AR Rahman Birthday: एआर रहमान की सफलता के पीछे है उनकी माँ का हाथ, जानें पूरी बात By Mayapuri Desk 06 Jan 2022 in गपशप New Update एआर रहमान की माँ ने उन्हें पढ़ाई छोड़ने और संगीत को अपनाने की दी थी सलाह नेशनल हिंदी सिनेमा के मशहूर और दिग्गज संगीतकार एआर रहमान अपना जन्मदिन 6 जनवरी को मनाते हैं। एआर रहमान भारत के उन कलाकारों में से एक हैं, जिन्होंने अपने संगीत से पूरी दुनिया में नाम कमाया है। उनका संगीत हमेशा से अलग माना जाता रहा है। एआर रहमान का जन्म 6 जनवरी, 1966 को तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में हुआ था। उनके पिता आरके शेखर मलयालम फिल्मों में म्यूजिक स्कोर कंपोजर थे। पूरी दुनिया में एआर रहमान के नाम से पहचान बनाने वाले, एआर रहमान का असली नाम दिलीप कुमार है। एआर रहमान ने धर्मांतरण कर अपना नाम बदला है, जो कई मौकों पर उनके लिए चर्चा का विषय भी रहा है। घर में शुरू से संगीत का माहौल होने के कारण एआर रहमान ने 4 साल की उम्र में पियानो बजाना शुरू कर दिया था, लेकिन किस्मत एआर रहमान को बचपन से संघर्ष के रास्ते पर ले आई। उनके पिता आरके शेखर का महज 43 साल की उम्र में निधन हो गया था। पिता के निधन के बाद घर की सारी जिम्मेदारी एआर रहमान के कंधों पर आ गई थी। ऐसे में एआर रहमान ने अपनी पढ़ाई करने के साथ अपने पिता के संगीत उपकरणों को किराए पर देना शुरू कर दिया था। रहमान की माँ ने उपकरणों को बेचने से इनकार कर दिया, क्योंकि उन्हें लगा कि ये उपकरण उनके बेटे के करियर के लिए उपयोगी होंगे। 16 साल की उम्र तक, रहमान ने अपनी पढ़ाई को संगीत असाइनमेंट के साथ बैलेंस कर लिया था, जिसमें रिकॉर्डिंग सत्र के दौरान संगीतकारों की सहायता करना, कीबोर्ड बजाना और संगीत उपकरण ठीक करना शामिल था। एआर रहमान के दोस्त त्रिलोक नायर ने कृष्णा त्रिलोक को उनकी बुक नोट्स ऑफ ए ड्रीम में बताया था कि जब सीक्वेंसर भारत आया, तो वे प्रोग्रामिंग में भी एक विशेषज्ञ बन गए और वे एक ऐसे इंसान बने, जो कंप्यूटर से संगीत बनाना जानते थे। एस समय ऐसा आया, जब स्कूल और काम दोनों एक साथ चलाना एआर रहमान के लिए असंभव हो गया। एक दिन वे अपनी माँ के पास गए और उनसे कहा कि उन्हें दोनों में से किसी एक को चुनना होगा। इस पर एआर रहमान की माँ ने उन्हें कहा कि वे स्कूल छोड़ दें और संगीत पर ध्यान केंद्रित करें, पढ़ाई के बारे में बाद में देख सकते हैं। बॉलीवुड में मणिरत्नम ने रहमान को अपनी फिल्म 'रोजा' में पहला ब्रेक दिया था। यही वजह है कि वे मणिरत्नम की बहुत इज्जत करते हैं। उन्हें जानने वाले लोग बताते हैं कि मणिरत्नम ही ऐसे अकेले शख्स हैं, जो रहमान से कभी-भी अपनी मर्जी से मिल सकते हैं। एआर रहमान ने भारतीय सिनेमा में संगीत को नए आयामों तक पहुँचाया है। एआर रहमान अपने करियर में एक बार ऑस्कर अवार्ड, चार राष्ट्रीय फिल्म अवॉर्ड, दो एकेडमी अवॉर्ड, दो ग्रैमी अवॉर्ड, एक बाफ्टा अवॉर्ड और गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड हासिल कर चुके हैं। रहमान उर्फ दिलीप कुमार जन्म से हिंदू हैं, लेकिन बाद में उन्होंने इस्लाम कबूल लिया। आगे पड़े: जन्मदिन विशेष: उसके रहम से, माँ की दुआ से और सुर ओर ताल की राह पर चलते चलते ए. आर. रहमान कहाँ से कहाँ आ गएएआर रहमान की माँ ने उन्हें पढ़ाई