शरद राय
कुछ रिश्ते ऐसे होते हैं जिनका सम्बन्ध मन और आत्मा से होता है।जब संगीतकार बप्पी लहरी के परलोक सिधारने की खबर स्ट्रीम हो रही थी, सबके सामने एक ही तस्वीर सवालिया बनकर सामने आरही थी- मिथुन चक्रवर्ती कहां हैं, उनकी प्रतिक्रिया क्या है? यह सहज सवाल इसलिए लोगों के मन मे था कि मिथुन और बप्पी दा का सम्बन्ध 'स्ट्रगलर और कामयाबी' का था।
मिथुन को उनके स्ट्रगलर पोजिशन से बाहर निकालकर स्टार स्टेटस तक पहुचाने का काम बप्पी लहरी के गानों ने ही किया था। बप्पी की मृत्यु के बाद 24 घंटे तक मिथुन चुप थे। स्तब्ध थे ! मिथुन की अधिकांश फिल्मों के लेखक अनूप श्रीवास्तव ने ऐसा बताया। कोई शब्द मुंह से नही निकाले थे। लेकिन, मिथुन के पुत्र मिमोह के अनुसार बप्पी की आखिरी विदाई के समय मिथुन फूट पड़े- ' बप्पी दा हमेशा याद रहोगे...तुम्हे ना भूल पाऊंगा।'
मिथुन की फिल्मों को बप्पी का संगीत ही शूट करता था, लोगों की ऐसी धारणा भी बन गयी थी। रविकांत नागाइच की फिल्म ''सुरक्षा' के साथ शुरू हुआ इस स्टार और संगीतकार का साथ प्रकाश मेहरा की फिल्म 'दलाल' तक चला। 'सुरक्षा', 'वारदात', 'दिलवाला' करते हुए मिथुन-बप्पी की टीम बी.सुभाष की फिल्म 'डिस्को डांसर' तक आयी। 'डिस्को डांसर' के गाने 'आयी एम डिस्को डांसर...' 1984 में गली गली में बज रहा था।और, यही मिथुन के स्टारडम की सही शुरुवात थी। आई एम डिस्को...के साथ उषा उथप का गाया हुआ गीत ' कोई यहां नाचे नाचे...' भी एक क्रेज बनकर उभरा था। लोगों में यह गाना ही पॉपुलर नही हुआ बल्कि मिथुन गरीब निर्माताओं का अमिताभ तक कहे जाने लगे थे।
मिथुन हीरो और बप्पी लहरी म्यूजिक डायरेक्टर यह सिलसिला ही चल पड़ा था। एक समय था जब मद्रास के डायरेक्टर टीएलवी प्रसाद मिथुन के साथ अलग निर्माताओं के लिए 28 फिल्में बनाकर गिनीज बुक में नाम दर्ज कराए थे। मिथुन बंगलोर और ऊटी में अपने होटलों में रहकर वहीं से शूटिंग पूरी कराया करते थे। तब भी बप्पी उनकी कई फिल्मों का संगीत मुम्बई में रहकर भेजा करते थे। प्रकाश मेहरा की फिल्म 'दलाल' के 'गुटुर गुटुर...' में मिथुन का सिर्फ लिप्स मोमेंट था। पार्वती खान का वेस्टर्न गाना- 'जिम्मी जिम्मी जिम्मी आजा...' भी खूब बजा था। 'गोलमाल 3' के संगीतकार बप्पी लहरी नहीं , बल्कि प्रीतम थे तब भी प्रीतम ने इस फिल्म के लिए गीत 'डिस्को डांसर' रेकॉर्ड किया तो बप्पी की ही आवाज लिया था। यानी- मिथुन और बप्पी लहरी एक दूसरे के लिए 'बांड' जैसे थे।
सुना है मिथुन अपने होटल के काम से उस समय बंगलोर में थे जब बप्पी दा के निधन की खबर स्ट्रीम हो रही थी। वह खबर मिलते ही मुम्बई आने के लिए तैयार हो गए, आगए थे पर उनकी मनः स्थिति संयत नहीं थी। इसलिए वह खुद को संभाल रहे थे और अंततः फुट ही पड़े- 'बप्पी दा तुम्हे ना भूल पाएंगे...!'