गजलों की दुनिया के बेताज बादशाह जगजीत सिंह अगर आज हमारे बीच होते तो अपना 80 वां बर्थडे मना रहे होते। 8 फरवरी, 1941 को राजस्थान के श्रीगंगानगर में जन्में जगजीत सिंह ने अपनी गायकी से सारी दुनिया में अपनी खास पहचान बनाई। 'चाहे छीन लो मुझसे मेरी जवानी, मगर मुझको लौटा दो वो बचपन का सावन, वो कागज की कश्ती, वो बारिश का पानी' हो या 'चिट्ठी न कोई संदेश, जाने वो कौन सा देश, जहां तुम चले गये'। जैसे सैकड़ों भाव समेटे जीवन के हर पड़ाव और सवालात जगजीत सिंह की गजलों में रचे बसे हैं।
- जगजीत सिंह को संगीत उनके पिता सरदार अमर सिंह धमानी जो की एक सरकारी कर्मचारी थे उनसे विरासत में मिला। बाद में वह 24 साल की उम्र में 1965 में मुंबई आ गए थे और दो साल बाद ही 1967 में उनकी मुलाकात गज़ल गायिका चित्रा से हुई और 1969 में दोनों विवाह बंधन में बंध गए।
- जगजीत और चित्रा सिंह दोनों संगीत कार्यक्रमों में अपनी जुगलबंदी से समां बांध दिया करते थे। दोनों एक बेटे के माता-पिता बने। उन्होंने उसका नाम विवेक रखा। लेकिन, साल 1990 के एक कार हादसे में जगजीत-चित्रा के बेटे विवेक की मौत हो गई। उस समय उसकी उम्र 18 साल थी।
- इकलौते बेटे की असमय मौत ने चित्रा को पूरी तरह तोड़ दिया और उन्होंने गायकी से दूरी बना ली। गजल के बेताज बादशाह जगजीत को करीब से जानने वालों का मानना है कि उनकी गायकी में महसूस होने वाली तड़प व दुख उनकी इसी अति निजी क्षति की वजह से था।
- जगजीत को दुनिया में गजल को आम आदमी तक पहुंचाने का श्रेय जाता है। उनकी पहली एलबम 'द अनफॉरगेटेबल्स' (1976) हिट रही। 'झुकी झुकी सी नजर बेकरार है कि नहीं', 'तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो', 'तुमको देखा तो ये ख्याल आया', 'होश वालों को खबर क्या', 'कोई फरियाद', 'होठों से छू लो तुम', 'चिठ्ठी न कोई संदेश' जैसी फ़िल्मी गजलें पेश कीं।
- वहीं गैरफिल्मी फेहरिस्त में 'कल चौदहवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तेरा', 'सरकती जाए है रुख से नकाब आहिस्ता-आहिस्ता', 'वो कागज की कश्ती वो बारिश का पानी' जैसी मशहूर गजलें शुमार हैं। जगजीत सिंह ने 150 से ज्यादा एलबम बनाईं। फ़िल्मों में गाने भी गाए, लेकिन गजल व नज्म के लिए उन्हें विशेष रूप से लोकप्रियता प्राप्त है।
- लता मंगेशकर के साथ सजदा उनकी विश्व प्रसिद्ध एल्बम हैं। पद्मभूषण जगजीत सिंह के बारे में बता दें कि भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेयी भी उनके बड़े मुरीद रहे। जगजीत इकलौते ऐसे गायक-संगीतकार हैं जिन्होंने अटल जी के शब्दों को संगीत भी दिया है और गाया भी। अटल जी एक जाने-माने कवि भी थे तो जगजीत सिंह ने उनकी कविताओं को संगीतबद्ध भी किया और अपनी रूहानी आवाज़ में गाया भी।
- भारत सरकार की तरफ से जगजीत सिंह को साल 2003 में 'पद्म भूषण' सम्मान से नवाजा गया था। cerebral hemorrhage की वजह से उन्हें 23 सितम्बर 2011 को मुंबई के लीलावती अस्पताल में भर्ती कराया गया। हालत बिगड़ती गई, जगजीत सिंह कोमा में चले गए और 10 अक्टूबर 2011 को जगजीत सिंह ने आखिरी सांसें ली।