ने कहा, “हर बच्‍चा जन्‍म से ही प्रतिभाशाली होता है और हम पैरेंट्स एवं टीचर्स का कर्तव्‍य है कि हम हर बच्‍चे की उस प्रतिभा को ढूंढ कर बाहर निकालें। इसलिये सांसे रोककर इस बात का इंतजार करने कि वो आपके बच्‍चे का नाम विजेता के रूप में पुकारे, हमें यह महसूस करना चाहिये कि हर बच्‍चे में विजेता बनने का सामर्थ्‍य है, यदि उसके टीचर्स और पैरेंट्स को बच्‍चे पर विश्‍वास हो और वे उसे सफल होने के सभी अवसर दें।”

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इस बात पर जोर देते हुये कि हर बच्‍चा अनूठा होता है और हमारी शिक्षा प्रणाली को हर बच्‍चे के सीखने के सामर्थ्‍य को सामने लाने की जरूरत है, भाग्‍यश्री ने कहा, “सीखने का मतलब है सवालों के जवाब और समस्‍याओं का समाधान सक्रिय रूप से ढूंढना न कि क्‍लासरूम में क्‍या सिखाया जा रहा है सिर्फ उस पर ध्‍यान देना। हर बच्‍चे की अनूठी प्रतिभा का पता लगाना और उस प्रतिभा को बाहर लाना जरूरी है, क्‍योंकि यही बच्‍चे बड़े होकर परिवर्तन लायेंगे और कल के लीडर्स बनेंगे। मुझे आज इन बच्‍चों के साथ मिलकर, उनसे बातें करके और हर किसी की अनूठी प्रतिभा के बारे में जानकर बहुत अच्‍छा लगा। हमें उन्‍हें प्रोत्‍साहित करने और उन्‍हें एक ऐसा माहौल उपलब्‍ध कराने की जरूरत है, जिनसे उन्‍हें अपनी रचनात्‍मकता को जानने और सबसे अच्छी तरह से उन आइडियाज को अमल में लाने में मदद मिले।”

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भाग्‍यश्री ने पैरेंट्स से यह प्रतिज्ञा भी ली कि वे अपने बच्‍चे को पहले से जज नहीं करें या दूसरे बच्‍चों के साथ उनकी तुलना कभी भी न करें, बल्कि अपने बच्‍चे पर विश्‍वास करें और हर बच्‍चे के अंदर मौजूद जीनियस को आगे बढ़ाने का प्रयास करें। उन्‍होंने इस कामना के साथ कार्यक्रम का समापन किया कि काश वह भी अपने बचपन के दिनों में लौट पातीं और विश्‍वज्‍योत जैसे स्‍कूल में पढ़ाई कर पातीं, जो इन सिद्धांतों को उनके जीवन में लेकर आता।

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