छोड़ने और संगीत को अपनाने की दी थी सलाह नेशनल हिंदी सिनेमा के मशहूर और दिग्गज संगीतकार एआर रहमान अपना जन्मदिन 6 जनवरी को मनाते हैं। एआर रहमान भारत के उन कलाकारों में से एक हैं, जिन्होंने अपने संगीत से पूरी दुनिया में नाम कमाया है। उनका संगीत हमेशा से अलग माना जाता रहा है। एआर रहमान का जन्म 6 जनवरी, 1966 को तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई में हुआ था। उनके पिता आरके शेखर मलयालम फिल्मों में म्यूजिक स्कोर कंपोजर थे। पूरी दुनिया में एआर रहमान के नाम से पहचान बनाने वाले, एआर रहमान का असली नाम दिलीप कुमार है। एआर रहमान ने धर्मांतरण कर अपना नाम बदला है, जो कई मौकों पर उनके लिए चर्चा का विषय भी रहा है। घर में शुरू से संगीत का माहौल होने के कारण एआर रहमान ने 4 साल की उम्र में पियानो बजाना शुरू कर दिया था, लेकिन किस्मत एआर रहमान को बचपन से संघर्ष के रास्ते पर ले आई। उनके पिता आरके शेखर का महज 43 साल की उम्र में निधन हो गया था। पिता के निधन के बाद घर की सारी जिम्मेदारी एआर रहमान के कंधों पर आ गई थी। ऐसे में एआर रहमान ने अपनी पढ़ाई करने के साथ अपने पिता के संगीत उपकरणों को किराए पर देना शुरू कर दिया था। रहमान की माँ ने उपकरणों को बेचने से इनकार कर दिया, क्योंकि उन्हें लगा कि ये उपकरण उनके बेटे के करियर के लिए उपयोगी होंगे। 16 साल की उम्र तक, रहमान ने अपनी पढ़ाई को संगीत असाइनमेंट के साथ बैलेंस कर लिया था, जिसमें रिकॉर्डिंग सत्र के दौरान संगीतकारों की सहायता करना, कीबोर्ड बजाना और संगीत उपकरण ठीक करना शामिल था। एआर रहमान के दोस्त त्रिलोक नायर ने कृष्णा त्रिलोक को उनकी बुक नोट्स ऑफ ए ड्रीम में बताया था कि जब सीक्वेंसर भारत आया, तो वे प्रोग्रामिंग में भी एक विशेषज्ञ बन गए और वे एक ऐसे इंसान बने, जो कंप्यूटर से संगीत बनाना जानते थे। एस समय ऐसा आया, जब स्कूल और काम दोनों एक साथ चलाना एआर रहमान के लिए असंभव हो गया। एक दिन वे अपनी माँ के पास गए और उनसे कहा कि उन्हें दोनों में से किसी एक को चुनना होगा। इस पर एआर रहमान की माँ ने उन्हें कहा कि वे स्कूल छोड़ दें और संगीत पर ध्यान केंद्रित करें, पढ़ाई के बारे में बाद में देख सकते हैं। बॉलीवुड में मणिरत्नम ने रहमान को अपनी फिल्म 'रोजा' में पहला ब्रेक दिया था। यही वजह है कि वे मणिरत्नम की बहुत इज्जत करते हैं। उन्हें जानने वाले लोग बताते हैं कि मणिरत्नम ही ऐसे अकेले शख्स हैं, जो रहमान से कभी-भी अपनी मर्जी से मिल सकते हैं। एआर रहमान ने भारतीय सिनेमा में संगीत को नए आयामों तक पहुँचाया है। एआर रहमान अपने करियर में एक बार ऑस्कर अवार्ड, चार राष्ट्रीय फिल्म अवॉर्ड, दो एकेडमी अवॉर्ड, दो ग्रैमी अवॉर्ड, एक बाफ्टा अवॉर्ड और गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड हासिल कर चुके हैं। रहमान उर्फ दिलीप कुमार जन्म से हिंदू हैं, लेकिन बाद में उन्होंने इस्लाम कबूल लिया। आगे पड़े: जन्मदिन विशेष: उसके रहम से, माँ की दुआ से और सुर ओर ताल की राह पर चलते चलते ए. आर. रहमान कहाँ से कहाँ आ गए #AR Rahman हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें! विशेष ऑफ़र और नवीनतम समाचार प्राप्त करने वाले पहले व्यक्ति बनें अब सदस्यता लें यह भी पढ़ें Latest Stories Read the Next Article