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अनुपम खेर: हम विश्वास भी उन्हीं बातों पर करते हैं, जिन पर वास्तव में हम करना चाहते हैं

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अनुपम खेर: हम विश्वास भी उन्हीं बातों पर करते हैं, जिन पर वास्तव में हम करना चाहते हैं

बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता अनुपम खेर समाज के प्रति काफी संवेदनशील हैं और साथ ही सोशल मीडिया आदि के माध्यम से हमेशा ही फैंस के साथ जुड़े रहते हैं। हाल ही में उन्होंने देसी माइक्रोब्लॉगिंग ऐप, कू के माध्यम से एक ऐसी बात कही, जो हमारी आँखें खोल देने के लिए काफी है। जी हाँ, कई लोग एक साल बाद भी भारत सरकार की बनाई वैक्सीन पर विश्वास नहीं कर पा रहे हैं, यहाँ तक कि इस एक वर्ष में वैक्सीन के विरोध में कई तरह के सवाल सरकार पर दागे गए हैं। लेकिन आज अनुपम खेर ने उन सभी लोगों को इस पर विश्वास करने के लिए ऐसा संदेश दिया है, जो हमारे जीवन की बहुत बड़ी सच्चाई है।

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हम हजारों काम ऐसे करते हैं, जिनके पीछे के कारण हम असल में जानते ही नहीं हैं। बात पेन किलर की हो रोजमर्रा में उपयोग किए जाने वाले साबुन की, हमें नहीं पता कि इन चीजों में अंदर क्या है, लेकिन फिर भी हम अपने भले के लिए इनका उपयोग करते हैं। फिर हम वैक्सीन पर विश्वास क्यों नहीं कर पा रहे हैं? इस सवाल के साथ ही अनुमप ने कहा है:

'मैंने अपने लिए वैक्सीन लगवाई है और आपके लिए मास्क पहनता हूँ!!!नहीं, मुझे नहीं पता वैक्सीन में क्या है!! न ही मैं बचपन में मुझे लगाई गई वैक्सीन के बारे में कुछ पता है कि उनमें अंदर क्या था। लेकिन हमने विज्ञान पर भरोसा किया!ऐसी बहुत सी चीजें हैं जो मुझे नहीं पता है।इस संदेश को साझा करने के लिए स्वतंत्र महसूस करें! यह हम सबकी मदद कर सकता है! #MaskUp @EduMinOfIndia'

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इस पोस्ट के साथ साझा की गई वीडियो में अनुपम को कहते हुए सुना जा सकता है कि मैं पूरी तरह वैक्सीनेटेड हूँ। उम्मीद है कि हमें जल्द ही बूस्टर डोज़ भी मिल ही जाएँगे। मैं नहीं जानता कि इस वैक्सीन में आखिरकार क्या है, और न ही उस वैक्सीन में जो बचपन में मुझे लगी थी। मैं तो यह भी नहीं जानता कि कॉम्बिफ्लेम आदि पेन किलर्स में क्या है, मैं सिर्फ इतना जानता हूँ कि ये मेरे दर्द को कम करती हैं। मैं नहीं जानता कि मेरे द्वारा दैनिक आधार पर उपयोग की जाने वाली वस्तुओं, जैसे- साबुन, डियो आदि में क्या है। मुझे नहीं पता कि लम्बे समय तक मोबाइल का उपयोग करने के क्या परिणाम हो सकते हैं। जिस रेस्तरां में मैंने खाना खाया, वह वास्तव में साफ है या नहीं, वहाँ के कर्मचारियों ने हाथ धोकर खाना बनाया होगा, मैं कैसे जान सकता हूँ? ऐसी तमाम बातें हैं, जिन्हें मैं नहीं जानता। लेकिन मैं यह जानता हूँ कि जिंदगी बहुत छोटी है और मैं इसे खुलकर जीना चाहता हूँ, मैं निडर होकर लोगों को गले लगाना चाहता हूँ, घूमना चाहता हूँ। मैं उस जिंदगी को महसूस करना चाहता हूँ, जो महामारी से पहले जीता था।

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हमने कई तरह की वैक्सीन लगवाई हैं, जैसे कि चिकन पॉक्स, पोलियो, हेपेटाइटस आदि। इस दौरान हमने विज्ञान पर विश्वास किया, और आज हम सलामत हैं। मैंने अन्य लोगों को इसे लगाता हुआ देख या सरकारी योजनाओं का लाभ लेने के लिए वैक्सीन नहीं लगवाई है, मैंने अपने लिए, अपने जीवन के लिए वैक्सीन लगवाई है। मैं किसी हॉस्पिटल के बेड पर कोरोना से पीड़ित होकर नहीं मरना चाहता। अपनों को गले लगाए, घूमे-फिरे बिना और डर-डर कर जीकर मैं खुश ही नहीं रह पाऊँगा। इसलिए मैं गर्व से कहता हूँ कि मैंने अपने लिए वैक्सीन लगवाई है और आपके लिए मास्क पहनता हूँ।

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