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वर्षों बाद जम्मू कश्मीर के भदेरवाह में शूटिंग करके महसूस किया कि फिल्म इंडस्ट्री मुझे वापस बुला रही है: रहीना

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वर्षों बाद जम्मू कश्मीर के भदेरवाह में शूटिंग करके महसूस किया कि फिल्म इंडस्ट्री मुझे वापस बुला रही है: रहीना

-शरद राय

पिछले दिनों जब पूरे भारत में फिल्म 'द कश्मीर फाइल्स' पर चर्चा छिड़ी थी, मुझे फेसबुक पर कश्मीर की एक एक्ट्रेस रहीना संपर्क में आई। याद आया... वर्षो पहले मैंने उनका एक इंटरव्यू 'मायापुरी' में छापा था। तब वह मुम्बई फिल्म व टेलीविज़न इंडस्ट्री की पसंदीदा कलाकार हुआ करती थी। शायद 20-22 से अधिक वर्ष बीत गए हैं इस बात को! टेलीफोनिक वार्ता में औपचारिकता के बाद, मेरा रहीना से पहला सवाल था-' आप कश्मीर में हो।

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वहां बहुत शूटिंगें करके बड़ी हुयी हो। मौजूदा हालात में 'द कश्मीर फाइल्स' को लेकर क्या रिएक्शन है वहां के लोगों का?' जवाब में वह हंसती हैं- 'मत भूलो कि मैं बॉलीवुड की एक्ट्रेस रही हूं। अपनी इंडस्ट्री का ही पक्ष लूंगी। यही कहूंगी एक वेलमेड वेंचर है यह फिल्म, वावजूद इसके बहुत सारी चीजें हैं जो कश्मीर के बारे में दिखाया जाना चाहिए। कई पक्ष छूट भी जाते हैं सिनेमैटिक प्रोसेस में।'

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वह आगे कहती हैं- 'मैंने कश्मीर में बहुत सारी शूटिंग्स किया है। मैं पिछले 8 साल से जम्मू के भदेरवाह में हूं। कश्मीर की यह बेहद खूबसूरत जगह है। इस स्थान को छोटा कश्मीर भी कहते हैं। आजकल मैं यहां 'आज़ादी' फिल्म की शूटिंग कर रही हूं। बड़ा खूबसूरत नजारा है।पहले यहां ऐसी जगहों पर खूब शूट हुआ करता था। बदले हुए समय के साथ फिरसे यहां शूट करते हुए ऐसा लगता है मुझे मुम्बई फिल्म इंडस्ट्री वापस बुला रही है।'

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'मैं हिमाचल के पहाड़ों की रानी शिमला में जन्मी हूं। फिल्मों की शूटिंग को वादियों में देख देख कर एक्ट्रेस बनने मुम्बई पहुंच गयी थी।' वह  बताती हैं। 'बहुत छोटी उम्र थी तब। 'कथा सागर' धारावाहिक दूरदर्शन के लिए किया और टीवी इंडस्ट्री में शुरुवात मिल गयी।' रहीना ने जो शुरुवात लिया तो उनको काम मिलता ही गया।वह एक दुबली पतली खूबसूरत लड़की थी। फिल्मों के ऑफर मिलने लगे लेकिन वह डरती थी इसलिए टीवी पर एक्टिंग करना ही ठीक समझा।

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'कथा सागर' के बाद 'जुनून' (DD 1), 'अमानत' (zee tv), 'कश्ती' ( बालाजी टेली फिल्म), 'साये देवदार के' (DD1) में काम करने के साथ कुछ टेली फिल्में भी किया-'पतझड़', 'पहचान',  'दर- ओ- दीवार' आदि जो दूरदर्शन पर प्रसारित हुए थे।' वह कहती हैं- 'मैंने एक राजस्थानी फिल्म किया था 'हिवड़े सु दूर मतजा' इस फिल्म में शक्ति कपूर, रजा मुराद  भी थे। मैंने ठकुराइन का निगेटिव रोल किया था।एक फिल्म किशन जी (किशन सेठी) के साथ किया  था- ' भीष्म दादा' जो कम्प्लीट नही हो पाई थी।'

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'इतना कुछ करने के बाद इंडस्ट्री से दूर कैसे  चली गयी?'

'शरद जी, जीवन मे सबकुछ वैसे ही नही होता जैसा हम सोचते हैं। मुझे अच्छे लोग नही मिले। बस, इतना ही कहूंगी।' वह एक सांस लेती हैं।कुछ छुपे दर्द बाहर आने को बेताब थे जैसे...। 'मेरी माँ की डेथ हो गयी थी। मैं वापस घर चली गयी। मैं टूट गयी थी। दोनो तरफ से, निराशा साथ थी। बस...नहीं गयी मुम्बई। अब वर्षों बाद इस फिल्म 'आज़ादी' वालों के साथ काम कर रही हूं तो सारी चीजें याद आरही हैं।लगता है फिल्म इंडस्ट्री मुझे बुला रही है।' रहीना ने  फिल्मों से दूरी बनाने के वावजूद कलात्मक गतिविधियों से खुद को दूर नही रखा। वह स्कूलों में इवेंट और कोरियोग्राफी करती हैं। कोविड के बाद जीवन बदल गया है। खुद को सोशल वर्क से जोड़े रखती हैं।

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'अब वापस फिल्मों में आना चाहोगी? और बदले हालात में कैसे रोल करने की इच्छा है?'

'हां, फिरसे उमंग जागी है कि एकबार फिरसे अपने को कैमरे के सामने खड़ी करूं।' वह हंसती हैं- 'जानती हूं अब हालात बदल गए हैं, मैं भी बदल गयी हूं।और सिनेमा भी बदल गया है। मैं हर तरह के रोल करना चाहूंगी। मुझे ऑफर मिलता है तो मुम्बई आजाउंगी। जिन्होंने मेरा काम देखा है जानते हैं कि मैं एक वर्सटाइल  एक्ट्रेस हूं- फिल्म, टीवी, ओटीटी सबके लिए काम करना चाहूंगी।'

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