Advertisment

Birthday Special: मनोज शुक्ला से मनोज मुंतशिर बनने तक का सफर

author-image
By Pragati Raj
New Update
Birthday Special: मनोज शुक्ला से मनोज मुंतशिर बनने तक का सफर

आज मनोज मुंतशिर का जन्म दिन है। मायापुरी ग्रुप की तरफ से मनोज को जन्मदिन की ढेर सारी शुभकामनाएं।

ज़रा सोचो यूपी के गौरीगंज की एक मिडिल क्लास परिवार, जिसमें एक व्यक्ति किसान के साथ साथ एक पंडित भी हैं, अचानक सुबह अपने घर के बाहर नेमप्लेट देखते हैं जिसपर शुक्ला की जगह मुंतशिर लिखा है और उन्हें पता चलता है कि उनका बेटा जो कल तक मनोज शुक्ला था आज मनोज मुंतशिर बन गया है तो उनका क्या रिएक्शन आएगा। जी हां मनोज मुंतशिर के पिता को जब पहली बार पता चला की उनके लाडले बेटे ने अपना नाम बदल लिया है तो घर में मानो मातम छा गया था।

मनोज के नाम को लेकर उनके पिताजी बहुत शर्मिंदा हुए। बड़ी कोशिश की कि मनोज सुधर जाए लेकिन मनोज ठहरे जिद्दी, वह कहा मानने वाले थे। जब ठान लिया था की उन्हें फिल्मों में गाने लिखना है तो उनके फैसले को खुद उनके पिताजी भी बदल न पाए।

मनोज शुक्ला से कैसे बने मनोज मुंतशिर

मनोज मुंतशिर

साल 1997 की बात है शर्दी की देर रात मनोज शुक्ला अपने घर से चाय की तालाश में निकले। बहुत ढ़ूढने के बाद एक टपरी नजर आई जहां उन्होंने रेडियो पर पहली बार सुना यह शब्द “मुंतशिर।” बस यह नाम मनोज को भा गया और चाय की आखरी चुसकी के साथ ही उन्होंने फैसला कर लिया की अभी से वह मनोज शुक्ला नहीं बल्कि मनोज मुंतशिर हैं। अब नामकरण तो हो गया लेकिन पिताजी को कैसे बताए ये बात। उन्हें सुनकर तो हर्ट अटैक आ जाना है लेकिन खबर तो करनी है। इसके लिए मनोज ने एक तरकीब निकाली। उन्होंने अपने घर का नेमप्लेट जो मनोज शुक्ला के नाम पर था उसे मनोज मुंतशिर करा दिया।

नाम के लिए पहले तो घर में बहुत बवाल हुआ। पिताजी को तो शक होने लगा की कही मनोज ने अपना धर्म परिवर्तन न करा लिया हो। यही सोच कर उनका खून सूखा जा रहा था। तभी मनोज की माताजी ने अपने पति को समझाया कि यह मनोज का पेन नेम है जैसे शायर अपना नाम रखते है। मनोज के पिताजी अभी भी मानने को तैयार नहीं थे लेकिन अपने बेटे की जीद के आगे वह भी कुछ बोल न पाए। ऐसे मनोज शुक्ला बने मनोज मुतंशिर लेकिन आगे का सफ़र अभी शुरू नहीं हुआ था। बहुत सी चुनौतियों का सामना करना बाकी था।

गौरीगंज के नर्म बिस्तर से मुंबई के फुटपाथ पर सोना

मनोज मुंतशिर

साल 1999 में मनोज पहुंचे सपनों के शहर मुंबई। चुनौतियां हर किसी की लाइफ में होती है लेकिन एक बात मैं यकिन के साथ कह सकती हूं कि अगर मनोज के जगह कोई अन्य व्यक्ति होता तो हार मान कर अपने शहर वापस लौट चुका होता क्योंकि गौरीगंज के कम्फर्टेबले बिस्तर से उठकर मुबंई के फुटपाथ पर सोना हर किसी के बस की बात नहीं है। मुंतशिर का मतलब भले ही बिखरा हुआ होता है लेकिन इस परिस्थिति में भी मनोज ने खुद को मुंतशिर होने नहीं दिया।

मनोज बताते हैं कि उन्हें चाय बहुत पसंद है लेकिन चाय तो छोड़ो उन्हें दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं होती थी। रोटी की महक कैसी होती है वो वह भी भूल गए थे। जब वह फुटपाथ पर रहते थे तो वहां पर लोगों को शायरी सुनाया करते थे। उनकी शायरी सुनने आए लोग रोज शाम उनके खाने के लिए कुछ न कुछ लेकर आते रहते थे।

ऐसे की थी पहली कमाई

मनोज मुंतशिर

फुटपाथ पर रहते समय वह एक दिन भजन सम्राट अनूप जलोटा से मिलने पहुंचे। मनोज को पता था कि उनसे मिलना सबसे आसान है क्योंकि अनूप जलोटा उस व्यक्ति से जरूर मिलते हैं जो उनके शहर अमेठी से हो। बस मनोज को रास्ता मिल गया उनसे मिलने का।

मनोज ने अनूप जलोटा से कहा कि वह भजन लिखते है। उन्होंने लिखने को कहा लेकिन मनोज ने तो कभी भजन लिखा ही नहीं था। चाय के लोभ की वजह से मनोज ने लिखना शुरू किया ताकि जबतक वह भजन लिखेंगे तबतक चाय आ जाएगी। अनूप जलोटा ने भजन पढ़ा और उन्हें भजन लिखने के बदले 3000 रूपय का चेक दिया।

मनोज को अपनी आँखों पर भरोसा नहीं हुआ। वह भागते हुए पहले बैंक पहुंचे कि कही ये सपना तो नहीं है। जब उन्होंने अपने हाथ में 100-100 के 30 नोट देखे तो उन्हें विश्वास नहीं हुआ। ऐसे मनोज ने अपनी पहली कमाई की। मजेदार बात ये है कि अनूप जलोटा ने उस भजन को कभी रिकॉर्ड नहीं किया लेकिन मनोज जब उनसे ये बात पुछते है तो वह उनकी बात को हँस कर टाल देते है।

अमिताभ बच्चन के शो में मिला काम

मनोज मुंतशिर

वक्त बीतता गया। चीजें पहले से बेहतर होती गई। साल 2002 में मनोज स्टार प्लस पर टेलीकास्ट होने वाला शो “यात्रा” जो की एक ट्रेवल शो था वह लिखा करते थे। उस शो के बाद ही महानायक अमिताभ बच्चन ने जब उन्हें मिलने को बुलाया तो मनोज को इस बात पर यकीन ही नहीं हुआ। डरे सहमे वो बिग बी के सामने बैठे। बिग बी ने उनसे कविता सुनाने को कहा। मनोज की कविता सुनकर बिग बी ने कहा कि उनकी आवाज बहुत अच्छी है। बस उस दिन मनोज को खुद पर यकीन हो गया की अब वो कुछ भी कर सकते हैं। अमिताभ बच्चन ने उनकी आवाज की तारीफ जो कर दी थी।

जरा सा सब्र, कड़ी महनत और आत्मविश्वास ने वो कर दिखाया जिसकी कल्पना भी नहीं की थी। अमिताभ बच्चन के बहुचर्चित शो “कौन बनेगा करोड़पति” में उन्हें काम करने का मौका मिला।

40वें गाने से मिली सफलता

publive-image

उन्होंने कई गाने लिखे लेकिन उनका 40वां सांग “तेरी गलियां” सुपरहीट साबित हुआ। इसके बाद मनोज को रोक पाना नामुमकिन था। कई गाने लिखने, कई हीट शोज करने के बाद आज मनोज उस मुकाम पर है जहां कभी पहुंचने का उन्होंने सपना देखा था।

अवॉर्ड शोज को कहा अलविदा

मनोज मुंतशिर

साल 2019 में उनके द्वारा लिखा गया एक गाना “तेरी मिट्टी” को जब फिल्म गली बॉय के साथ नॉमिनेशन में रखा गया और अवॉर्ड नहीं मिला तो मनोज से इस गाने का अपमान बर्दाशत नहीं हुआ। उन्होंने एक ट्वीट लिखा और अवॉर्ड्स शोज को हमेशा के लिए अलविदा कह दिया।

उन्होंने लिखा था 'प्रिय अवॉर्ड्स, मैं अपनी पूरी जिंदगी भी कोशिश करूं तो मैं 'तू कहती थी तेरा चंद हूं मैं और चंदा हमेशा रहता है' से बेहतर लाइन नहीं लिख पाउंगा। आप उन शब्दों को सम्मानित करने में विफल रहे, जिन्होंने लाखों भारतीयों को अपनी मातृभूमि की दुहाई दी और उनकी देखभाल की। अगर मैं अभी भी आपकी देखभाल करना जारी रखूँ तो यह मेरी कला का बहुत बड़ा अपमान होगा। तो यहाँ मैं आपको एक अंतिम अलविदा बोल रहा हूं। मैं आधिकारिक तौर पर घोषणा करता हूं- मैं अपने अंतिम सांस तक किसी भी अवॉर्ड शो में शामिल नहीं होउंगा। अलविदा।'

Advertisment
Latest Stories